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भोंगर्या/भगोरिया हाट का दुष्प्रचार करने वाले प्रिंट/इलेक्ट्रानिक मीडिया पर लगाम लगाये मध्य प्रदेश सरकार

भोंगर्या/भगोरिया हाट का दुष्प्रचार करने वाले प्रिंट/इलेक्ट्रानिक मीडिया पर लगाम लगाये मध्य प्रदेश सरकार 

आदिवासी कर्मचारी अधिकारी संगठन (आकास), मध्य प्रदेश ने मुख्यमंत्री कमल नाथ को लिखा पत्र 

दुष्प्रचार व गलत जानकारी से समस्त आदिवासी वर्ग बदनाम एवं आहत होता है, इसलिये दुष्प्रचार रोका जाये 
भोंगर्या/भगोरिया हाट वास्तविकता में होली के अवसर पर लोगों के आपस में मिलने-जुलने और सामूहिक नृत्य, संगीत के माध्यम से आनंद और हर्षोल्लास का हाट है। किन्तु प्रिंट एवं इलेक्ट्रानिक मीडिया द्वारा भोंगर्या हाट में युवक-युवती की शादी की सहमति का भ्रामक तथ्य प्रस्तुत किया जाता है। जिससे आदिवासी समाज के प्रति अन्य समाज के लोगों में भोंगर्या हाट के प्रति गलत धारणा बनती है। जिससे इस प्रकार की गलत जानकारी से समस्त आदिवासी वर्ग बदनाम एवं आहत होता है। इस मामले में आदिवासी कर्मचारी अधिकारी संगठन आकास के द्वारा मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री कमल नाथ को पत्र लिखकर निर्देश जारी करने की मांग की गई है। 

इंदौर। गोंडवाना समय। 
भोंगर्या/भगोरिया हाट के संबंध में प्रिन्ट/इलेक्ट्रानिक मीडिया को आदिम जाति अनुसंधान एवं विकास संस्था म.प्र.शासन के अध्ययन प्रतिवेदन क्रमांक 627 के अनुसार वास्तविक स्वरूप में प्रचार-प्रसार करने के निर्देश जारी कराये जाने को लेकर मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री कमल नाथ जी को पत्र लिखकर श्री जगन सोलंकी प्रांतीय अध्यक्ष, आदिवासी कर्मचारी अधिकारी संगठन (आकास), मध्य प्रदेश ने बताया कि अधिकांशतय: प्रिंट मीडिया में पढ़ने में एव इलेक्ट्रानिक मीडिया में भोंगर्या/भगोरिया हाट को लेकर दुष्प्रचार किया जाता है, इसे रोकने के लिये मध्य प्रदेश शासन के अध्ययन प्रतिवेदन क्रमांक 627 के अनुसार वास्तविक रूप में प्रचार-प्रसार करने के लिये निर्देश जारी करने की मांग किया गया है। 

भोंगर्या हाट में युवक-युवती की शादी की सहमति का भ्रामक तथ्य प्रस्तुत किया जाता है

श्री जगन सोलंकी प्रांतीय अध्यक्ष, आदिवासी कर्मचारी अधिकारी संगठन (आकास), मध्य प्रदेश ने बताया कि विगत कई वर्षो से विभिन्न समाचार-पत्रों (प्रिंट मिडिया) एवं टी.व्ही. चेनलों (इलेक्ट्रानिक मिडिया) द्वारा भोंगर्या हाट जो कि पश्चिमी मध्य प्रदेश के आदिवासी बाहुल्य क्षेत्रों में होली दहन के पूर्व पूरे सप्ताह में अलग-अलग जगह पर (साप्ताहिक बाजार के दिन) हाट लगता है। इस हाट को प्रिंट एवं इलेक्ट्रानिक मीडिया भगोरिया पर्व, प्रणय पर्व, आदिवासियों का वेलेंटाईन डे आदि नामों से दुष्प्रचारित किया जाता रहा है तथा उनके द्वारा यह भी बताया जाता है कि इसमें किसी आदिवासी लड़की को पान खाने को दिया जाता है और वह पान खा लेती है या गुलाल लगाने देती है तो उस लड़की द्वारा पान खिलाने वाले या गुलाल लगाने वाले से शादी के लिए सहमति होना समझा जाता है। 
जबकि वास्तविकता में ऐसा बिलकुल नहीं होता है। होली का डंडा गाढ़ने/रखे जाने के बाद से आदिवासी क्षेत्रों में आदिवासी परंपरा के अनुसार होली जलने तक शादियां नहीं होती है। किन्तु प्रिंट एवं इलेक्ट्रानिक मीडिया द्वारा भोंगर्या हाट में युवक-युवती की शादी की सहमति का भ्रामक तथ्य प्रस्तुत किया जाता है। जिससे की आदिवासी समाज के प्रति अन्य समाज के लोगों में भोंगर्या हाट के प्रति गलत धारणा बनती है। जिससे इस प्रकार की गलत जानकारी से समस्त आदिवासी वर्ग बदनाम एवं आहत होता है। 

