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वर्षांत समीक्षा-2020 - सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय

 वर्षांत समीक्षा-2020 - सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय



नई दिल्ली। गोंडवाना समय।

सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय का दृष्टिकोण एक ऐसे समावेशी समाज का निर्माण करना है जहां पर लक्षित समूहों के सदस्य अपनीसंवृद्धि और विकास के लिए पर्याप्त समर्थन प्राप्त करने के साथ लाभकारी, सुरक्षित और सम्मानजनक जीवन व्यतीत कर सकें।इसका उद्देश्य शैक्षिक, आर्थिक, सामाजिक विकास और पुनर्वास कार्यक्रमों के माध्यम से अपने लक्षित समूहों को समर्थन प्रदान करना और सशक्त बनाना है, जहां कहींभी आवश्यक हो।

सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग को सामाजिक रूप से, शैक्षिकरूप से और आर्थिक रूप से हाशिए पर रहने वाले वर्गों के लोगों का सशक्तिकरण करने का अधिदेश प्राप्त है, जिसमें (i) अनुसूचित जाति (ii) अन्य पिछड़ा वर्ग (iii) वरिष्ठ नागरिक (iv) शराब और मादक पदार्थों के सेवन के शिकार लोग (v) ट्रांसजेंडर व्यक्ति (vi) भिखारी (vii) डिनोटिफाइड और खानाबदोश जनजातियां (डीएनटी) (viii) आर्थिक रूप से पिछड़ा वर्ग (ईबीसीए) और (ix) आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (ईडब्ल्यूएस) शामिल हैं।

सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय के अंतर्गत आने वाले दिव्यांगजन सशक्तिकरण विभाग (डीईपीडब्ल्यूडी) की स्थापना मई,2012 में की गई थी, जिसका उद्देश्य दिव्यांग व्यक्तियों के सशक्तिकरण और समावेशन को आसान बनाना है और दिव्यांग व्यक्तियों के लिए विकास के सभी एजेंडोंकापालनकरने के लिए एक नोडल एजेंसी के रूप में कार्य करना है।विकलांग व्यक्तियों का सशक्तिकरण एक अंतर-अनुशासनात्मक प्रक्रिया होती है, जिसमें रोकथाम, प्रारंभिक पहचान, मध्यवर्तन, शिक्षा, स्वास्थ्य, व्यावसायिक प्रशिक्षण, पुनर्वास और सामाजिक एकीकरण जैसे विभिन्न पहलुओं को शामिल कियाजाता है।विभाग का दृष्टिकोण, मिशन और रणनीतियां निम्न प्रकार हैं: दृष्टिकोण: एक समावेशी समाज का निर्माण करना जिसमें दिव्यांगजनों के वृद्धि और विकास के लिए समान अवसर प्रदान किया जाए जिससे वे लाभकारी, सुरक्षित और सम्मानजनक जीवन व्यतीत कर सकें।मिशन: दिव्यांगजनों को सशक्त बनाना, अपने विभिन्न अधिनियमों/संस्थाओं/संगठनों और पुनर्वासयोजनाओं के माध्यम से एक सक्षम वातावरण का निर्माण करना, जो ऐसे व्यक्तियों को समान अवसर प्रदान करता है, उनके अधिकारों को सुरक्षित रखता है और उन्हें समाज के स्वतंत्र और लाभकारी सदस्यों के रूप में शामिल होने में सक्षम बनाता है।

सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय की प्रमुख गतिविधियां निम्न प्रकार हैं-

  1. केंद्रीय मंत्रिमंडल ने अनुसूचित जाति के लिए पोस्ट मैट्रिक छात्रवृत्ति में परिवर्तन करने के लिए मंजूरी प्रदान की।अनुसूचित जाति की शिक्षा के लिए सरकार की बड़ी पहल, 5 वर्ष में 4 करोड़ से ज्यादा अनुसूचित जाति के छात्रों के लिए 59,000 करोड़ रूपये की पोस्ट मैट्रिक छात्रवृत्ति योजना को मंजूरी प्रदान की गई।

प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता वाली आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति ने अगले 5 वर्षों में अनुसूचित जाति (पीएमएस-एससी) के छात्रों को केंद्र द्वारा प्रायोजित योजना, पोस्ट मैट्रिक छात्रवृत्ति में बड़े और परिवर्तनकारी बदलावों को मंजूरी प्रदान की गई है जिससे वे अपनी उच्च शिक्षा को सफलतापूर्वक पूरा कर सकें।कैबिनेट ने कुल 59,048 करोड़ रुपये के निवेश को मंजूरी प्रदान की है जिसमें केंद्र सरकार द्वारा 35,534 करोड़ रुपये (60%) और शेष राशि (40%) राज्य सरकारों द्वारा वहन किया जाएगा।यह मौजूदा 'प्रतिबद्ध दायित्व' प्रणाली में बदलावलेकर आता है और इस महत्वपूर्ण योजना में केंद्र सरकार की ज्यादा भागीदारी को सुनिश्चित करता है।अनुसूचित जातियों के लिए पोस्ट मैट्रिक छात्रवृत्ति योजना, छात्रों को 11वीं कक्षा और उसके बाद शुरू होने वाली किसी भी पोस्ट मैट्रिक कोर्स को आगे बढ़ाने की अनुमति प्रदान करताहै, जिसमें सरकार द्वारा शिक्षा के खर्च का वहन किया जाता है। केंद्र सरकार इस प्रयास को एक बड़ा समर्थन प्रदान करने आगे बढ़ाने के लिए प्रतिबद्ध है जिससे अनुसूचित जाति के जीईआर (उच्च शिक्षा) 5 वर्ष की अवधि में राष्ट्रीय मानकों तक पहुंच सके।

  1. ट्रांसजेंडर व्यक्ति (अधिकारों का संरक्षणअधिनियम2019 लागू किया गया (10 जनवरी 2020)

ट्रांसजेंडर व्यक्ति (अधिकारों का संरक्षण) अधिनियम, 2019 को 10.01.2020 से लागूकिया जा चुका है जो कि ट्रांसजेंडर व्यक्तियों के कल्याण को सुनिश्चित करने की दिशा में पहला ठोस कदम है।सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय ने इस अधिनियम के प्रावधानों को लागू करने के लिए ट्रांसजेंडर व्यक्ति (अधिकारों का संरक्षण) नियम, 2020 जारी किया है जिसे भारत के राजपत्र में अधिसूचित किया गया है। ये नियम यह सुनिश्चित करते हैं कि व्यापक कल्याणकारी योजनाएं ट्रांसजेंडर समुदाय तक पहुंचें और उन्हें समाज की मुख्यधारा में लाने में सहायता प्रदान करें। खुद से अपनी लैंगिक पहचान करने का अधिकार, ट्रांसजेंडर प्रमाणपत्र और पहचान पत्र जारी करने की प्रक्रिया को नियमों के माध्यम से परिभाषित किया गया है।इस प्रक्रिया को आसान और परेशानी मुक्त बनाया गया है जिससे यह सुनिश्चित किया जा सके कि ट्रांसजेंडर व्यक्ति बिना किसी असुविधा के अपने द्वारा बताए गए पहचान पत्र को प्राप्त करने में सक्षम बन सकें।

