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गोपाल पुरस्कार में पशु चिकित्सा विभाग सिवनी ने जमकर किया फर्जीवाड़ा

गोपाल पुरस्कार में पशु चिकित्सा विभाग सिवनी ने जमकर किया फर्जीवाड़ा


सिवनी। गोंडवाना समय।

सरकार द्वारा किसानों की अतिरिक्त आय एवं आर्थिक रूप से कृषि के साथ साथ अन्य वैकल्पिक साधनों के माध्यम से किसान अपनी आर्थिक आय बढ़ा सके इसके लिये गोपाल पुरस्कार योजना सभी वर्ग के लिए भारतीय उन्नत नस्ल के गौवंशीय पशुओं के पालन को बढ़ावा देने एवं अधिक दुग्ध उत्पादन को प्रोत्साहित करने के लिये गोपाल पुरस्कार योजना प्रस्तावित की गई है। वहीं पशुपालकों की मेहनत को सम्मान देने के साथ ही उन्हें अतिरिक्त आय में बढ़ोत्तरी करने के लिये प्रोत्साहन स्वरूप गोपाल पुरस्कार प्रदान किया जाता है। सरकार की किसानों के प्रति आय बढ़ाने की मंशा में पशु चिकित्सा विभाग सिवनी के कर्णधारों ने गोपाल पुरस्कार की आड़ में अपनी ही आय बढ़ाने जरिया बनाकर जमकर फर्जीवाड़ा किया है। 

गोपाल पुरस्कार में फर्जी बिल लगाकर आर्थिक अनियमितता

पशु चिकित्सा विभाग सिवनी के जिम्मेदारों के द्वारा गोपाल पुरस्कार की आड़ में जमकर आर्थिक अनियमितताएं की गई है। फर्जी बिल लगाकर गोपाल पुरस्कार कार्यक्रम का भुगतान पशु चिकित्सा विभाग के द्वारा किया गया है। भण्डार क्रय नियम व कार्यक्रमों में किये गये भुगतान संबंधी बिलों को देखकर स्थिति साफ होती है कि किस तरह पशु चिकित्सा विभाग सिवनी ने अपने चहेतों को लाभ पहुंचाकर शासकीय धनराशि में किस तरह मिलकर सेंधमारी किया है। 

नाश्ता, भोजन, टेंट, स्वागत-सत्कार में मनमाना व्यय 

गोपाल पुरस्कार योजना के तहत पशु चिकित्सा विभाग सिवनी के द्वारा सिवनी जिले के विभिन्न ब्लॉकों में आयोजित किये गये कार्यक्रमों में व्यय की राशि व संबंधितों को बिलों के आधार किये गये भुगतान की हकीकत बिलों को देखकर ही लगाया जा सकता है कि वास्तविकता में और बिल बनाने में कैसा खेल विभागीय अधिकारी कर्मचारियों ने भुगतान प्राप्त करने वालों के साथ मिलकर खेला है। पशु चिकित्सा विभाग के अंतर्गत गोपाल पुरस्कार में किये गये व्यय व भुगतान किये गये बिलों की सूक्ष्मता से जांच हो जाये स्पष्ट दिखाई देगा कि पशु चिकित्सा विभाग के अधिकारी कर्मचारियों ने किस तरह आर्थिक अनियमितता को भुगतान प्राप्त करने वालों के साथ मिलकर अंजाम दिया है। 

पशु चिकित्सा विभाग में अधिकतम शाखाएं एक ही पास क्यों ?

पशु चिकिसा विभाग सिवनी कार्यालय में अधिकांश मलाईदार शाखाएं एक ही व्यक्ति के द्वारा वर्षों से संचालित की जा रही है। यहां तक की विभाग के आय-व्यय का लेखा जोखा और भुगतान के अधिकांश कार्य भी एक व्यक्ति को जवाबदारी सौंपी जाती है। जबकि वहां पर अन्य अधिकारी कर्मचारी भी है जो वास्तविक रूप से उक्त शाखाऐं संभालने के लिये योग्य भी है उसके बाद भी उन्हें अवसर न देकर सिर्फ एक ही व्यक्ति को जवाबदारी देकर कार्य करवाया जा रहा है। 

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