विधानसभा में लाया गया था अशासकीय प्रस्ताव 

ऐसी परिस्थिति में आदिवासी समाज के विभिन्न सामाजिक संगठनों के द्वारा भोंगर्या हाट को लेकर दुष्प्रचार का अनेकों बार विरोध भी किया गया एवं मध्य प्रदेश विधानसभा में आदिवासी वर्ग के सदस्यों/विधायकों द्वारा अशासकीय प्रस्ताव लाया गया। मध्य प्रदेश विधानसभा द्वारा इस विषय को अनुसंधान हेतु आदिम जाति अनुसंधान एवं विकास संस्था को दिया गया। आदिम जाति अनुसंधान एवं विकास संस्था, म.प्र. शासन द्वारा नामित सदस्यों ने विभिन्न भोंगर्या हाट हेतु प्रत्यक्षतया देखा/अध्ययन किया गया और उसके पश्चात निष्कर्ष प्रस्तुत किया गया है। वहीं संगठन द्वारा प्रमाण स्वरूप आदिम जाति अनुसंधान एवं विकास संस्था, म.प्र.शासन के अध्ययन प्रतिवेदन क्र. 627 की छायाप्रति भी संलग्न किया गया है। वहीं मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री कमल नाथ के साथ साथ संगठन की ओर से राष्ट्रीय अध्यक्ष अ.ज.जा. आयोग, भारत सरकार, नई दिल्ली, श्री एस. आर. मोहंती, मुख्य सचिव, म.प्र. शासन, भोपाल, प्रमुख सचिव, आदिम जाति कल्याण विभाग, म.प्र. शासन, भोपाल, म.प्र. के आदिवासी समाज के समस्त विधायक आवश्यक कार्यवाही हेतु पत्र प्रेषित किया है। 

शासन ने भोंगर्या या भगोरिया हाट की वास्तविकता को शासकीय दस्तावेज में किया लिपिबद्ध 

भोंगर्या/भगोरिया हाट का अध्ययन नाम से प्रकाशित हो चुका है। इस तरह म.प्र.शासन का शासकीय दस्तावेज है जिसमें यह स्पष्ट रूप से उल्लेखित है कि गैर आदिवासी समाज द्वारा भोंगर्या या भगोरिया हाट को भील जनजाति समूह के युवक-युवतियों द्वारा भाग कर विवाह करने के अवसर के रूप में प्रचारित किया जा रहा है। जबकि वास्तव में यह होली के अवसर पर लोगों के आपस में मिलने-जुलने और सामूहिक नृत्य, संगीत के माध्यम से आनंद और हर्षोल्लास का हाट है। अपने गांव व घर से दूर रह रहे प्रियजनों से आपस में मिलने का अवसर होता है, भोंगर्या/भगोरिया में कोई भी युवक किसी भी युवती को विवाह करने हेतु भगाकर ले जाता है, यह अध्ययन में नहीं पाया गया। यहां के भील समुदाय के लोगों से पूछने पर बताया गया कि होली का डंडा गाड़ने से होलिका दहन तक समाज में कोई भी मांगलिक कार्य नहीं होते हैं, फिर इस समय शादी होने का तो प्रश्न ही नहीं उठता है।   

ताकि भोंगर्या हाट का दुष्प्रचार रोका जा सके

श्री जगन सोलंकी प्रांतीय अध्यक्ष, आदिवासी कर्मचारी अधिकारी संगठन (आकास), मध्य प्रदेश ने बताया कि भोंगर्या/भगोरिया हाट के संबंध में मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री कमल नाथ से अनुरोध किया है कि इस अध्ययन/अनुसंधान निष्कर्ष को आपकी ओर से केंन्द्र सरकार, राज्य सरकारों तथा केंन्द्र शासित प्रदेशों को भेजा जाकर उनके रिकार्ड/दस्तावेजों में आवश्यक संशोधन/सुधार करने तथा सभी प्रिंट एवं इलेक्ट्रानिक मीडिया में भोंगर्या हाट को भगोरिया पर्व, प्रणय पर्व, आदिवासियों का वेलेंटाईन डे आदि नामों से दुष्प्रचारित न किया जाने हेतु लिखा जावें ताकि भोंगर्या हाट का दुष्प्रचार रोका जा सके, जिससे आदिवासी समाज को बदनाम व आहत होने से बचाया जा सके।
  

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