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गोंगपा राष्ट्रीय महासचिव ने पेसा अधिनियम 1996 और वन अधिकार अधिनियम 2006 के समस्त प्रावधानों को धरातल पर अक्षरश: लागू करने मुख्यमंत्री को लिखा पत्र

गोंगपा राष्ट्रीय महासचिव ने पेसा अधिनियम 1996 और वन अधिकार अधिनियम 2006 के समस्त प्रावधानों को धरातल पर अक्षरश: लागू करने मुख्यमंत्री को लिखा पत्र 

मध्यप्रदेश स्वयं एक अनुसूचित जनजाति बाहुल्य राज्य हैं एवं पेसा अधिनियम के आधार स्तंभ पांचवीं अनुसूची (अनु-244 (1)) के तहत अनुसूचित क्षेत्र हैं

जनजातियों की अपनी रूढ़ी, प्रथा, रीति-रिवाज, संस्कृति, परम्पराए, मान्यताएं, प्रकृतिसम्मत व्यवस्था व सांस्कृतिक पहचान हैं




मध्य प्रदेश । गोंडवाना समय।

गोंडवाना गणतंत्र पार्टी राष्ट्रीय महासचिव तिरू श्याम सिंह मरकाम ने मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के नाम पेसा अधिनियम 1996 और वन अधिकार अधिनियम 2006 के समस्त प्रावधानों को धरातल पर अक्षरश: लागू करने के लिये पत्र के माध्यम से ध्यानाकर्षण कराते हुये उल्लेख किया है कि वर्तमान में सम्पूर्ण भारत के साथ-साथ मध्यप्रदेश में भी जनजातियों के हितार्थ पेसा अधिनियम 1996 और वन अधिकार अधिनियम 2006 के प्रावधानों का अक्षरश: लागू नहीं किया जाना मूलत: जनजातीय हितों के प्रतिकूल हैं।

गोंडवाना समय अखबार में प्रकाशित खबर का दिया हवाला 


आगे पत्र में गोंडवाना गणतंत्र पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव व प्रभारी मध्य प्रदेश तिरू श्याम सिंह मरकाम ने पत्र उल्लेख करते हुये मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान जी कि प्रतिकूल स्थिति आपके भी संज्ञान में हैं, इसलिए आपने कहा हैं कि अन्य राज्यों में लागू पेसा अधिनियम के कार्यक्रम एवं नियमों का अध्ययन कर मध्यप्रदेश में लागू करेंगे इस संंबंध में गोंडवाना गणतंत्र पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव व प्रभारी मध्य प्रदेश ितरू श्याम सिंह मरकाम ने

दैनिक अखबार 'गोंडवाना समय' दिनांक 24/12/2020 में प्रकाशित खबर का हवाला देते हुये उल्लेख किया है कि मैं आपको अवगत कराना चाहूंगा कि मध्यप्रदेश स्वयं एक अनुसूचित जनजाति बाहुल्य राज्य हैं एवं पेसा अधिनियम के आधार स्तंभ पांचवीं अनुसूची (अनु-244 (1)) के तहत अनुसूचित क्षेत्र हैं। जहाँ पर जनजातियों की अपनी रूढ़ी, प्रथा, रीति-रिवाज, संस्कृति, परम्पराए, मान्यताएं, प्रकृतिसम्मत व्यवस्था व सांस्कृतिक पहचान हैं। जो जनजातीय समुदायों की विशिष्टता को व्यक्त कर देश की अनेकता में एकता को प्रदर्शित करता हैं। जिसकी विकास व सुरक्षा करना सरकार के लिए संवैधानिक रूप से अपरिहार्य हैं।

दुर्भाग्य हैं कि आज तक पेसा अधिनियम का जमीनी स्तर पर पालन नही किया गया 

वहीं गोंगपा राष्ट्रीय महासचिव व मध्य प्रदेश प्रभारी तिरू श्याम सिंह मरकाम ने पेसा अधिनियम 1996 और वन अधिकार अधिनियम 2006 के समस्त प्रावधानों को धरातल पर अक्षरश: लागू करने मुख्यमंत्री को पत्र के माध्यम से कुछ सुझाव बिंदुवार में प्रस्तुत किया है। जिसमें बिंदु क्रमांक 1 में उन्होंने मुख्यमंत्री को ज्ञात कराते हुये उल्लेख किया है कि पेसा अधिनियम 1996 को सर्व दलों की सर्वसम्मति से पारित किया गया हैं लेकिन जब भी पेसा अधिनियम के परिपालन की बात आती हैं, तब शासन-प्रशासन जमीनी स्तर में पूरी तरह से निष्क्रियता प्रदर्शित करती हैं। यह मध्यप्रदेश के लिए बहुत बड़ा दुर्भाग्य हैं कि आज तक पेसा अधिनियम का जमीनी स्तर पर पालन नही किया गया हैं और आपका यह कथन कि अन्य राज्यों में पेसा अधिनियम के कार्यक्रमों का अध्ययन कर मध्यप्रदेश में लागू करेंगे। आपके सर्वाधिक लंबे (लगभग13 वर्ष) मुख्यमंत्रित्व कार्यकाल में आपका आज संज्ञान लेना बहुत ज्यादा निराशाजनक व हास्यपद प्रतीत होता हैं, 