  1. सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय द्वारा'ट्रांसजेंडर व्यक्तियों के लिए राष्ट्रीय पोर्टलका ई-शुभारंभ किया गया (25 नवंबर2020)

सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय ने ट्रांसजेंडर व्यक्तियों के लिए एक राष्ट्रीय पोर्टल को ई-लॉन्च किया। ट्रांसजेंडर व्यक्तियों के लिए इस राष्ट्रीय पोर्टल को 29 सितंबर, 2020 को ट्रांसजेंडर व्यक्ति(अधिकारों का संरक्षण) नियम, 2020 की अधिसूचना के 2 महीने के भीतर विकसित किया गया है।अत्यधिक उपयोगी इस पोर्टल के माध्यम से एक ट्रांसजेंडर व्यक्ति को देश में कहीं भी डिजिटल प्रमाणपत्र और पहचान पत्र प्राप्त करने के लिए आवेदन करने में सहायता मिलेगी। इसका सबसे अहम पहलू यह है कि यह ट्रांसजेंडर व्यक्ति को बिना किसी शारीरिक उपलब्धता के और बिना किसी ऑफिस में गए हुए आई-कार्ड प्राप्त करने में सहायता प्रदान करता है। इस पोर्टल के माध्यम से, वे अपने आवेदन की स्थिति की जानकारी प्राप्त कर सकते हैं जो कि प्रक्रिया में पारदर्शिता को भी सुनिश्चित करता है। यह प्रमाणपत्र और पहचान पत्र जारी करने वाले अधिकारियों को भी आवेदनों पर कार्रवाई करने और बिना किसी देरी के प्रमाणपत्र और पहचान पत्र जारी करने के लिए सख्त समयसीमा के अंतर्गत लेकर आता है। एक बार जारी होने के बाद आवेदक इन्हें पोर्टल से ही डाउनलोड कर सकते हैं। विलंब या अस्वीकृत होने वाली स्थिति में आवेदक के पास पोर्टल के माध्यम से शिकायत दर्ज कराने का विकल्प मौजूद होता है जो संबंधित व्यक्ति को भेज दिया जाता है जिससे इसका जल्द से जल्द समाधान किया जा सके।डैशबोर्ड के माध्यम से दिव्यांगों कोप्रमाणपत्र और पहचान पत्र प्रदान करने वाले प्राधिकारी प्राप्त आवेदनों की संख्या, अनुमोदित आवेदनों और लंबित आवेदनों को देख सकते हैं या उन पर रोक लगा सकते हैं जिससे कि वे अंत तक अपनी आवश्यक कार्रवाई को पूरा कर सकें। यह पोर्टल उस समुदाय के अधिकांश लोगों को आगेबढकरेअपनी पहचान के अनुसार ट्रांसजेंडर प्रमाण पत्र और पहचान पत्र प्राप्त करने में सहायता प्रदान करेगा जो कि ट्रांसजेंडर व्यक्ति (अधिकारों का संरक्षण) अधिनियम, 2019 के लिए एक महत्वपूर्ण प्रावधान है।

  1. नशामुक्त भारतनशीली दवाओं के दुरुपयोग और अवैध तस्करी के खिलाफ अंतर्राष्ट्रीय दिवस के अवसर पर272 सबसे ज्यादा प्रभावित जिलों के लिए वार्षिक कार्य योजना (2020-21) का ई-शुभारंभ किया गया (26 जून2020)

नशामुक्त भारत: नशीली दवाओं के दुरुपयोग और अवैध तस्करी के खिलाफ अंतर्राष्ट्रीय दिवस के अवसर पर सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय द्वारा 272 सबसे ज्यादा प्रभावित जिलों के लिए वार्षिक कार्य योजना (2020-21) काई-शुभारंभ किया गया।भारत वार्षिक कार्य योजना 2020-21 में 272 सबसे ज्यादा प्रभावित जिलों पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा और स्वास्थ्य विभाग के माध्यम से नारकोटिक्स ब्यूरो, सामाजिक न्याय एवं उपचार द्वारा आउटरीच/जागरूकता के प्रयासों को मिलाकर त्रिआयामी हमला शुरू किया जाएगा।कार्य योजना के निम्नलिखित घटक हैं: जागरूकता सृजन कार्यक्रम; उच्च शिक्षण संस्थानों, विश्वविद्यालय परिसरों और स्कूलों पर ध्यान केंद्रित करना; समुदाय तक पहुंच बनाना और आश्रित आबादी की पहचान करना; अस्पतालों में उपचार सुविधाओं पर ध्यान केंद्रित करनाऔर सेवा प्रदाता के लिए क्षमता निर्माण कार्यक्रम चलाना।

मंत्रालय स्वैच्छिक संगठनों के माध्यम से नशा करने वाले लोगों की पहचान, उपचार और पुनर्वास के लिए समुदाय आधारित सेवाएं प्रदान करता है। इसमें पूरे देश के एनजीओ को नशा मुक्ति केंद्र चलाने के लिए आर्थिक सहायता प्रदान की गई है।मंत्रालय द्वारा नशा के शिकार लोगों, उनके परिवारों और समाज की मदद करने के लिए 24x7 राष्ट्रीय टोल-फ्री नशा मुक्ति हेल्पलाइन नंबर 1800110031 भी जारी की गई है।

इस बात का संज्ञान लेते हुए कि नशीली दवाओं का सेवन करने वाली समस्या का समाधान करने के लिए सरकार द्वारा विभिन्न स्तरों पर ठोस कार्रवाई करने की आवश्यकता है, मंत्रालय ने राज्य सरकारों से कहा है कि वे अपने स्थानीय चिंताओं को ध्यान में रखते हुए योजना बनाएं और विशिष्ट पहल करें और अपने द्वारा चिन्हित किए गए क्षेत्रों में नशीली दवाओं की मांग में कमी लाने के लिए विशिष्ट और उपयुक्त रणनीतियां तैयार करें। राज्य सरकारें भी इसके प्रभावी कार्यान्वयन को सुनिश्चित करने के लिए एनएपीडीडीआर के अंतर्गत कार्यक्रमों की निगरानी प्रक्रिया में शामिल हैं।

  1. सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय ने अनुसूचित जाति के लिए वेंचर कैपिटल फंड के अंतर्गत "अम्बेडकर सोशल इनोवेशन एंड इनक्यूबेशन मिशन" (असीम)का ई-शुभारंभ किया (30 सितंबर2020)

सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय ने उच्च शिक्षण संस्थानों में पढ़ाई कर रहे अनुसूचित जाति के छात्रों के बीच नवाचार और उद्यम को बढ़ावा देने के उद्देश्य से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से अनुसूचित जाति के छात्रों के लिए वेंचर कैपिटल फंड के अंतर्गत "अम्बेडकर सोशल इनोवेशन एंड इनक्यूबेशन मिशन (असीम) की शुरुआत की।सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय ने अनुसूचित जाति/दिव्यांग युवाओं में उद्यमिता विकसित करने के लिए और उन्हें 'नौकरी प्रदाता' बनने में सक्षम बनाने के उद्देश्य से 2014-15 में एससी वेंचर कैपिटल फंड (वीसीएफ-एससी) की शुरू की थी। इस फंड का उद्देश्य अनुसूचित जाति उद्यमियों की संस्थाओं को रियायत के आधार पर वित्त प्रदान करना है।इस फंड के अंतर्गत, एससी उद्यमियों द्वारा स्थापित किए गए 117 कंपनियों को व्यावसायिक उद्यम स्थापित करने के लिए वित्तीय सहायता प्रदान की गई है।"अम्बेडकर सोशल इनोवेशन इनक्यूबेशन मिशन (असीम) "पहल" के अंतर्गत, विभिन्न उच्च शिक्षण संस्थानों में प्रौद्योगिकी व्यापार इनक्यूबेटर (टीबीआई) के माध्यम से स्टार्ट-अप विचारों के साथ अगले 4 वर्षों में 1,000 अनुसूचित जाति के युवाओं की पहचान की जाएगी।उन्हें इक्विटी फंडिंग के रूप में 3 वर्षों में 30 लाख रुपए की दर से फंड प्रदान किया जाएगा जिससे वे अपने स्टार्ट-अप विचारों को व्यावसायिक उद्यम में परिवर्तित कर सकें। अनुसूचित जाति के लिए वेंचर कैपिटल फंड से सफल उद्यमी5 करोड़ रुपये तक की वेंचर फंडिंग के लिए अर्हता प्राप्त करेंगे।
मंत्रालय द्वारा अनुसूचित जातियों के लिए वेंचर कैपिटल फंड (वीसीएफ-एससी) के माध्यम से असीम कीशुरूआत करने का फैसला लिया गया है।इसके उद्देश्यों में शामिल हैं: दिव्यांगजनों को विशेष वरीयता प्रदान करने के साथ-साथ अनुसूचित जाति के युवाओं के बीच उद्यमिता को बढ़ावा देना; विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग द्वारा स्थापित प्रौद्योगिकी व्यापार इनक्यूबेटर (टीबीआई) के साथ तालमेल स्थापित करते हुए वर्ष 2024 तक अभिनव विचारों को समर्थन प्रदान करना; जब तक वे उदार इक्विटी सहायता प्राप्त करके वाणिज्यिक स्तर तक नहीं पहुंच जातेहैं तब तक उनके स्टार्ट-अप विचारों को समर्थन प्रदान करना, बढ़ावा देनाऔर आत्मविश्वास के साथ उद्यमशीलता की ओर लेकर जाने के लिए अभिनव विचारों वाले छात्रों को प्रोत्साहित करना। वीसीएफ-एससी के अंतर्गत इस पहल से अनुसूचित जाति के युवाओं में नवाचार को बढ़ावा मिलेगा और उन्हें नौकरी प्राप्त करने वाले से नौकरी प्रदान करने वाले बनने में मदद मिलेगीऔर इससे प्रधानमंत्री की 'स्टैंड अप इंडिया' पहल को बढ़ावा मिलेगा।

उच्च शिक्षण संस्थानों में अनुसूचित जाति के छात्रों के बीच नवाचार और उद्यमिता को बढ़ावा देने के लिए, अभिनव विचारों की पहचान करने और युवा उद्यमियों को केंद्रित सहायता प्रदान करने की आवश्यकता है, जो शैक्षिक परिसरों या प्रौद्योगिकी व्यापार इनक्यूबेटर (टीबीआई) में अभिनव और प्रौद्योगिकी उन्मुख व्यावसायिक विचारों पर काम करने में लगे हुए हैं जिससे उन्हें सफल वाणिज्यिक उद्यमों की स्थापना करने में सहायता प्राप्त हो सके। इस प्रकार की कार्रवाई से न केवल अनुसूचित जाति के छात्रों को नवाचार और उद्यमिता के साथ आगे बढ़ने का मौका मिलेगा, बल्कि सरकार के स्टैंड अप इंडिया कार्यक्रम को और अधिकबढ़ावा मिलेगा।असीम की पहल को वेंचर कैपिटल फंड फॉर एससी (वीसीएफ-एससी) द्वारा लागू किया जाएगा, जिसे 2016 में 500 करोड़ रुपये के फंड के साथ स्थापित किया गया था। अपनी स्थापना के बाद से, वीसीएफ-एससी ने 118 कंपनियों को 444.14 करोड़ रुपये की वित्तीय सहायता प्रदान की है। अभिनव उद्यमशीलता की शुरूआत करने और उसे प्रेरित और प्रोत्साहित करने के लिए,सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय ने अभिनव और प्रौद्योगिकी आधारित विचारों पर काम करने वाले युवा अनुसूचित जाति उद्यमियों की संस्थाओं/कंपनियों को इक्विटी सहायता प्रदान करने पर ध्यान केंद्रित करने के लिए अनुसूचित जातियों के लिए वेंचर कैपिटल (वीसीएफ-एससी) दिशानिर्देशों में संशोधन भी किया है।

इस पहल के अंतर्गत वीसीएफ-एससी, व्यापार/प्रबंधन स्कूलों सहित उच्च शिक्षा और प्रौद्योगिकी संस्थानों में विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी) द्वारा समर्थित प्रौद्योगिकी व्यापार इनक्यूबेटर (टीबीआई) में काम करने वाले अनुसूचित जाति के छात्रों/युवा उद्यमियों को लक्षित किया जाएगा। वीसीएफ-एससी युवा अनुसूचित जाति के छात्रों/उद्यमियों की प्रत्येक इकाई को तीन वर्षों की अवधि में 30 लाख रुपये तक की इक्विटी सहायता प्रदान करने के साथ ही हैंड-होल्डिंग, मार्गदर्शन, सलाह के रूप में सभी प्रकार की सहायता प्रदान करेगा। अगले चार वर्षों के लिए असीम का बजट 19,320लाख रुपये रखा गया है।

  1. सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय ने 24xटोल-फ्री मानसिक स्वास्थ्य पुनर्वास हेल्प लाइन, किरण-(1800-599-0019) की शुरूआत की(7 सितंबर2020)

