हमने क्या मुद्दे कैसे उठाए हैं, इसके बारे में गलतबयानी ना करें और पूरे सरकारी तंत्र का इस्तेमाल कर किसानों के खिलाफ दुष्प्रचार बंद करें
40 किसान संगठन के नेताओं की ओर से संयुक्त किसान मोर्चा ने केंद्र सरकार को भेजी चिट्ठी
अगली मीटिंग के लिए 29 दिसंबर की तारीख का रखा गया प्रस्ताव
नई दिल्ली। गोंडवाना समय।
तीन कृषि कानून को रद्द कराने की मांग को लेकर कपकपाती ठण्ड में प्रारंभ हुआ आंदोलन अभी भी निरंतर जारी है। वहीं केंद्र सरकार के द्वारा किसान बिल को जहां किसान हितेषी बताया जा रहा है वहीं किसान संगठन तीनों कृषि कानूनों को किसान विरोधी बताते हुये अभी दिल्ली में धरना प्रदर्शन कर डटे हुये है और अपनी मांगों को लेकर अड़े हुये है।
नया साल का जश्न जनता किसानों के साथ धरना स्थल पर मनाये
संयुक्त किसान मोर्चा की ओर से जारी विज्ञप्ति में जानकारी देते हुये बताया कि 25, 26, 27 के बाद भी पंजाब और हरियाणा में टोल प्लाजा किसानों द्वारा खुले रखे जाएंगे की बात उन्होंने कहा था। वहीं संयुक्त किसान मोर्चा की तरफ से केंद्र सरकार को चिट्ठी लिख के अगली मीटिंग के लिए 29 दिसंबर की तारीख का प्रस्ताव रखा गया है। यदि इस मीटिंग में सकारात्मक नतीजा नहीं निकलेगा तो किसान ट्रैक्टर ट्रॉलियों के साथ कुंडली मानेसर पलवल हाईवे पर 30 दिसंबर को मार्च करेंगे।
किसान संगठनों ने सभी देशवासियों से आह्वान करते हुये कहा हैं कि वे 1 जनवरी को नया साल किसानों के साथ सभी धरनों पर आकर मनाएं। वहीं किसान संगठन द्वारा यह भी कहा गया है कि यदि सरकार हमारी मांगें नहीं मानती है तो किसान संगठन 1 जनवरी के बाद संयुक्त किसान मोर्चा की मीटिंग कर के कोई बड़ा फैसला ले सकते हैं।
केंद्र सरकार को किसान संगठन ये भेजी चिट्ठी
40 किसान संगठनों के नेता के द्वारा संयुक्त किसान मोर्चा के माध्यम से भारत सरकार से तीन कृषि कानूनों को निरस्त करने के लिए चल रही वार्ता को किसान संगठन के द्वारा श्री विवेक अग्रवाल, संयुक्त सचिव, सीईओ, पीएम किसान, कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय भारत सरकार को चिठ्ठी भेजा है। जिसमें उन्होंने दिनांक 24 दिसंबर 2020 का पत्र (संख्या 09/2020) प्राप्त होने का हवाला देते हुये उल्लेख किया है कि अफसोस है कि इस चिठ्ठी में भी सरकार ने पिछली बैठकों के तथ्यों को छिपाकर जनता को गुमराह करने की कोशिश की है। हमने हर वार्ता में हमेशा तीन केंद्रीय कृषि कानूनों को निरस्त करने की मांग की।
सरकार ने इसे तोड़ मरोड़ कर ऐसे पेश किया, मानो हमने इन कानूनों में संशोधन की मांग की थी। हमने पहली बातचीत से ही लगातार एमएसपी का मुद्दा उठाया लेकिन सरकार ऐसे दिखाती है मानो हम इस मुद्दे को पहली बार उठा रहे हैं। आप अपनी चिठ्ठी में कहते हैं कि सरकार किसानों की बात को आदरपूर्वक सुनना चाहती है। अगर आप सचमुच ऐसा चाहते हैं तो सबसे पहले वार्ता में हमने क्या मुद्दे कैसे उठाए हैं, इसके बारे में गलतबयानी ना करें और पूरे सरकारी तंत्र का इस्तेमाल कर किसानों के खिलाफ दुष्प्रचार बंद करें।
29 दिसंबर को बैठक में ये रखे जाये एजेंडा
बहरहाल, चूंकि आप कहते हैं कि सरकार किसानों की सुविधा के समय और किसानों द्वारा चुने मुद्दों पर वार्ता करने को तैयार है, इसलिए हम संयुक्त किसान मोर्चा की ओर से सभी संगठनों से बातचीत कर निम्नलिखित प्रस्ताव रख रहे हैं।
हमारा प्रस्ताव यह है कि किसानों के प्रतिनिधियों और भारत सरकार के बीच अगली बैठक 29 दिसंबर 2020 को सुबह 11 बजे आयोजित की जाये। बैठक का एजेंडा निम्नलिखित और नीचे दिए क्रम में होना चाहिये यह चिठ्ठी में 40 किसान संगठनों के नेता के द्वारा संयुक्त किसान मोर्चा के माध्यम से किया गया है। जिसमें 1. तीन केंद्रीय कृषि कानूनों को रद्द/निरस्त करने के लिए अपनाए जाने वाली क्रियाविधि, 2. सभी किसानों और कृषि वस्तुओं के लिए राष्ट्रीय किसान आयोग द्वारा सुझाए लाभदायक एमएसपी पर खरीद की कानूनी गारंटी देने की प्रक्रिया और प्रावधान, 3. राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र और आसपास के क्षेत्रों में वायु गुणवत्ता प्रबंधन के लिए आयोग अध्यादेश, 2020 में ऐसे संशोधन जो अध्यादेश के दंड प्रावधानों से किसानों को बाहर करने के लिए जरूरी हैं, 4. किसानों के हितों की रक्षा के लिए 'विद्युत संशोधन विधेयक 2020' के मसौदे में जरूरी बदलाव। किसान संगठनों ने चिठ्ठी लिखकर कहा है कि हम फिर दोहराना चाहते हैं किसान संगठन खुले मन से वार्ता करने के लिए हमेशा तैयार रहे है और रहेंगे।