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25 अप्रैल से वनोपज संग्रहण का कार्य होगा प्रारंभ

25 अप्रैल से वनोपज संग्रहण का कार्य होगा प्रारंभ

वनोपज संग्रहण, परिवहन और भण्डारण कोविड-19 के सुरक्षा दायरे में होगा 

भोपाल। गोंडवाना समय।
प्रदेश में 25 अप्रैल से वनोपज संग्रहण का कार्य प्रारंभ किया जा रहा है। राज्य शासन ने कोरोना संक्रमण के कारण जारी लॉकडाउन के दौरान लघुवनोपज संग्रहण, प्र-संस्करण, उपचारण, परिवहन, भण्डारण और विपणन कार्यों में संलग्न श्रमिकों और ग्रामीणों को संक्रमण से बचाने के लिए दिशा-निर्देश जारी किए हैं। इन कार्यों के दौरान यदि किसी संग्राहक अथवा वनकर्मी में कोरोना वायरस के लक्षण दिखेंगे, तो उसे तुरंत निकटतम अस्पताल पहुँचाया जायेगा।

मास्क और गमछा के साथ होगा स्वास्थ्य संबंधी निदेर्शों का पालन

प्रमुख सचिव वन श्री अशोक वर्णवाल ने प्रबंध संचालक राज्य लघुवनोपज संघ सहित प्रदेश के सभी संभागायुक्त, पुलिस महानिरीक्षक, कलेक्टर, पुलिस अधीक्षक और मुख्य कार्यपालन अधिकारी, जिला पंचायत से कहा है कि लघु वनोपज के संग्रहण आदि कार्यों में संलग्न कर्मचारी, क्रेता और प्रतिनिधि, श्रमिक और ग्रामीण अनिवार्य रूप से चेहरे को मास्क/ फेसकवर/गमछा/रूमाल/दुपट्टे आदि से ढंग कर रखेंगे। इस दौरान लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग द्वारा 9 अप्रैल, 2020 को जारी स्वास्थ्य संबंधी आदेश का पालन सुनिश्चित किया जाएगा।

जारी होंगे फोटो परिचय पत्र

तेन्दूपत्ता क्रेताओं और उनके प्रतिनिधियों के लिए वन मंडल अधिकारी अथवा प्रबंध संचालक जिला यूनियन द्वारा पूर्व से निर्धारित परिचय-पत्र जारी किए जायेंगे। इस परिचय-पत्र को ही लघु वनोपज संग्रहण, परिवहन, भण्डारण के लिए मान्य किया जाएगा। राजस्व और पुलिस प्रशासन को इन परिचय-पत्रों के संबंध में कलेक्टर द्वारा अवगत कराया जाएगा। न्यूनतम समर्थन मूल्य पर लघु वनोपजों के क्रय के लिए लघु वनोपज संघ द्वारा वन विभाग के माध्यम से आवश्यक व्यवस्थाएँ की जाएंगी।

प्रत्येक केन्द्र, गोदाम पर होगा सेनिटाइजर और साबुन

प्रत्येक संग्रहण एवं भण्डारण केन्द्र और गोदाम पर आवश्यक रूप से सेनिटाइजर और साबुन रखा जाएगा। यहां सभी संबंधित के लिये आने और जाने, दोनों समय 20 सेकण्ड तक हाथ धोकर हाथ सेनिटाइज करना जरूरी होगा।

2-2 मीटर की दूर पर होंगे चूने के घेरे

वनोपज संग्रहण आदि कार्यों में संलग्न सभी व्यक्ति आपस में कम से कम 2 मीटर की दूरी बनाये रखते हुए काम करेंगे। प्रत्येक संग्रहण केन्द पर 2-2 मीटर की दूरी पर चूने का घेरा बनेगा। इन केन्द्रों पर रात में कार्य के लिए उचित प्रकाश व्यवस्था होगी।

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