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आत्मनिर्भरता में बाधा बनी बाजार की कमी व मेहनत की कीमत न मिलना

आत्मनिर्भरता में बाधा बनी बाजार की कमी व मेहनत की कीमत न मिलना 

कविता और बबिता मिट्टी से बना रही सामान पर नहीं मिल रहा सही दाम  

गांव से पलायन का प्रमुख कारण और श्रमिकों की घर वापसी को लेकर फंसी सरकार को कोरोना महामारी के बाद याद आया कि आखिर पलायन की मुख्य वजह क्या है। इसके बाद ही आत्मनिर्भर भारत अभियान, लोकल को व्यापार में प्राथमिकता यह भाषण, कागजों, आदेशों-संदेशों में तो खूब सुनाई दे रहा है लेकिन इसे धरातल पर उतारने के लिये वर्षों से जहां सरकार के द्वारा मेहनत कर हाथ से कलाकार द्वारा बनाई जाने वाली वस्तुओं की कीमत को कम कर मशीनों से बनी हुई सामग्रियों को बाजार उपलब्ध करवाना, सुविधायें देने का काम किया जाता रहा है। कलाकार को दरकिनार किया जाना उन्हें उचित माध्यम से बाजार नहीं उपलब्ध कराने के कारण उनकी मेहनत की कीमत भी नहीं निकल पाती है, कई बार तो उनके हाथों से बनाई गई सामग्री कई महिनों तक रखी रह जाती है और खराब हो जाती है। जिसका नुकसान भी कलाकार को ही सहना पड़ता है। अब कोरोना संकट के दौरान सरकार लोकल को महत्व देने और आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में जाग्रत होकर जागृति फैलाने का काम तो कर रही है लेकिन क्या इन्हें उनकी मेहनत की कीमत वास्तव में मिल पायेगी यह साबित होना अभी बाकी है।  

सिवनी। गोंडवाना समय। 
कोई भी प्रतिभा का जन्म शहर, जाति, पद, अमीरी देख कर नहीं होती यह तो प्रकृति शक्ति का उपहार स्वरूप बहुत कम लोगों को मिलता है। जिसे लगन और मेहनत से कोई भी आम खास में बदल सकता है। ऐसा कुछ ही है सिवनी जिले के उगली ग्राम के रहने वाले कुम्हार जाति के राम किशोर के परिवार में मौजूद दो बेटियां है। वैसे तो इनका मुख्य व पुश्तैनी काम मिट्टी को आकार दे कर बर्तन बनाना और बेचना है।

कला से देती है सुंदर और आकृषक आकार 

राम किशोर कुम्हार के परिवार में जन्मी 2 बेटी कविता और बबिता ने अपनी लगन और मेहनत से मिट्टी को सुंदर कलाकृति का आकार दे कर उन्हे जीवित कर दिया है। उनकी बनाई गई मिट्टी की सामग्री बहुत सुंदर और आकृषक होती है। यह बात अलग है की इनकी प्रतिभा और मेहनत का इन्हें उतना लाभ नही मिलता है। गर्मी के मौसम में बिकने वाले मटके से ले कर फ्रीज, पोट, कप, गमले, पीकी बैंक बना तो लेते है लेकिन इनके बिकने का इंतजार ज्यादा करना पड़ता है। 

बाजार की उपलब्ध मिले तो अच्छा काम सकते है

गरीबी, प्रचार और बाजार की उपलब्धता के अभाव में कॉलेज में शैक्षणिक अध्ययन करने वाली कविता कहती है कि हमे सरकार बाजार की सुविधा और विक्रय हेतु प्लेटफ्रॉम उपलब्ध कराकर कीमत दे तो हम और अच्छा काम कर के दिखा सकते है। इनका छोटा भाई स्कूल में है वह भी शानदार कृति बनाता है। आत्मनिर्भर की बात करने वाले, लोकल को महत्व देने की बात करने वालों की जिम्मेदारी है कि वे इन्हें बाजार व कीमत उपलब्ध कराकर व्यापार बढ़ाने में सहयोग करें तो आत्मनिर्भरता की कल्पना सच हो सकती है।

ताकि इनकी मेहनत और प्रतिभा मिले सम्मान और दाम 

उगली में झंडा चौक पर सड़क किनारे यह कला कृतियाँ रखी हुई है। यदि जो भी उस क्षेत्र में आप जरूर देखे और अपने उपयोग के अनुसार सामग्री जरूर खरीदे। वहीं गांव की होनहार बेटियों के लिए सरकार भी इनकी प्रतिभा के बारे मे जरूर खबर करे ताकि इनकी मेहनत और प्रतिभा को सही मंच और सही दाम के साथ सम्मान भी मिल सके।

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