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राज्यपाल सुश्री अनुसुइया उईके को कोयतूरियन वैश्विक संकेत के रूप में मूंगी, फूंदरा, ककैय, मुडमुंजनी, चलंगी की गई ससम्मान भेंट

राज्यपाल सुश्री अनुसुइया उईके को कोयतूरियन वैश्विक संकेत के रूप में मूंगी, फूंदरा, ककैय, मुडमुंजनी, चलंगी की गई ससम्मान भेंट 

भेंटकर्ताओं को राज्यपाल ने इनको दरबार हाल में स्थान देने की बात कही 


मंडला। गोंडवाना समय। 

मूलवासी सेवा समिति, चीताखदरा मुड़िया पाट छिंदीगढ़ (मवई) की टीम व अन्य समाजिक संगठनों के सगाजनों की मौजूदगी में मण्डला के कान्हा किसली में अपने 3 दिवसीय प्रवास पर पहुंची छत्तीसगढ़ की राज्यपाल सुश्री अनुसुईया जहां बैगा जनजाति समुदाय के घर पहुंचकर उनसे चर्चा किया।


वहीं राज्यपाल सुश्री अनुसुइया उईके जी को इस दौरान कोयतूरियन वैश्विक संकेतों मूंगी, फूंदरा, ककैय, मुडमुंजनी, चलंगी की भेंट किया गया। उपरोक्त चीजों के विषय में राज्यपाल से चर्चा कर इन चीजों को सुरक्षित रखने और अपनी पहचान को बनाए रखने में इनके योगदान पर भी चर्चा हुई। महामहिम राज्यपाल ने इनको दरबार हाल में स्थान देने की बात कही है। इसके साथ ही मवई क्षेत्र में आने का प्रयास करने का भी वादा किया। इस दौरान उन्होंने राज्यसभा सांसद तिरूमाय संपतिया उइके से योजना बनाने के लिए कहीं।

मूंगी बैगा जनजातिय महिलााओं द्वारा पहना जाने वस्त्र 

जनजातियों का विशेष परिधानों में एक विशेष रूप से बैगा जनजाति के महिलाओं द्वारा पहनी जाती है, मूंगी बहुत ही मुलायम आरामदायक कपड़ा होता है जो बैगा जनजाति की महिलाओं के द्वारा इसे दैनिक जीवन में प्रयोग करते हैं यह वस्त्र विवाह में पहना जाने वाला विशेष परिधानों में एक है सामान्य तौर पर इस कपड़े के बिना विवाह संभव नहीं है। मूंगी कपड़े का एक प्रकार है जिसमें बगरा, चक्धडिया और चौखाना भी शामिल है। मूंगी बैगा जनजातिय महिलाओं द्वारा पहने जाने वाली कपड़ों में सबसे मंहगा वस्त्र है, जो बाजार में 1200 से 3000 तक में प्राप्त होता है। इन वस्त्रों का निर्माण हमारे कोयतूर समुदाय के ही पनिका जनजाति जो वर्तमान में अपने मूल व्यवसाय और पहचान को छोड़ने के कारण एक जाति बन गया है, जबकि पनिका जनजाति गोंडवाना में कोयतूरों के लिए वस्त्र निर्माण की जिम्मेदारी निभाता था। उम्मीद है पनिका जनजाति अपने व्यवसाय और पहचान को बनाए रखने का प्रयास कर गोंडवाना की बानी व्यवस्था को मजबूत करेगा। 

फूंदरा सौंदर्य को बढ़ावा देने के लिए सिर में लगाया जाता है

फूंदरा कोयतोरीयन महिलाओं के द्वारा श्रंगार को बढ़ाने के लिए प्रयोग किया जाने वाला वस्त्र जो हमारी व्यवस्था में महिलाओं के सौंदर्य को बढ़ावा देने के लिए सिर में लगाया जाता है। फूंदरा अर्थात कपड़े से बना फूलों का गुलदस्ता के रूप में समझ सकते हैं जिसे महिलाओं के द्वारा श्रंगार के रूप बालों में लगाते हैं, जिससे अपने सुंदर के साथ साथ बालों की सुंदरता को बढ़ाते हैं। फूंदरा का प्रयोग नचगार लोग भी अपने कलंगी में करते हैं। 

ककैय का निर्माण कोयतूरों सहीस जनजाति के द्वारा किया जाता है

ककैय दुनिया का पहला कंघी जिसका प्रयोग हमारे कोयतोरियन समुदाय के विकास क्रम के साथ जुड़ा हुआ रहा है, ककैय हमारे गोटूल व्यवस्था का अनिवार्य हिस्सा रहा है, जो हमारे दैनिक जीवन में बालों को संवारने में प्रयोग किया जाता रहा है। ककैय का निर्माण कोयतूरों सहीस जनजाति के द्वारा किया जाता है, जो बांस से तैयार करते हैं, ककैय वर्तमान में अपने मूल रूप को बरकरार रखने हेतु संघर्ष कर रहा है। जिसे बचाना बहुत जरूरी है जबकि यह हमारे गोटुल ज्ञान की परंपरा को जीवित रखा हुआ है।

मुडमूंजनी दुनिया का पहला सैंपू

मुडमूंजनी दुनिया का पहला सैंपू जिसका प्रयोग कोयतूर अपने विकास क्रम के प्रारंभिक काल से कर रहा है जिसका विकल्प वर्तमान हाई ब्रांड सैंपू भी नहीं बन पाया है। मुडमुंजनी कोयतूर समुदाय का वैश्विक संकेतों में से एक है जो मानवीय विकास क्रम से चल रहा है। यह बहुत ही प्राकृतिक और मुलायम पदार्थ बालों को साफ करने के लिए और शरीर में पोषक तत्व की कमी के चलते कुछ लोग बहुत ही अल्प मात्रा में खाते भी हैं। यह शारीरिक संतुलन बनाए रखने में मदद करता है। जिसे कुछ जानवर भी खाते हैं। मुडमुंजनी जैसे की नाम से ही समझ आता है सिर को साफ करने वाला पदार्थ है। 

चलंगी कोयतोरियन समुदाय का बांस से निर्मित बर्तन

कोयतोरियन समुदाय का बांस से निर्मित बर्तन जिसका प्रयोग कोयतूर अपने विकास क्रम के प्रारंभिक काल से कर रहा है। चलंगी हमारे समुदाय का वैश्विक संकेतों में से एक है जिसका प्रयोग कोयतूर अपने दैनिक जीवन में समाग्री संग्रह और वस्तु विनिमय हाटुम में करते रहे हैं। चलंगी आधुनिक समय में भी मानवीय विकास को चेलेंज कर रहा है और विकास को आईना दिखा रहा है कि बेहतर कौन ? उपरोक्त वस्तु कोयतूरों के लिए वर्तमान में भी उतनी ही आवश्यक है जितनीअपने प्रारंभिक काल में थी। इसे बनाने और बचाये रखने की जरूरत है। जिससे अपनी पहचान को बनाए रखने के साथ साथ भावी पीढ़ी के लिए बचाए रखने की जरूरत है क्योंकि जब विकास अपने अंतिम दौर में रहेगा या यह कहें आधुनिकीकरण जब मर जायेगा तक यही कोयतोरियन समुदाय के वैश्विक संकेतों समाज को बचायेंगे। 


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