मानसिक बीमारी से पीड़ित व्यक्तियों को राहत और सहायता प्रदान करने के लिए, सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय द्वारा वर्चुअल रूप से वेबकास्ट के माध्यम से 24x7 टोल-फ्री मानसिक स्वास्थ्य पुनर्वास हेल्पलाइन, "किरण" (1800-500-0019) की शुरूआत की गई है। डीईपीडब्लूडी, सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय ने इसे मानसिक बीमारी की बढ़ती हुई घटनाओं को ध्यान में रखते हुए जारी किया है, विशेष रूप से कोविड-19 महामारी के दौरान।किरण हेल्पलाइन शीघ्र स्क्रीनिंग, प्राथमिक चिकित्सा, मनोवैज्ञानिक सहायता, संकट प्रबंधन, मानसिक स्वास्थ्य, सकारात्मक व्यवहार को बढ़ावा, मनोवैज्ञानिक संकट प्रबंधन आदि के उद्देश्य से मानसिक स्वास्थ्य पुनर्वास सेवाएं प्रदान करेगी। इसका उद्देश्य तनाव, चिंता, अवसाद, पैनिक अटैक, एडजस्टमेंट डिसऑर्डर, पोस्ट-ट्रॉमैटिक स्ट्रेस डिसऑर्डर, मादक पदार्थों का सेवन, आत्मघाती विचार, महामारी से ग्रसित मनोवैज्ञानिक मुद्दे और मानसिक स्वास्थ्य आपात स्थिति वाले मनोवैज्ञानिक मुद्दों का सामना कर रहे लोगों की सेवा करना है।यह पूरे देश में व्यक्तियों, परिवारों, गैर सरकारी संगठनों, अभिभावक संघों, व्यावसायिक संघों, पुनर्वास संस्थानों, अस्पतालों या देश में किसी को भीसहायता की आवश्यकता होगी उन्हें 13 भाषाओं में प्रथम चरण की सलाह, परामर्श और टिप्पणी प्रदान करने के लिए एक जीवन रेखा के रूप में कार्य करेगा। उम्मीद है कि यह हेल्पलाइन मानसिक बीमारी से पीड़ित व्यक्तियों के पारिवारिक सदस्यों के लिए भी बहुत ज्यादा उपयोगी साबित होगी।

यह टोल-फ्री हेल्पलाइन नंबर बीएसएनएल के तकनीकी समन्वय के साथ सप्ताह में सातों दिन और 24 घंटे चालू रहेगी।इस हेल्पलाइन में 8 राष्ट्रीय संस्थानों सहित 25 संस्थानों को शामिल किया गया है। इसे 660 नैदानिक/पुनर्वास मनोवैज्ञानिकों और 668 मनोचिकित्सकों का समर्थन प्राप्त है। हेल्पलाइन में 13 भाषाएं शामिल हैं-हिंदी, असमिया, तमिल, मराठी, ओडिया, तेलुगु, मलयालम, गुजराती, पंजाबी, कन्नड़, बंगाली, उर्दू और अंग्रेजी।

हेल्पलाइन निम्न प्रकार से संचालित होती है: भारत के किसी भी जगह से, किसी भी टेलीकॉम नेटवर्क के माध्यम से, किसी भी मोबाइल या लैंड लाइन फोन से टोल-फ्री नंबर 1800-599-0019 पर डायल करें। स्वागत संदेश समाप्त होने के बाद, सही बटन दबाकर भाषा का चयन करें; भाषा का चयन करने के बाद, राज्य/केंद्र शासित प्रदेश का चयन करें, आप देशी या वांछित राज्य के हेल्पलाइन केंद्र से जुड़ जाएंगे, मानसिक स्वास्थ्य विशेषज्ञ इस मुद्दे का समाधान करेंगे या बाहरी मदद (नैदानिक मनोवैज्ञानिक/पुनर्वास मनोवैज्ञानिक/मनोचिकित्सक) के लिएसंदर्भित/कनेक्ट करेंगे।हेल्पलाइन का उद्देश्य शीध्र स्क्रीनिंग,प्राथमिक चिकित्सा,मनोवैज्ञानिक समर्थन,संकट प्रबंधन,मानसिक कल्याण,विचलित व्यवहार पर रोक लगाना; मनोवैज्ञानिक संकट प्रबंधन और मानसिक स्वास्थ्य विशेषज्ञों के लिए निर्दिष्ट करना है।इसका उद्देश्य हेल्पलाइन के माध्यम से से चिंता संबंधित मानसिक स्वास्थ्य मुद्दों; जुनूनी बाध्यकारी विकार (ओसीडी); आत्महत्या; अवसाद; पैनिक अटैक,एडजस्टमेंट डिसऑर्डर; पोस्ट ट्रॉमेटिक स्ट्रेस डिसऑर्डर और मादक पदार्थों का सेवनजैसे मानसिक स्वास्थ्य संबंधी मुद्दों का समाधाम करना है। यह हेल्पलाइन संकट में रहने वाले लोगों, महामारी संबंधित मनोवैज्ञानिक मुद्दों और मानसिक स्वास्थ्य आपात स्थिति की आवश्यकताओं का ख्याल रखेगी।

  1. आईएसएलआरटीसीसामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय और एनसीईआरटी,शिक्षामंत्रालय के बीच शैक्षिक सामग्रियों को भारतीय सांकेतिक भाषा में परिवर्तित करने के लिए ऐतिहासिक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए गए(6 अक्टूबर2020)

भारतीय सांकेतिक भाषा अनुसंधान एवं प्रशिक्षण केंद्र-आईएसएलआरटीसी (डीईपीडब्ल्यूडीका एक राष्ट्रीय संस्थान, सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय) और एनसीईआरटी (शिक्षा मंत्रालय का एक राष्ट्रीय संस्थान) के बीच एक ऐतिहासिक समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए गए जिससे बधिर बच्चों के लिए शिक्षा सामग्रियों को उनके संचार के पसंदीदा प्रारूप जैसे भारतीय सांकेतिक भाषा में उपलब्ध करवाया जा सके। केंद्रीय सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री, डॉ. थावरचंद गहलोत और केंद्रीय शिक्षा मंत्री, श्री रमेश पोखरियाल 'निशंक' की वर्चुअल उपस्थिति में इस एमओयू पर हस्ताक्षर किए गए।

इस एमओयू पर हस्ताक्षर करना एक ऐतिहासिक कदम है क्योंकि भारतीय सांकेतिक भाषा (आईएसएल) में एनसीईआरटी के पाठ्यपुस्तकों की उपलब्धता से यह सुनिश्चित हो सकेगा कि बधिरबच्चे भी अब भारतीय सांकेतिक भाषा में शैक्षिक संसाधनों का उपयोग कर सकते हैं और यह बधिर छात्रों, शिक्षकों, अध्यापक शिक्षकों, माता-पिता और बधिरसमुदाय के लिए एक उपयोगी और बहुत आवश्यक संसाधन साबित होगा, जिसका देश में बधिरबच्चों की शिक्षा पर बहुत व्यापक प्रभाव पड़ेगा।इस एमओयू पर हस्ताक्षर होने के बाद, एनसीईआरटी की शैक्षिक पुस्तकें और सामग्रियां भारतीय सांकेतिक भाषा में उपलब्ध होंगी जो कि पूरे भारत में एक समान होगी, जिसका मतलब यह है कि भारत के सभी बधिरछात्र चाहे वे पूर्व में हो या पश्चिम में या उत्तर में या दक्षिण में, वे सभी एनसीईआरटी की पुस्तकें एक ही भाषा यानी कि भारतीय सांकेतिक भाषा में पढ़ेंगे।भारतीय सांकेतिक भाषा विविधता में एकता का प्रदर्शन करती है जिसे हाथों के द्वारा समझाया जाता है और आंखों के द्वारा समझा जाता है और यह हमारे देश के सभी बधिरव्यक्तियों को एक साथ जोड़ता है।

