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''सशक्त महिलाएँ आत्मनिर्भर मध्यप्रदेश'' की परिकल्पना हो रही साकार

 


''सशक्त महिलाएँ आत्मनिर्भर मध्यप्रदेश'' की परिकल्पना हो रही साकार 

स्वसहायता समूह के माध्यम से आर्थिक गतिविधियों से जुड़ रहीं महिलाऐं 


सिवनी। गोंडवाना समय।
 

वैश्विक कोरोना वायरस संक्रमण के कारण उत्पन्न विपरीत परिस्थितियों में प्रभावित हुए छोटा-मोटा व्यवसाय करने वालो एवं उद्योगों को पुन: उनकी व्यवसायिक गतिविधियों से जोड़ने के लिए को प्रदेश शासन द्वारा विभिन्न योजनाओं के माध्यम आर्थिक सहायता देने के सतत प्रयास किये जा रहें हैं। जो मैदानी स्तर में निश्चित रूप से कल्याणकारी सिद्ध हो रही हैं। जिसका लाभ प्रदेश की महिलाऐं/बेटियाँ भी प्राप्त कर रही हैं तथा शासन द्वारा प्रदत्त मदद से सब्जी-फल विक्रय करना, चाट की दुकान, ब्यूटी पार्लर, सिलाई कढ़ाई कार्य, वस्त्र व्यवसाय, गाय-भैंस-बकरी पालन, मुर्गी पालन, खिलौने की दुकान, मनिहारी व्यवसाय आदि की दुकान संचालित कर रही हैं तथा परिवार के भरण पोषण में स्तंभ बनकर बेहतर जीवन-यापन व्यतीत कर रही हैं।

इस ऋण राशि का उपयोग पशु पालन गतिविधियों में करेंगी

प्रदेश शासन की राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन अंतर्गत गठित स्व-सहायता समूह एक ऐसी कल्याणकारी योजना है जिसके माध्यम से बहु संख्या में प्रदेश की महिलाऐं/बेटियाँ समूह बनाकर प्रदेश शासन द्वारा प्रद्त आर्थिक सहायता लेकर स्वयं का व्यवसाय कर लाभांवित हो रही हैं। इसी क्रम में विगत 23 नवम्बर 2020 को ''सशक्त महिलाएँ आत्मनिर्भर मध्यप्रदेश'' कार्यक्रम तहत प्रदेश के स्व-सहायता समूहों के सदस्यों को 150 करोड़ रुपये का बैंक ऋण वितरित किया। जिसमें जिले के ग्राम खिरखिरी की ओम स्वसहायता समूह की महिलाएं भी लाभांवित हुई जिन्हें स्वरोजगार उद्देश्य हेतु 1 लाख रुपए का ऋण प्रदान किया गया। जिससे इस समूह की सभी महिलाए उत्साहित हैं। समूह की अध्यक्ष श्रीमती विमला बाई डहेरिया कहती हैं कि शासन से मिली 1 लाख रुपए की सहायता उनके व उनके समूह के लिए निश्चित सहायक सिद्ध होगी। इस ऋण राशि का उपयोग पशु पालन गतिविधियों में करेंगी। जिससे उन्हें अच्छी आय होने का अनुमान है। 


 

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