ग्राम सभाओं को केवल कागजी कार्यवाही तक ही सीमित कर दिया गया 

वहीं दूसरे बिंदु पर गोंगपा के राष्ट्रीय महासचिव तिरू श्याम सिंह मरकाम ने मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान को ध्यानाकर्षण व सुझाव देते हुये उल्लेख किया कि आप प्रदेश के ग्राम पंचायतों और ग्राम सभा के हालातों से भली भांति परिचित हैं। नियमित समीक्षा के अभाव में वर्तमान में ग्राम सभाओं को केवल कागजी कार्यवाही तक ही सीमित कर दिया गया हैं, जबकि पेसा अधिनियम में पंचायत और ग्राम सभा में भिन्नता स्पष्ट बताई गई हैं।                 पेसा अधिनियम में ग्राम सभा को परिभाषित कर इसमें गांव की मतदाता सूची के सभी व्यक्तियों को सम्मिलित किया गया हैं। (धारा 4 स) जो कि ग्राम पंचायत की तुलना में यह कहीं अधिक प्रतिनिधित्व व शक्तिशाली इकाई हैं, जबकि ग्राम पंचायत में केवल कुछ ही निर्वाचित व्यक्ति होते हैं। इस कानून ने छोटी इकाई पंचायत को ग्राम सभा के प्रति जवाबदेह एवं उत्तरदायी बना दिया है।
              जबकि आज ग्राम सभा के नाम पर बैठक आहूत न कर केवल सरपंच और सचिव के हस्ताक्षर कर बाकी लोगो के फर्जी हस्ताक्षर से ज्यादातर ग्रामों में कार्य किया जा रहा हैं,(यह अतिरिक्त जांच का विषय हैं) जिसमें प्रशासन की निष्क्रियता व स्पष्ट मिली भगत का होना प्रतीत होता हैं।

अनुसूचित क्षेत्रों में जनजातियों के हक और अधिकारों का बेखौफ शोषण हो रहा 

वहीं तीसरे बिंदु पर गोंगपा के राष्ट्रीय महासचिव तिरू श्याम सिंह मरकाम ने मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान को ध्यानाकर्षण व सुझाव देते हुये उल्लेख किया कि ग्राम सभा को ग्राम पंचायत से ऊपर बताया गया हैं परन्तु पंचायत चुनाव में चुने हुए प्रतिनिधि के द्वारा ही ग्राम सभा की कार्यवाही में हिस्सा लिया जाता हैं, जो पेसा अधिनियम के प्रावधानों के प्रतिकूल है।
            इन सभी वजह से कूटरचित दस्तावेजों का उपयोग कर  अधिकांश जनजातियों के स्वामित्व की भूमि अन्य वर्ग को बेची जा रही हैं, ग्रामों में खनिजों का अवैध व अत्यधिक दोहन किया जा रहा हैं, परियोजनाओं के नाम पर जंगलों को नष्ट किया जा रहा हैं, अनुसूचित क्षेत्रों में जनजातियों के हक और अधिकारों का बेखौफ शोषण हो रहा हैं, एवं प्रायोजित तरीके से विभिन्न प्रकरणों पर जनजातिय व्यक्तियों की संलिप्तता दर्शाकर झूठे मुकदमा कायम किये जा रहे हैं।
        जिससे संपूर्ण जनजाति समुदाय व्यथित व सरकार से ठगा सा महसूस कर रहा हैं। इन सभी गतिविधियों में शासन-प्रशासन व सरकार का मौन धारण करें रखना, शोषण करने वालों के प्रति कठोर कार्यवाही न कर चुप्पी साध लेना, शोषण एवं दोहन कतार्ओं के प्रति संरक्षणात्मक रवैया को प्रदर्शित करता हैं।

पुन: कागजी कार्यवाही और खाना पूर्ति न रह जाए, इस बात की चिंता भी हैं

गोंडवाना गणतंत्र पार्टी द्वारा संपूर्ण राज्यों में विस्तृत रूप से चलाये जा रहे हक अधिकार का आंदोलन '' माटी सत्याग्रह '' के आधार/प्रभाव से राज्य सरकार द्वारा उठाये जा रहे कदम निश्चित ही प्रभावकारी होंगे, परन्तु ये सब पुन: कागजी कार्यवाही और खाना पूर्ति न रह जाए, इस बात की चिंता भी हैं।
        उपरोक्त दर्शित समस्त बिंदुओं पर चिंतन विचार व समुचित कार्यवाही पर ध्यानाकर्षण के साथ समुचित सकारात्मक कार्यवाही की प्रत्याशा में पत्र आपके ओर सादर प्रेषित करते हुये तिरू श्याम सिंह मरकाम ने मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से पत्र के माध्यम से अंत में उल्लेख किया है कि आपके मूल्यवान व्यस्तम समय में इस पत्र को पढ़ने के लिए अनेकानेक धन्यवाद भी दिया है। 


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