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''संविदा शब्द'' कर्मचारियों के लिए अभिशाप, साथी की मदद करने खुद आगे आए कर्मचारी

''संविदा शब्द'' कर्मचारियों के लिए अभिशाप, साथी की मदद करने खुद आगे आए कर्मचारी

संविदा कर्मचारियों की मजदूर से बदतर हालत, मर जाएं तो राहत भी नहीं 

सिवनी। गोंडवाना समय। 
कांग्रेस सरकार के कार्यकाल के दौरान अधिकारी-कर्मचारियों की नियुक्ति के दौरान दिया गया संविदा शब्द अब प्रदेश के हजारों कर्मचारियों के लिए अभशाप बना हुआ है। इसकी बानगी इसी बात से लगा सकते हैं कि कांग्रेस और भाजपा सरकार की योजनाओं का क्रियान्वयन करने वाले संविदा कर्मचारी की हालत मजदूर से भी बदतर है। सरकार की उपेक्षा के चलते  सिवनी जिले में संविदा कर्मचारियों ने अनूठी पहल करते हुए संविदा कर्मचारियों से फंड लेकर बचत बैंक की योजना बनाई है और हाल ही में एक गंभीर बीमारी से लाचार अपने साथी की तकरीबन एक लाख रुपए की मदद कर सरकार पर तमाचा मारा है।

मर जाएं तो राहत भी नहीं दे रही सरकार

प्रदेश भर में कार्यरत संविदा अधिकारी-कर्मचारियों की स्थिति सरकार ने मजदूर से बदतर कर दी है। खुद संविदा अधिकारी-कर्मचारी मान भी रहे हैं और घुट-घुट कर मजबूरीवश सरकार का कामकाज कर रहे हैं। मजदूरों की मौत पर सरकार कफन-दफन से  लेकर दो लाख रुपए तक की राशि मुहैया करा रही है लेकिन यदि कोई संविदा कर्मचारी की मौत हो जाए चाहे बाहर या ड्यूटी के दौरान तो वाह री सरकार राहत राशि तो दूर कफन-दफन तक के लिए राशि नहीं दे रही है।

संविदा में ढल गई उम्र, वोट बैंक के लिए वायदा पर मुकर गए

संविदा में नौकरी करके अधिकारी-कर्मचारी की उम्र ढलने लगी है और उन्हें उनके बाल-बच्चों से लेकर आने वाले कल की चिंता सता रही है लेकिन सरकार कोई ध्यान नहीं दे रही है। अहम व खास बात तो यह है कि सरकार ने वोटबैंक के लिए वायदा भी किया लेकिन वायदा करने के बाद मुकर गए। भाजपा सरकार आश्वासन देती रही और कांग्रेस सरकार वचनपत्र तक सीमित रह गई। अब संविदा अधिकारी-कर्मचारी तो यह तक कहने लगे हैं कि जो सरकार उन्हें नियमित करेगी सर्विस के आखिर तक उसी सरकार का सपोर्ट करेंगे।

अनूठी पहल, साथी की मदद के लिए बढ़ाए हाथ

सिवनी जिले के संविदा में कार्यरत रोजगार सहायक से लेकर इंजीनियर, लेखापाल, कम्प्यूटर आॅपरेटर्स, एनआरएलएम के कर्मचारियों ने सरकार की उपेक्षा के चलते शादी-विवाह और गंभीर बीमारियों में इलाज के लिए संविदा कर्मचारियों की बचत बैंक बनाने का निर्णय लिया है। एक दिवसीय आंदोलन के दौरान मानेगांव बबरिया में उनकी सामुहिक रूप से बैठक भी हुई और उसमें निर्णय लिया गया है। जिसमें सदस्यता शुल्क के साथ हर महीने राशि एकत्रित कर संविदा से जुड़े हुए और सदस्यता लेने वाले कर्मचारियों की मदद की जाएगी। जिले के संविदा कर्मचारियों ने मिलकर सिवनी जिले में पूर्व में इंजीनियर के पद पर पदस्थ रहे कर्मचारी की लकवा लगने पर आर्थिक मदद की है जिसको लेकर जिले के सभी संविदा कर्मचारी भी अच्छी पहलन मान रहे हैं।

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