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चरवाहा डॉक्यूमेंट्री फिल्म में चरवाहे की जीवन शैली और परेशानियों को गंभीरता से किया गया प्रदर्शित

चरवाहा डॉक्यूमेंट्री फिल्म में चरवाहे की जीवन शैली और परेशानियों को गंभीरता से किया गया प्रदर्शित 

'दिलीप यादव' हेल्थ वर्कर प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र उगली ने बनाया डॉक्यूमेंट्री फिल्म 


सिवनी। गोंडवाना समय।

चरवाहा के जीवन शैली को प्रदर्शित करती फिल्म, चरवाहा एक ऐसा समुदाय है जो ग्रामीण क्षेत्रों में पशुओं को चराने का कार्य करते हैं। चरवाहा मतलब वह व्यक्ति जो दूसरे के पशुधन को चराकर अपनी जीविका चलाता है। साल भर हर मौसम में बिना छुट्टी लिए वह पूरे गांव के गाय, भैंस आदि को सुबह से शाम तक जंगलों में चराता है। उसका पूरा जीवन जंगलों में जानवरों के बीच गुजरता है। बरसात, ठंड, गर्मी में जंगलों में हमारे पशुधन की रक्षा करता है। बदले में उसे सिर्फ अनाज मिलता है। उसका और उसके पूरे परिवार का जीवन गरीबी और लाचारी में गुजरता है। चरवाहा डाक्यूमेंट्री फिल्म के माध्यम से चरवाहा की जीवन शैली और परेशानियों को गंभीरता से दिखाया गया है। सोशल मीडिया पर ये फिल्म काफी सुर्खियां बटोर रही है। दर्शक इस फिल्म को काफी पंसद कर रहे है। 6 मिनट 28 सेकेंड की इस फिल्म की प्रस्तुति में दिलीप यादव ने चरवाहा के जीवन शैली और समस्याओं को दिखाया है।

सारा जीवन पशुधन की परवरिश में गुजार देते है

चरवाहे का जीवन कठिनाइयों से भरा हुआ है। चरवाहा फिल्म के माध्यम से चरवाहे समुदाय को फोकस किया गया है, जो जिंदगी भर अपना सारा जीवन पशुधन की परवरिश में गुजार देते है। किसी ने कभी सोचा भी नहीं होगा की इस ओर किसी का ध्यान आकर्षित होगा लेकिन उगली के रहने वाले दिलीप यादव ने अपनी डॉक्यूमेंट्री फिल्म चरवाहा के माध्यम से इनकी जीवन की परेशानियों को गंभीरता से प्रदर्शित किया है। दिलीप यादव ने पूर्व में निरोगी काया, मलेरिया व मेरी शाला मेरी जिम्मेदारी सामाजिक विषय पर वृत चित्र का निर्माण कर चुके है।


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