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समाज और राष्ट्र निर्माण में निर्णायक भूमिका निभाती हैं देश कि मातृशक्ति-सुश्री रितु पेंद्राम

समाज और राष्ट्र निर्माण में निर्णायक भूमिका निभाती हैं देश कि मातृशक्ति-सुश्री रितु पेंद्राम

महिला शिक्षा आंदोलन में सावित्रीबाई फुले एवं अबेंडकर जी के योगदान पर डाला प्रकाश 

डिंडौरी। गोंडवाना समय। 
अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर जय आदिवासी युवा शक्ति और गोंडवाना स्टूडेंट्स यूनियन का नारी शक्ति संवर्धन और नेतृत्व संवाद कार्यक्रम में मुख्य वक्ता सुश्री रितु पेंद्राम, रेखा पेंद्राम, गोंडी चित्रकार चम्पी बाई और निशाद अरशी ने महिलाओं के सशक्तिकरण के लिए आगे बढ़ने के लिए साथ चलने का संदेश दिया। राष्ट्र निर्माण मे युवाओं और नारीशक्ति अपना योगदान कैसे दे सकती हैं। इस पर वक्तव्य दिया समाज में राजनीति में प्रशासनिक स्तर पर जो चुनौतियां आती है, उस पर विचार रखा। 

शिक्षा हर समस्या का समाधान बेहतर तरीके से कर सकती है

शिक्षा का महत्व बताते हुए, शिक्षा हर परिस्थिति में हर समस्या का समाधान एक बेहतर तरीके से दे सकती है। अच्छे विचार शिक्षा से ही आते हैं और लोगो के समस्याओं को बेहतर ढंग से समझ सकते है। युवा सोच तर्क, प्रतिभा, जानकारी और शिक्षा के साथ समाज के वरिष्ठ जनो का मार्गदर्शन और सामंजस्य से आगे बढ़ने का संदेश दिया। उन्होंने कहा कि राष्ट्र निर्माण में युवाओ को जाति, धर्म, संप्रदाय की मानसिकता से हटकर अपना योगदान दिये जाने का संदेश दिया।

कोदो कुटकी से महिलायें बन सकती है आत्मनिर्भर 

सुश्री रितु पेंद्राम ने आगे कहा कि हमारे विकास मे सिर्फ परिवार ही नहीं बल्कि समाज का भी योगदान है। इसलिए समाज के हर व्यक्ति के बेहतर जिंदगी के लिए संघर्ष करना भी हमारा कर्तव्य है। छोटी सी उम्र में उच्च शिक्षा हासिल करने के बाद 23 साल में सरपंच के रूप में प्रशासनिक और समाजिक चुनौतियों का अनुभव को साझा किया और उसमें समाधान के लिए शिक्षा को महत्वपूर्ण बताया। नारी सशक्तिकरण विषय पर सयुंक्त राष्ट्र संघ में देश का प्रतिनिधित्व करनी वाली रेखा पेंद्राम ने कोदो कुटकी को सशक्त करके महिलाओ को स्वरोजगार के लिए प्रोत्साहित किया।

गोंडी चित्रकला भी स्वरोजगार में है सहायक

मेकलसुता मे राजनीति शास्त्र की सहायक प्रध्यापक निशाद अरशी ने महिलाओं के शिक्षा पर जोर दिया। मध्यप्रदेश की पहचान गोंडी चित्रकला की चित्रकार श्रीमती चंपी श्याम ने चित्रकला, चित्रकारिता से स्वरोजगार पर अपना वक्तव्य दिया। परियोजना अधिकारी नीतु तिलगाम ने महिलाओं से संबंधित शासकीय योजनाओ एवं आदिवासी समाज की महिलाओ की स्थिति पर अपना वक्तव्य रखा। वरिष्ठ समाज सेविका पुष्पा तेकाम ने अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस का इतिहास बताते हुए महिला शिक्षा आंदोलन में सावित्रीबाई फुले एवं अबेंडकर जी के योगदान पर प्रकाश डाला। कार्यक्रम में कौशल्या मरावी, रोशनी पाल, बबीता मरावी, डॉ.दिग्विजय मरावी और अध्यक्ष इंद्रपाल मरकाम ने महिला दिवस में उपस्थित सभी अतिथियों और नारीशक्तियों को आभार व्यक्त किया। सभी ने आगे बढ़ने के लिए साथ चलने का संकल्प लिया।

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