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मशरूम से वनांचल क्षेत्र की महिलाएं बन रही आत्मनिर्भर

मशरूम से वनांचल क्षेत्र की महिलाएं बन रही आत्मनिर्भर

सब्जी के साथ बड़ी, पापड़, आचार व पाउडर के रूप में उपयोग 

रायपुर। गोंडवाना समय। 

मशरूम स्वाद का खजाना होने के साथ ही पौष्टिकता से भरपूर होता है। कम लागत में इससे अधिक आमदनी ली जा सकती है। इसे देखते हुए दूरस्थ वनांचल क्षेत्रों में प्रशासन द्वारा मशरूम उत्पादन को बढ़ावा दिया जा रहा है। इससे लोगों को स्थानीय स्तर पर पौष्टिक आहार के साथ आर्थिक आत्मनिर्भरता मिल रही है। इस दिशा में अपने कदम बढ़ाते हुए सुकमा जिले के कांजीपानी और चिपुरपाल की महिला स्व-सहायता समूहों ने स्वादिष्ट मशरूम का उत्पादन कर अपनी एक अलग पहचान कायम की है।

कुपोषण दूर करने का चमत्कारी गुण 


इससे महिला समूह न केवल आर्थिक लाभ हो रहा है बल्कि लोगों को प्रोटीन, विटामिन, आवश्यक लवण और विभिन्न प्रकार के खनिजों से भरपूर पोषण आहार भी मिल रहा है। इन समूहों द्वारा 2 से 3 किलो मशरूम प्रतिदिन बेचकर अतिरिक्त आय प्राप्त की जा रही है। मशरूम में आवश्यक सभी पोषक तत्व होने के कारण यह कुपोषण दूर करने का चमत्कारी गुण रखता हैं। इसके साथ ही इसमें कई औषधीय गुण भी पाए जाते हैं। 

प्रशिक्षण लेकर किया जा रहा मशरूम का उत्पादन 

इन लाभों को देखते हुए कृषि विभाग द्वारा एग्रीकल्चर एक्सटेंशन रिफार्म (आत्मा) योजना के अन्तर्गत महिला समूहों को प्रशिक्षित कर मशरूम उत्पादन के लिए प्रेरित किया जा रहा है। यहां प्रशिक्षण लेकर छिन्दगढ़ विकासखण्ड के कांजीपानी गांव के कमलफूल कृषक समूह एवं चिपुरपाल गांव के ऋतम्भरा महिला कृषक समूह के द्वारा मशरूम उत्पादन किया जा रहा है। 10 सदस्यों वाली कमलफूल समूह की अध्यक्ष श्रीमती सुशीला बघेल व सचिव श्री फुलमती मांझी है। जबकि 11 सदस्यों वाली ऋतम्भरा महिला कृषक समूह कीे अध्यक्ष श्रीमती सुक्को बघेल व सचिव श्रीमती प्रमिला नाग है। कृषि महाविद्यालय जगदलपुर व रायपुर से मशरूम उत्पादन के ढांचे की भली-भांति जानकारी होने के बाद इन समहों ने मशरूम उत्पादन प्रारम्भ किया। 

प्रशासन कर रहा समूह को सहयोग 

जिला प्रशासन ने भी इन समूहों की मदद करते हुए पैरा काटने के लिए कटर मशीन उपलब्ध कराया। मशरूम उत्पादन से अपनी मेहनत को साकार रूप लेते देख ग्रामीण महिलाएं खुश हैं। महिला समूह ने बताया कि मशरूम का उपयोग सब्जी के रूप में करने के अतिरिक्त इससे बड़ी, पापड़, आचार और मशरूम पाउडर के रूप में उपयोग किया जा सकता है। इसके उपयोग से विभिन्न प्रकार के व्यंजन भी तैयार किये जा सकते हैं जो स्वादिष्ट, पौष्टिक होने के साथ कुपोषण दूर करने में सहायक होते हैं।

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