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क्या डॉ. चिले नहीं चाहते की छात्रों की बात अनुशंसा समिति में रखा जाये ?

क्या डॉ. चिले नहीं चाहते की छात्रों की बात अनुशंसा समिति में रखा जाये ?

सिवनी। गोंडवाना समय।
छिन्दवाड़ा विश्वविद्यालय विधि प्रथम सेमेस्टर के परीक्षा परिणाम में अनिमितताओं बरतने पर मनमानी के आरोप के चलते छात्रों के ज्ञापन पर संज्ञान लिया गया और परीक्षा परिणाम पुनर्विचार करने हेतु समिति के संयोजक डॉ सतीश चिले को बनाया गया है। 

परीक्षा परिणाम को लेकर पुर्नविचार हेतु समिति का गठन 

विधि के एल एल बी प्रथम सेमेस्टर का परीक्षा परिणाम खराब को लेकर छात्रों के लगातार शिकायत तथा ज्ञापन के बाद छिन्दवाड़ा विश्वविद्यालय के कुलपति के निदेर्शानुसार संबंध महाविद्यालयों के कितपय पाठ्यक्रमों के परीक्षार्थियों द्वारा कुलपति को प्रेषित ज्ञापन पर विचार करने हेतु समिति का गठन किया गया है।
         
छिन्दवाड़ा विश्वविद्यालय के कुलपति ने समिति गठित कर मध्यप्रदेश विश्वविद्यालय अधिनियम, विश्वविद्यालय के अध्यादेश क्रमांक 05 एवं 06 के अंतर्गत और मध्यप्रदेश लोक सेवाओं के प्रदान गारन्टी अधिनियम 2010 के अंतर्गत उच्च शिक्षा विभाग के सेवा क्रमांक 21.6 में वर्णित प्रावधानों एवं बार काउंसिल आॅफ इंडिया के निदेर्शों को दृष्टिगत रखते हुए अपनी स्पष्ट एवं विधि सम्मत अनुशंसाएं 02 सप्ताह के अंदर विश्वविद्यालय प्रशासन को सौपेंगी। अब देखना यह है कि डॉ सतीश चिले तथा समिति के सदस्य छात्रहित में क्या अनुशंसा करते है।

छात्रों ने परिक्षा परिणाम को लेकर सौंपा था ज्ञापन 

हम आपको बता दे कि एलएलबी के प्रथम सेमेस्टर के छात्रों ने लगातार परीक्षा परिणाम का विरोध करते हुए रजिस्टर तथा कुलपति पर आरोप लगाते हुआ कहा था कि छिन्दवाड़ा विश्वविद्यालय ने परीक्षा जांच करते समय अनिमितताओं के चलते छात्रों के भविष्य के साथ खिलवाड़ किया है। वही उनके ज्ञापन अनुसार लॉकडाउन के चलते विश्वविद्यालय ने नियम विरुद्ध परीक्षा घोषित किया गया, जो बिल्कुल गलत है।
             छात्रों का  कहना है कि 40 प्रतिशत एग्रीगेट न रखकर 50 प्रतिशत का एग्रीगेट रखा गया जिससे अधिकांश छात्र फैल हो गए। छात्रों द्वारा ज्ञापन उपरांत छिन्दवाड़ा विश्वविद्यालय ने समिति गठित कर डॉ सतीश चिले को संयोजक बनाया गया है लेकिन अभी तक कॉलेज प्रशासन तथा उनकी समिति ने इस पर निर्णय नही लिया। जिससे साफ नजर आ रहा है कि  संयोजक स्वयं नही चाहते कि छात्रों का परीक्षा परिणाम का पुनर्विचार कर पुन: पुनर्मूल्यांकन किया जाए। जिससे छात्रों में काफी आक्रोश दिखने को मिल रहा है ।

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