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बंद पड़े बकोड़ा सिवनी उप स्वास्थ्य केंद्र को चालू करवाये जाने की मांग

बंद पड़े बकोड़ा सिवनी उप स्वास्थ्य केंद्र को चालू करवाये जाने की मांग 

30 गांवों के ग्रामीणों को मिल सकता है स्वास्थ्य लाभ 

लॉकडाऊन के चलते कलेक्टर से किया अनुरोध 

सिवनी। गोंडवाना समय। 
उप स्वास्थ्य केंद्र बकोडा सिवनी को कोरोना वायरस के चलते लाकडाऊन के दरमियान खुलवाने जाने की मांग कोयान द विजन के संचालक व समाजिक कार्यकर्ता रावेन शाह उईके ने सिवनी कलेक्टर श्री प्रवीण सिंह अनुरोध करते हुये आग्रह किया है कि ग्राम+पोस्ट बकोड़ा सिवनी, तहसील-छपारा मे उपस्वास्थ्य केंद्र अस्पताल है। जो कि पहले संचालित होता रहा है, जहां पर औपचारिक इलाज मलहम पट्टी, बुखार, सर्दी-खांसी, जुखाम, और दवाइयां आसानी से उपलब्ध हो जाया करती थी और गर्भवती मां बनने वाली महिलाओं की डिलीवरी भी इस अस्पताल में होती थी।

वर्तमान में बंद पड़ा बकोड़ा स्वास्थ्य केंद्र 

आगे रावेन शाह उईके ने कलेक्टर श्री प्रवीण सिंह को आग्रहपूर्वक अवगत कराते हुये कहा कि छपारा विकासखंड का उप स्वास्थ्य केंद्र बकोड़ा सिवनी उप-स्वास्थ्य केंद्र वर्तमान की स्थिति में बंद है। ग्राम व इससे लगे हुये ग्रामों के ग्रामीणों को शारीरिक रूप से समस्या आने पर समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। वर्तमान में लाक डाऊन के चलते आने-जाने के साधन नही है और बसें अभी पूर्णत: बंद है। इस वजह से आकस्मिक इलाज हेतु शहर तक पहुंचना मुश्किल सा है तथा ग्रामीण जनो के सामने गंभीर समस्या है।

पर्याप्त सुविधायें है बकोड़ा सिवनी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में

आगे कलेक्टर श्री प्रवीण सिंह अनुरोध करते हुये रावेन शाह उईके ने आग्रह करते हुये बताया कि बकोड़ा सिवनी अस्पताल भवन साफ-स्वच्छ व सुरक्षित है। वहां पर पेयजल व्यवस्था भी सही है लेकिन कोई संबंधित कर्मचारी या नर्स, डाक्टर, एंबूलेंस नहीं है। कोरोना वायरस के कारण भारत सरकार के दिशा-निर्देश का एवं कलेक्टर कार्यालय के सभी नियम और अपीलों का ग्रामीण जन पालन कर रहे है लेकिन कोरोना संक्रमण के डर मे भी जी रहे हैं।

आकस्मिक इलाज हेतु मिल सकती है सुविधा

आगे रावेन शाह उईके ने बताया कि यह क्षेत्र शासकीय जिला अस्पताल सिवनी से लगभग 56 कि.मी. की काफी दूरी पर है। बकोडा सिवनी उप स्वास्थ्य केंद्र को औपचारिक रुप से खोलने से इस अस्पताल के अंतर्गत लगभग 30 से अधिक गांवो के लोगों को सुविधा उपलब्ध हो सकेगी। चूंकी यहाँ तक पहुंचना ग्रामीणों के लिए निजी साधन से या पैदल पहुंचना आसान होगा और शहर के संपर्क में आने से बचेंगे तथा शहर के अस्पताल में भीड़ होने से भी बचा जा सकेगा है। जिससे 20 दिनो में आकस्मिक इलाज हेतु अति आवश्यक उचित होगा।

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