यह समझौता ज्ञापन, दिव्यांगों के अधिकार (आरपीडब्ल्यूडी) अधिनियम, 2016 और नई शिक्षा नीति, 2020 की आवश्यकताओं को पूरा करने की दिशा में साझा लक्ष्य प्राप्ति के लिए उठाया गया एक कदम है। इस एमओयू के अंतर्गत एनसीईआरटी की पाठ्यपुस्तकों, शिक्षकों की हैंडबुक और अन्य अनुपूरक सामग्रियों और हिंदी एवं अंग्रेजी माध्यम में कक्षा 1-12 के सभीविषयों और संसाधनों जैसे कि शैक्षिक प्रिंट सामग्रियों को डिजिटल प्रारूप में भारतीय सांकेतिक भाषा में परिवर्तित किया जाएगा।एनसीईआरटी की शैक्षिक सामग्रियों को भारतीय सांकेतिक भाषा में परिवर्तित करने के लिए एनसीईआरटी और आईएसएलआरटीसी के बीच हुए समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर, नई शिक्षा नीति (एनईपी), 2020 में अधिदेशित भारतीय सांकेतिक भाषा के शैक्षिक मानकीकरण को सुनिश्चित करते हैं। यह एमओयू हमारे देश में बधिरबच्चों को और ज्यादा सशक्त बनाएगा। नई शिक्षा नीति, 2020 समावेशी प्रकार की है और इससे हमारे देश में महत्वपूर्ण बदलाव आएगा।

बाल्यावस्था में, बच्चों के संज्ञानात्मक कौशल का विकास होता है और उन्हें सीखने की आवश्यकता के अनुसार शैक्षिक सामग्री उपलब्ध कराना बहुत आवश्यक है। अभी तक बधिरबच्चे केवल मौखिक या लिखित माध्यम से ही पढ़ाई करते थे लेकिन अब इस एमओयू पर हस्ताक्षर होने के बाद वे एकल भारतीय सांकेतिक भाषा के माध्यम से भी अध्ययन कर सकते हैं।इससे न केवल उनकी शब्दसंग्रह में बढ़ोत्तरी होगी बल्कि अवधारणाओं को समझने में उनकी क्षमताओं में भी वृद्धि होगी। इस एमओयू पर हस्ताक्षर, यूनिसेफ की पहल "सभी के लिए सुलभ डिजिटल पाठ्यपुस्तक" पर आधारित है और यह एक ऐतिहासिक निर्णय है।

  1. सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय ने अस्पतालों में कोविड-19 परीक्षण और क्वारंटाइन सुविधाओं और उपचार केंद्रों में दिव्यांगजनों के लिए बुनियादी भौतिक सुविधाओं तक पहुंच सुनिश्चित करने के लिए राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों कोपत्र लिखा (29 अप्रैल2020)

सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से कहा है कि वे अस्पतालों और स्वास्थ्य केंद्रों में इलाज के साथ-साथ कोविड-19 परीक्षण और क्वारंटाइन सुविधाओं और उपचार केंद्रों में दिव्यांगजनों (पीडब्लूडी) के लिए बुनियादी भौतिक सुविधाओं तक पहुंच को सुनिश्चित करें।सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के मुख्य सचिवों को लिखे गए पत्र में, डीईपीडब्ल्यूडी सचिव ने कहा है कि महामारी के प्रभावों को कम करने के लिए कई कोविड-19 केंद्रों की पहचान की गई है, जो आवश्यकतानुसार चिकित्सा उद्देश्यों के लिए होल्डिंग क्षमता बढ़ाने के लिए रोकथाम इकाइयों, आइसोलेशन चिकित्सा केंद्रों और परीक्षण प्रयोगशालाओं के रूप में काम कर रहे हैं।वर्तमान संकट दिव्यांगजन के लिए और भी ज्यादा खतरनाक बन गया है जो कि न केवल उनके कम/मध्यम प्रतिरक्षा, अनुभव या समझने की क्षमता के कारणबल्कि भौतिक वातावरण में सुविधाओं तकपहुंच की अनुपलब्धता और ऐसी कोविड-19संबंधित सुविधाओं में प्रदान की जाने वाली पारिस्थितिकी प्रणाली के कारण भी है।

  1. सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय ने कोविड-19 लॉकडाउन के दौरान करोड़ से ज्यादा बेसहाराभिखारीबेघर व्यक्तियों के लिए मुफ्त भोजन की व्यवस्था की (15 अप्रैल2020)

सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय ने प्रमुख नगर निगमों के साथ मिलकर कोविड-19 लॉकडाउन के दौरान 1 करोड़ से ज्यादा बेसहारा/भिखारी/बेघर व्यक्तियों के लिए भोजन की व्यवस्था की।मंत्रालय ने, एक परियोजना में, पहले ही दस (10) शहरों का चयन कर लिया था; दिल्ली, मुंबई, कोलकाता, चेन्नई, हैदराबाद, बेंगलुरु, लखनऊ, नागपुर, पटना और इंदौर, जिसमें भीख मांगने वाले लोगो के पुनर्वास के लिए एक व्यापक योजना लागू करने के लिए, राज्य सरकारों/केंद्र शासित प्रदेशों/स्थानीय शहरी निकायों और स्वैच्छिक संगठनों, संस्थाओं आदि के सहयोग से पहचान, पुनर्वास, चिकित्सा सुविधाएं, परामर्श, शिक्षा, कौशल विकास की व्यवस्था शामिल की गई है। इस योजना के अंतर्गतराज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों को इसके कार्यान्वयन के लिए 100 प्रतिशत सहायता प्रदान की जाएगी।

  1. अनुसूचित जाति के छात्रों के लिए राष्ट्रीय प्रवासी छात्रवृत्ति योजना में प्रमुख सुधार चयन वर्ष 2020-21 से लागू(13 अगस्त2020)

