बैलगाड़ी में रखकर लाया गया शव, इंसानियत हुई शर्मसार
मूलभूत सुविधाओं व मानवता को तरसे परिजन
फांसी के फंदे पर झूली थी महिला
घंसौर। गोंडवाना समय।
जनजाति बाहुल्य ब्लॉक घंसौर पुलिस थाना अंतर्गत मानवता को शर्मसार कर देने वाला एवं सरकारी योजनाओं की पोल खोलने वाला मामला प्रकाश में आया है। जहां आज भी ग्रामीण मूलभूत सुविधाओं को तरस रहे हें और सरकार के दावों की पोल खोलते हुए नजर आ रहे है। एक ओर जहां जिम्मेदारों की लचर कार्य प्रणाली उजागर हो रही है वही दूसरी ओर मानवता भी शर्मसार होते हुई दिखाई पड़ रही है।
न प्रशासन, न ही मानवीयता का मिला सहयोग
प्राप्त जानकारी के अनुसार मुख्यालय घंसौर से महज 7 किलोमीटर दूरी पर स्थित ग्राम काछी बुधवारा में बीते 5 दिसंबर को दोपहर में लगभग 12:30 बजे के करीब अज्ञात करणों के चलते दो छोटे-छोटे बच्चों की मां उम्र 30 बर्ष ने अपने घर में फांसी लगाकर आत्म हत्या कर ली थी। जिसका प्रार्थी पति यशवंत उरेती की सूचना पर घंसौर पुलिस व्दारा मर्ग कायम किया गया था। उक्त मामले में सबसे हैरान कर देने वाली बात सामने आई है।
जहां बताया जा रहा है कि मृतिका के परिजनों की मदद हेतू किसी ने हाथ नहीं बढ़ाया वहीं परिजन पूरे दिन परेशान होते रहे और लगातार शासन प्रशासन और लोगों से शव को पोस्टमार्टम कराने हेतु सामुदायिक केंद्र घंसौर लाने के लिए वाहन की गुहार लगाता रहा लेकिन किसी ने भी शोक ग्रस्त परिजनों की नहीं सुनी। यहां तक कि ट्रेक्टर और आटो वालों ने भी शव को घंसौर अस्पताल लाने से मना कर दिया। इतनें में मजबूर होकर परिजन के लोगों नें शव को बैलगाड़ी में रखकर शाम के लगभग 4 बजे काछी बुधवारा से निकले और शाम के 6 बजे सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पहुंचे। जहां स्टाफ की अनुपस्थिति में उक्त महिला के शव का दूसरे दिन 6 दिसंबर को सुबह पोस्टमार्टम किया गया और शव परिजनों को सौंपा गया।