हम संगठित रहेंगे तो दूर होंगी सामाजिक समस्याएं-दादा हीरा सिंह मरकाम
एकजुट होकर अधिकारों की लड़ाई लड़ें आदिवासी
आदिवासी जीवन ज्योति फाउंडेशन की ओर से रविवार को नदेसर स्थित कटिंग मेमोरियल स्कूल के मैदान में प्रथम आदिवासी महासम्मेलन का आयोजन किया गया। यहां आदिवासी समूहों को देशभर में अनुसूचित जनजाति घोषित करने की मांग की गई। इसके अलावा संवैधानिक अधिकार के प्रति जागरूक करने, सरकार की योजनाओं का लाभ दिलाने, बदले परिवेश में जनजाति संस्कृति को संरक्षित करने पर चर्चा की गई। मंच से ही स्वतंत्रता संग्राम में भाग लेने वाले आदिवासी और आदिवासी मनीषियों के इतिहास के बारे में प्रदेश के विभिन्न पाठ्यक्रमों में शामिल करने की भी मांग की गई।
वाराणसी। गोंडवाना समय।
आदिवासी समुदाय ने रविवार को नदेसर स्थित कटिंग मेमोरियल इंटर कालेज मैदान में प्रथम आदिवासी महासम्मेलन-2020 का आयोजन कर आदिवासी समाज की एकता को मजबूती के साथ रखते हुये सरकार, शासन-प्रशासन को एहसास कराया। आदिवासी महासम्मेलन में आदिवासी समुदाय की एकजुटता के साथ साथ आदिवासियों के लिये संवैधानिक अधिकारों प्रावधानों पर विशेष चर्चा की गई। वहीं आयोजन में प्रमुख वक्ताओं ने कहा कि एकजुटता न होने के चलते समुदाय विकास की ओर नहीं बढ़ सका, मगर अब समय आ गया है कि हम एक होकर अपने अधिकारों की लड़ाई लड़ें।
ताकि सदन में समाज की मांग रखे
अपने समुदाय के लोगों को ज्यादा से ज्यादा संसद और विधानसभा में भेजें, जिससे वे समाज की मांगें वहां रखें। आदिवासी महासम्मेलन में गोंड, चेरो, खरवार, भील, पनिका, ओरांव, अगरिया, शहरिया, फारू आदि जाति के लोग शामिल हुए। इस दौरान आदिवासी समाज के लोगों ने पारंपरिक नृत्य के साथ पूजा भी की।
यह आवाज संसद में देगी सुनाई
आदिवासी महासम्मेलन में विशिष्ट अतिथि के रूप में मौजूद गोंडवाना रत्न दादा हीरा सिंह मरकाम जी ने कहा कि हम संगठित रहेंगे तो सामाजिक समस्याएं दूर होगी। आदिवासी जीवन ज्योति फाउंडेशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष अरविंद कुमार गोंड ने कहा कि पहली बार समाज के लोग संगठित हुए। यह आवाज संसद में सुनाई देगी। सम्मेलन में अखिल भारत वर्षीय गोंड महासभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जे पी शाह, गोंड इंप्लाइज वेलफेयर शाखा वाराणसी, अखिल भारतीय आदिवासी गोंड संघ, आदिवासी चेतना मंच मीरजापुर, अखिल भारतीय विकास परिषद, गोंड इंप्लाइज संस्था बलिया, आदिवासी जीवन ज्योति फांडेशन नोएडा आदि संस्थाओं के लोग शामिल थे। इस अवसर पर अरविंद कुमार गोंड, केएन गोंड, राधेश्याम गोंड, श्याम गोंड, कमलेश बहादुर गोंड, बबलू प्रसाद गोंड, सुनील कुमार, अवधेश, डा. रामनाथ, मनि कुमारी सहित कई अन्य मौजूद थे।
राज्यपाल ने मोबाईल से किया संबोधित
आदिवासी महासम्मेलन में मुख्य अतिथि के रूप में छत्तीसगढ़ की राज्यपाल सुश्री अनुसुइया उईके को आमंत्रित किया गया था लेकिन छत्तीसगढ़ में महामहिम राष्ट्रपति के कार्यक्रम का आयोजन के चलते वे अ
पने निर्धारित कार्यक्रम के तहत वाराणसी नहीं पहुंच पाई लेकिन छत्तीसगढ़ की राज्यपाल सुश्री अनुसुइया उईके ने मोबाइल से ही आदिवासी महासम्मेलन को संबोधित करते हुये कहा कि आदिवासी समुदाय को
संगठित होने के साथ समस्याओं को उठाना होगा। इसके साथ ही वे उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री व उत्तर प्रदेश के राज्यपाल से मिलकर उनके समक्ष आदिवासी समुदाय की समस्याओं को रखेंगी। वहीं उन्होंने यह भी कहा कि समाजिक एकजुटता को और बढ़ाना होगा।
महासम्मेलन में यह उठीं प्रमुख मांगें
चंदौली, भदोही कुशीनगर और संत कबीरनगर में गोंड को अनुसूचित जनजाति में शामिल करने की प्रक्रिया पूरी हो चुकी है, जल्द जारी हो अधिसूचना, केंद्र की तरह प्रदेश में गठित हो अनुसूचित जनजाति आयोग तथा आदिवासी समुदाय की हो भागीदारी, अनुसूचित जनजाति के उत्थान के लिए बढ़ाया जाए बजट, आदिवासी धर्म, संस्कृति एवं इतिहास को विभिन्न पाठ्यक्रमों में किया जाए शामिल, आदिवासी समाज के महापुरुषों की विभिन्न स्थानों पर लगाई जाए प्रतिमा, आदिवासी बाहुल्य क्षेत्रों में संविधान की पांचवीं अनुसूची लागू हो, जाति प्रमाणपत्र जारी करने के दौरान आदिवासी समाज का बंद हो उत्पीड़न, प्राइवेट विद्यालयों व महाविद्यालयों में अनुसूचित जाति के गरीबी रेखा से नीचे जीवनयापन करने वालों को मुफ्त में दी जाए शिक्षा।