अनुसूचित जाति के छात्रों के लिए राष्ट्रीय प्रवासी छात्रवृत्ति योजना के लिए वार्षिक पारिवारिक आय सीमा चयन वर्ष 2020-21 में 6 लाख रुपये से बढ़ाकर 8 लाख रुपये प्रति वर्ष कर दी गई है।अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उच्च रैंकिंग रखने वाले संस्थानों में नामांकन प्राप्त करने वाले छात्रों को वरीयता प्रदान की जाएगी। न्यूनतम अर्हता अंक 55 प्रतिशत से बढ़ाकर 60 प्रतिशत कर दिया गया है। पुरस्कार प्राप्त करने वाले छात्रों की प्रगति के साथ भरण-पोषण भत्ते को जोड़ दिया गया है। विभिन्न सत्यापन प्रक्रियाओं को आसान बनाया गया है, जिसमें पुलिस सत्यापन को खत्म किया गया है और स्व-घोषणा पत्र शुरू किया गया है।शुरू किए गए बदलावों के साथ ही चयन प्रक्रिया आसान हो गई है और पिछले वर्ष की तुलना में इस वर्ष सभी स्लॉटों को कम समय में भर जाने की संभावना है।

  1. डीईपीडब्ल्यूडी ने स्टैच्यू ऑफ यूनिटी. गुजरात में में सुलभ पर्यटन का अनुभव प्रदान करने के लिए 14 दिव्यांग युवाओं के लिए यात्रा का आयोजन किया(29 जनवरी2020)

सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय के अंतर्गत आने वाले दिव्यांगजन सशक्तिकरण विभाग (डीईपीडब्ल्यूडी) ने गुजरात के वडोदरा में स्टैच्यू ऑफ यूनिटी में सुलभ पर्यटन का अनुभव प्रदान करने के लिए पूरे भारतवर्ष से 14 दिव्यांग युवाओं के लिए यात्रा का आयोजन किया। इस यात्रा का आयोजन, इस विभाग के सुलभ भारत अभियान के अंतर्गत किया गया जिसकी शुरूआत प्रधानमंत्री ने 2015 में की थी। आरपीडब्ल्यूडी अधिनियम, 2016 में स्मारकों, धार्मिक स्थलों सहित सभी सार्वजनिक बुनियादी संरचनाओं, अस्पतालों, अकादमिक संस्थानों, रेलवे, हवाई अड्डों, सार्वजनिक परिवहन, खेल सुविधाओं आदि को 2022 तक सुलभ बनाने का अधिदेश प्रदान किया गया है।सांस्कृतिक केंद्रों, ऐतिहासिक स्मारकों और जोखिम वाले पर्यटन स्थलों पर सार्वभौमिक पहुंच प्रदान करने से देश और दुनिया से आने वाले पर्यटकों की संख्या में बढ़ोत्तरी होगी। नर्मदा जिले में स्टैच्यू ऑफ यूनिटी में, 182 मीटर की भव्य प्रतिमा के माध्यम से देश के प्रथम गृहमंत्री सरदार वल्लभ भाई पटेल को दर्शाया गया है। जहां पर एस्केलेटर, वॉकिंग कन्वेयर बेल्ट, लिफ्ट, रैंप और व्हीलचेयर के माध्यम से पहुंचा जा सकता है।

  1. दिव्यांग कारीगरों और उद्यमियों के शिल्प कौशल और उत्पादों को बढ़ावा देने के लिए एक सप्ताह का "एकम उत्सवका आयोजन किया गया। 17 राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों के लगभग 82 दिव्यांग कारीगरों और उद्यमियों ने अपने उत्पादों और कौशलों का प्रदर्शन किया (2 मार्च2020)

सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय के अंतर्गत आने वाले राष्ट्रीय विकलांग वित्त विकास निगम (एनएचएफडीसी) के द्वारा सप्ताह भर चलने वाली प्रदर्शनी-सह-महोत्सव "एकम उत्सव" का आयोजन 2 मार्च, 2020 को स्टेट एम्पोरिया कॉम्प्लेक्स, बाबा खड़क सिंह मार्ग, नई दिल्ली-1 मेंआयोजित किया गया।इस अवसर पर केंद्रीय सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री, श्री थावरचंद गहलोत, सड़क, परिवहन एवं एमईएमई मंत्री, श्री नितिन जयराम गडकरी और केंद्रीय महिला एवं बाल विकास एवं वस्त्र मंत्री, श्रीमती स्मृति जुबिन ईरानी उपस्थित हुए। इस अवसर पर राज्यमंत्री श्री कृष्णपाल गुर्जर और श्री रतन लालकटारिया भी मौजूद थे।

सप्ताह भर चलने वाला यह "एकम उत्सव" 2 मार्च से 9 मार्च, 2020 तक सुबह 11 बजे से लेकर रात 9 बजे तक जनता के लिए खुला हुआ था। 17 राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों से आने वाले 82 से ज्यादा दिव्यांग कारीगरों और उद्यमियों ने "एकम उत्सव" में अपने उत्पादों का प्रदर्शन किया। इसमें 44 पुरुष और 38 महिलाएं शामिल थीं। इस उत्सव में दिव्यांग कलाकारों और जाने-माने पेशेवरों के प्रदर्शन सहित सांस्कृतिक कल्पनात्म नाटक जैसी कई गतिविधियां भी शामिल की गई। कार्यक्रम के अतिरिक्त मुख्य आकर्षण में दिव्यांगजनों द्वारा ज्योतिष परामर्श और पैर की मालिश शामिलथी।

  1. प्रधानमंत्री ने प्रयागराज में अब तक के सबसे बड़े आरवीवाई और एडीआईपी शिविर में वरिष्ठ नागरिकों और दिव्यांगजनों को दैनिक जीवन सहायता और उपकरणों का वितरण किया(29 फरवरी, 2020)

वरिष्ठ नागरिकों और दिव्यांगजनों के बीच दैनिक जीवन सहायता और उपकरणों का वितरण करने के लिए उत्तर प्रदेश के पवित्र शहर प्रयागराज में अब तक की सबसे बड़ी समाजिक अधिकारिता शिविर का आयोजन किया गया। इस अवसर पर भारत के प्रधानमंत्री, श्री नरेंद्र मोदी मुख्य अतिथि के रूप में शामिल हुए। इस अवसर पर उत्तर प्रदेश की राज्यपाल, श्रीमती आनंदी बेन पटेल, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री, योगी आदित्य नाथ, केंद्रीय सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री, डॉ थावरचंदगहलोत, सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता राज्य मंत्री, श्री कृष्ण पाल गुर्जर, श्री रामदास अठावले, श्री रतन लाल कटारिया, उत्तर प्रदेश के उप-मुख्यमंत्री, श्री केशव प्रसाद मौर्य, उत्तर प्रदेश सरकार के मंत्री, स्थानीय सांसद और विधायक भी उपस्थित हुए। इस अवसर पर डीईपीडब्ल्यूडी सचिव, श्रीमती शकुंतला डी गैमलिन और मंत्रालय एवं उत्तर प्रदेश सरकार के अन्य वरिष्ठ अधिकारी भी उपस्थित हुए।

