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वी.एस. ठाकुर पर विशेष मेहरबानी दिखा रहा अस्पताल प्रशासन

वी.एस. ठाकुर पर विशेष मेहरबानी दिखा रहा अस्पताल प्रशासन 

कलेक्ट्रेट कार्यालय को भी गुमराह कर रहे अस्पताल के सेटिंगबाज 

पूरे खेल में अस्पताल के बड़े से लेकर छोटे अधिकारी सभी समिल्लित होने का आरोप 


सिवनी। गोंडवाना समय।

जिला चिकित्सालय में जहां रोगी कल्याण के लिए अनेक योजनाए चलाई जा रही है। वही इसमें से सबसे आवश्यक और बड़ी सेवाओं में भोजन व्यवस्था है। जहां भोजन व्यवस्था की पूरी जिम्मेदारी श्री वी.एस. ठाकुर को दी गई है। ये काम उनके द्वारा पिछ्ले कई वर्षों से किया जा रहा है और बताया जाता है कि उनके द्वारा सभी को खुश भी रखा जाता है। 

किसी युवा को दी जाती तो शायद उसका घर चल पाता

आंनद मिश्रा द्वारा जारी समाचार में कहा कि आश्चर्यजकनक बात ये है कि श्री वी.एस. ठाकुर जहां 70 वर्ष की उम्र पर कर चुके है और जिला चिकित्सालय से डाइटीशियन के पद से सेवा निवृत्त हुए है। इसके बाद भी रोगी कल्याण समिति द्वारा उन्हें संविदा के आधार पर रख गया है, जबकि जिला चिकित्सालय में वर्तमान में महिला डाइटीशियन के पद पर नियुक्त है। दूसरी ओर संविदा की शर्तों और सामान्य सेवा शर्तों के अधीन 65 वर्ष की आयु के पश्चात संविदा या अन्य किसी प्रकार से शासकीय सेवाएं लेने का अधिकार केवल विशेष परिस्थितियों में है जो वर्तमान में दिखाई नही देती। जिले में बहुत बेरोजगारी है तो ये संविदा यदि किसी युवा को दी जाती तो शायद उसका घर चल पाता जो पैसे सेवानिवृत्त पेंशन धारी शासकीय कर्मचारी को दिया जा रहा है। 

शासकीय आवास नहीं कर रहे खाली 

सेवानिवृत्त होने के पश्चात शासकीय कर्मचारी को शासकीय अवकाश छोड़ना होता है तभी उसे ग्रेज्युटी और बाकी राशियां मिलती है। सेवानिवृत होने के 10 वर्ष हो चुके है परंतु वी.एस. ठाकुर के द्वारा अब तक जिला चिकित्सालय में शासकीय आवास नही छोड़ा गया है, इसके बाद भी उनकी सारी राशि उन्हें दे दी गई। अब हालात ये है कि सी. एम. एच.ओ.  द्वारा कई रिमाइंडर दिए जाने पर भी उनके द्वारा आवास नही खाली किया जा रहा है। 

भोजन व्यवस्था की लाखों की खरीदी की जिम्मेदारी 

अब सोचनीय विषय है कि सेवानिवृत्त होने के बाद, रोगी कल्याण समिति के द्वारा नियुक्त व्यक्ति जिला चिकित्सालय की सारी भोजन व्यवस्था की लाखों की खरीद कर रहे है। कहा जाता है साहब द्वारा सभी को सेट कर रखा गया है जिसके कारण कोई कुछ नही बोलता और यदि बोलता है तो सुनवाई नहीं होती। चर्चा ये भी है कि कलेक्टर क्यूंकि साल दो साल सिवनी में रहते है इस कारण नोट शीट पर ध्यान नही दे पाते और इस सारे गोरखधंधे में बिना जाने शामिल हो जाते है उन्हें पता ही नही होता कि एक सेवानिवृत व्यक्ति रोगी कल्याण समिति के द्वारा इस तरह निरंतर रखा जा रहा है। इस पूरे खेल में अस्पताल के बड़े से लेकर छोटे अधिकारी सभी समिल्लित दिखाई देते है।


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