इस ऐतिहासिक अवसर  पर 26,874 लाभार्थियों को 56,905 दैनिक जीवन सहायता और उपकरणवितरित किए गए जिनमें एडीआईपी योजना के अंतर्गत आनेवाले दिव्यांगजन और राष्ट्रीय व्योश्री योजना के अंतर्गतआनेवाले वरिष्ठ नागरिक भी शामिल हैं, जिसमें 10,416 दिव्यांगजन और 16,458 वरिष्ठ नागरिक शामिल हैं। दैनिक जीवन सहायता और उपकरणोंपर आनेवाला कुल खर्च लगभग 19,37,76,980 रुपये है।

  1. डीईपीडब्ल्यूडीसामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय के हेल्पलाइन नंबरों के माध्यम से दिव्यांगजन की चिंताओं को दूर करने की कोशिश (29 जुलाई2020)

सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय अंतर्गत आनेवाले दिव्यांगजन सशक्तिकरण विभाग अपने विभिन्न संगठनों के माध्यम से दिव्यांगजनो कीप्रभावी पुनर्वास और समावेशन की चिंताओं को दूर करने की कोशिश करता है।कृत्रिम अंग निर्माण निगम (एलीम्को) ने ऐसे उपकरणों की मरम्मत सहित दिव्यांगजनों (पीडब्लूडी) के लिए दैनिक जीवन सहायता और उपकरणोंकी जानकारी प्रदान करने के लिए हेल्पलाइन सेवा की शुरूआत की है।इसी प्रकार से राष्ट्रीय विकलांग वित्त विकास निगम (एनएचएफडीसी), जो रियायती ब्याज दर पर ऋण प्रदान करता है और दिव्यांगजन (पीडब्लूडी) के लिए कौशल प्रशिक्षण कार्यक्रम भी चलाता है, ने ऐसे मामलों से संबंधित सूचनाओं का प्रसार करने के लिए हेल्पलाइन सेवाओं की शुरूआत की हैं।इसके अलावा, राष्ट्रीय संस्थानों में से एक अर्थात् नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ एम्पावरमेंट ऑफ पर्सन्स विद इंटेलेक्चुअल डिसेबिलिटी (एनआईईपीआईडी), सिकंदराबाद एक समर्पित टोल फ्री लाइन नंबर के माध्यम से विशेष शिक्षा, व्यावसायिक चिकित्सा और फिजियोथेरेपी संबंधित मुद्दों आदि से संबंधित जानकारी प्रदान कर रहा है।

डीईपीडब्लूडीके अंतर्गत आने वाले संगठन

हेल्पलाइन नंबर

उद्देश्य

समय

नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ एम्पावरमेंट ऑफ पर्सन्स विद इंटेलेक्चुअल डिसेबिलिटी (एनआईईपीआईडी), सिकंदराबाद

 

18005726422

इनके बारे में जानकारी :-

  1. मानसिक स्वास्थ्य से संबंधित मुद्दे।
  2. विशेष शिक्षा।
  3. व्यावसायिक उपचार से संबंधित मामले।
  4. वोकेशनल काउंसिलिंग।
  5. स्पीच थेरेपी।
  6. फिजियोथेरेपी आदि।

सोमवार से शुक्रवार, सुबह 09.30 बजे से शाम 05.30 बजे तक

कृत्रिम अंग निर्माण निगम (एलीम्को)

18001805129

दिव्यांगजनों (पीडब्लूडी) के लिए दैनिक जीवन सहायता और उपकरणोंकी जानकारी

सुबह 09.30 बजे से शाम 05.00 बजे तक

राष्ट्रीय विकलांग वित्त विकास निगम (एनएचएफडीसी)

1800114515

  1. ऋण योजनाओं के बारे में जानकारी और मार्गदर्शन
  2. कौशल प्रशिक्षण पर सूचना और मार्गदर्शन
  3. छात्रवृत्ति योजना की जानकारी
  4. "दिव्यांगजन स्वावलंबन योजना" की जानकारी
  5. विशेष माइक्रोफाइनेंस योजना (वीएनवाई) पर सूचना और मार्गदर्शन।

सुबह 09.30 बजे से शाम 05.00 बजे तक

 

  1. श्री थावरचंदगहलोत ने वेबकास्ट के माध्यम से 272 जिला कलेक्टरों और 32 राज्य सचिवों की एक सभा को संबोधित किया जो 'नशामुक्त भारत अभियानमें शामिल हैं (13 अगस्त2020)

केंद्रीय सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री, श्री थावरचंद गहलोत ने 272 जिला कलेक्टरों, 32 राज्य सचिवों, 500 से ज्यादा एनजीओ/वीओ, नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो के अधिकारियों, एनडीडीटीसी, एम्स के आधिकारियों और डॉक्टरों, राज्यों और जिलों में इस अभियान से जुड़े हुए सभी अधिकारियों को संबोधित किया जिससे कि इस अभियान के प्रारंभ को महत्वपूर्ण गति प्रदान की जा सके। इस कार्यक्रम को सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता राज्य मंत्री, श्री कृष्णपाल गुर्जर, श्री राम दास अठावले और श्री रतन लाल कटारिया ने भी संबोधित किया। इस कार्यक्रम में पावर प्वाइंट प्रेजेंटेशन के माध्यम से नशामुक्त भारत अभियान का भी प्रदर्शन किया गया, जिसमें अभियान अवधि के दौरान किए जाने वाले तौर-तरीकों और गतिविधियों को शामिल किया जाएगा।

इस अवसर पर श्री थावरचंद गहलोत ने द्वारका,नई दिल्ली में राष्ट्रीय सामाजिक रक्षा संस्थान (एनआईएसडी) के नए भवन का ई-उद्घाटन किया। 15 जुलाई, 2002 को एनआईएसडी एक स्वायत्त निकाय बन चुका हैऔर सामाजिक रक्षा के क्षेत्र में नोडल प्रशिक्षण और अनुसंधान संस्थान के रूप में कार्य कर रहा है। यह संस्थान मादक पदार्थों के दुरुपयोग की रोकथाम, वरिष्ठ नागरिकों और ट्रांसजैंडरों के कल्याण, भिक्षावृत्ति की रोकथाम और अन्य सामाजिक रक्षा मुद्दों के लिए मानव संसाधन विकास पर केंद्रित है। यह भारत सरकार को सामाजिक रक्षा कार्यक्रमों की जानकारी प्रदान करता है और वरिष्ठ नागरिकों के लिए राष्ट्रीय कार्य योजना और मादक पदार्थों की मांग में कमी लाने के लिए राष्ट्रीय योजना के अंतर्गत विभिन्न कार्यक्रमों का कार्यान्वयन सुनिश्चित करने के अलावा इस क्षेत्र में प्रशिक्षण और अनुसंधान का भी आयोजन करता है।

  1. श्री थावरचंद गहलोत ने सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग की सभी योजनाओं के लिए कार्य योजना 2020-21 को जारी किया। सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग की योजनाओं के लाभार्थियों की संख्या में पर्याप्त वृद्धि होगी (9 सितंबर2020)

केंद्रीय सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री, श्री थावरचंद गहलोत ने 7 सितंबर, 2020 को सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग की सभी योजनाओं के लिए 33 कार्य योजनाओं 2020-21 वाली पुस्तक को जारी किया।यह पहली बारहै जब सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग ने केंद्रीय मंत्रालय, प्रतिभागी राज्य सरकारों और गैर-सरकारी संगठनों के लिए स्पष्ट लक्ष्य और माइलस्टोन प्रदान करने के उद्देश्य से प्रत्येक योजना के लिए व्यापक वार्षिक कार्य योजना 2020-21 की शुरूआत की है। इस पुस्तक में सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग की सभी योजनाओं के लिए 33 वार्षिक कार्य योजनाओं का संग्रह डाला गया है और इसे अनुसूचित जातियों, अन्य पिछड़ा वर्ग, वरिष्ठ नागरिकों, नशीले पदार्थों के दुरुपयोग के शिकार लोग, ट्रांसजेंडर, डी-नोटिफाइड, खानाबदोश और अर्ध खानाबदोश जनजातियों (डीएनटी) से संबंधित लोगों के आर्थिक, शैक्षिक विकास और सामाजिक सशक्तिकरण के लिए तैयार किया गया है।

  1. श्री थावरचंदगहलोत ने "मेंटल हेल्थलुकिंग बिऑन्ड कोविड-19" (8 अक्टूबर2020) पर एक अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन का उद्घाटन किया

केंद्रीय सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री, श्री थावरचंदगहलोत ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से "मेंटल हेल्थ: लुकिंग बिऑन्ड कोविड-19" पर एक अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन का उद्घाटन किया। ऑस्ट्रेलिया-इंडिया संस्थान के निदेशक, प्रो क्रेग जेफरी द्वारा इस सम्मेलन की सह-अध्यक्षता की गई। उद्घाटन भाषण देते हुए श्री थावरचंद गहलोत ने दुनिया भर में मानसिक स्वास्थ्य चिंताओं की बढ़ती हुई प्रवृत्ति पर ध्यान आकर्षित किया।उन्होंने भारत सरकार द्वारा उठाए गए हाल के पहलों जैसे सीहोर, मध्य प्रदेश में राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य पुनर्वास संस्थान की स्थापना और मानसिक स्वास्थ्य मुद्दों का समाधान करने के लिए किरण मानसिक स्वास्थ्य पुनर्वास हेल्पलाइन के बारे में भी जानकारी प्रदान की।

  1. पूरे देश में संविधान दिवस को उत्साहपूर्वक मनाया गयाराष्ट्रपति के नेतृत्व में राष्ट्रव्यापी प्रस्तावना को पढ़ा गयाप्रधानमंत्री ने केवड़ियागुजरात में 80वें अखिल भारतीय पीठासीन अधिकारियों के सम्मेलन में समापन भाषण दिया(26 नवंबर2020)

पूरे देश में 26 नवंबर, 2020 को संविधान दिवस हर्षोल्लास के साथ मनाया गया, जिसके लिए सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय ने नोडल मंत्रालय के रूप में कार्य किया। राष्ट्रपति श्री रामनाथ कोविंद के नेतृत्व में राष्ट्रव्यापी प्रस्तावना को पढ़ा गया और गुजरात के केवड़िया में आयोजित किए गए। 80 वें अखिल भारतीय पीठासीन अधिकारियों के सम्मेलन में प्रधानमंत्री ने समापन भाषण दिया जो कि इनकार्यक्रमों की प्रमुख विशेषताएं थीं।

पीठासीन अधिकारियों के सम्मेलन के समापन सत्र को संबोधित करते हुए,प्रधानमंत्री श्री मोदी ने कर्तव्यों के महत्व पर बल देते हुए कहा कि कर्तव्यों को अधिकारों, गरिमा और आत्मविश्वास के स्रोत के रूप में देखा जाना चाहिए।प्रधानमंत्री ने कहा कि महात्मा गांधी ने अधिकारों और कर्तव्यों के बीच घनिष्ठ संबंध देखा, उन्होंने महसूस किया कि जब हम अपने कर्तव्यों का निर्वहन करते हैं, तो अधिकारों की रक्षा स्वतः हो जाती है। प्रधानमंत्री ने कहा कि जिस प्रकार ‘केवाईसी-नो योर कस्टमर’ डिजिटल सुरक्षा का प्रमुख पहलू है, उसी प्रकार ‘केवाईसी-नो योर कॉन्स्टिटूशन’ संवैधानिक सुरक्षा कवच के लिए एक बड़ी सुरक्षासाबित हो सकता है।उन्होंने इस बात पर बल दिया कि हमारे कानून की भाषा आम लोगों के लिए सरल और सुलभ होनी चाहिए जिससे वे प्रत्येक कानून से अपना सीधा संबंध महसूस कर सकें। उन्होंने यह भी कहा कि अप्रचलित कानूनों को समाप्त करने की प्रक्रिया सरल होनी चाहिए और सुझाव दिया कि पुराने कानूनों को निरस्त करने की स्वतः प्रणाली की स्थापना होनी चाहिए क्योंकि हम उनमें संशोधन करते रहते हैं। सम्मेलन के उद्घाटन दिवस के अवसर पर, राष्ट्रपति श्री रामनाथ कोविंद, उपराष्ट्रपति श्रीवेंकैया नायडूऔर लोकसभा अध्यक्ष श्री ओम बिड़ला ने संबोधित किया।

  1. श्री थावरचंदगहलोत ने मोबाइल एप्लीकेशन "स्वच्छता अभियान" जारी किया। इस मोबाइल ऐप को अस्वच्छ शौचालयों और हाथ से मैला ढोने वालों के डेटा की पहचान करने और जियोटैग करने के लिए विकसित किया गया है (24 दिसंबर2020)

केंद्रीय सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री, श्री थावरचंद गहलोत ने आज नई दिल्ली में सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता राज्य मंत्री, श्री रामदास अठावले और श्री कृष्ण पाल गुर्जर की उपस्थिति में एक मोबाइल एप्लीकेशन "स्वच्छता अभियान" को जारी किया। अस्वच्छ शौचालयों के बारे में कोई प्रामाणिक डाटा बेस नहीं होने के कारण आंकड़ों के संग्रहण और संकलन के लिए गैर-सरकारी संगठनों, सामाजिक संगठनों और आम लोगों सेसहायता प्राप्त करने का निर्णय लिया गया है। इसके लिए एक मोबाइल एप्लीकेशन "स्वच्छता अभियान" तैयार किया गया है।'गूगल प्ले स्टोर'के माध्यम से इस मोबाइल एप्लिकेशन को मुफ्त में डाउनलोड किया जा सकता है।

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