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पारंपरिक ग्राम सभा में प्रस्ताव पारित करने से बस्तर बनेगा नगर पंचायत से ग्राम पंचायत-लखेश्वर बघेल

पारंपरिक ग्राम सभा में प्रस्ताव पारित करने से बस्तर बनेगा नगर पंचायत से ग्राम पंचायत-लखेश्वर बघेल

नगर पंचायत बस्तर को गा्रम पंचायत बनाने की बैठक में रखी मांग


बस्तर। गोंडवाना समय। 

नगर पंचायत बस्तर को ग्राम पंचायत बनाने को लेकर बुधवार को नगर पंचायत बस्तर के पुराना मंडी प्रांगण में बैठक आयोजित किया गया। जिसमें नगर पंचायत के आश्रित 22 पारा में मांझी पारा, कलारतराई , पीड़सी पारा, बागबहार, कारीतराई, भाटी पारा, फरसा पारा, केरा गुड़ा, पुजारी पारा, थाना पारा , नाईकगुड़ा, देउरगाव, जूनागुड़ा, भालू पारा, कोलिया पारा, करलाकोंता, नुआगुड़ा, भारवा पदर, कुंडाकोट एवं छेड़ीपारा के हजारों की संख्या में उपस्थित  होकर बस्तर विकास प्राधिकरण अध्यक्ष एवं  क्षेत्रीय विधायक लखेस्वर बघेल से मुलाकात कर नगर पंचायत को ग्राम पंचायत बनाने के लिए ज्ञापन सौंपा गया। 

बस बात चलेगी पारम्परिक ग्राम सभा का प्रस्ताव


बस्तर विकास प्राधिकरण अध्यक्ष लखेश्वर बघेल ने कहा कि पारंपरिक ग्रामसभा करके में  प्रस्ताव पारित कीजिए। यहाँ ना कोई बीजेपी ना कोई कॉग्रेस बस बात चलेगी पारम्परिक ग्राम सभा के प्रस्ताव की, गंगा दई, कैदीगुडिन फिरता आया आश्रीवाद और मैं सरकार में लड़ाई लड़ कर आपकी आवाज को सरकार तक पहुँचाऊंगा। लखेश्वर बघेल ने कहा कि बस्तर को ग्राम पंचायत  2-4 माह में बनाय जायेगा। इसके साथ ही ग्रामीणों ने बागबहार, देउरगॉव, नाईक गुड़ा, भाटी पारा, भरवा पदर को ग्राम पंचायत बनाने की मांग कि हैं। 

नगरीय निकाय की स्थापना से परंपरागत संस्कृति बोली भाषा पर पड़ रहा विपरीत असर


पार्षद रामचंद्र बघेल ने कहा कि परम्परागत ग्राम बस्तर को नगर पंचायत  गैर कानूनी ढंग से घोषित किया गया है। नगरीय निकाय अधिनियम 1956 -1961 का प्रावधान का प्रयोग कर सामान्य क्षेत्र के कानून के तहत 5 अनुसूचित क्षेत्र में लागू किया गया है, जो कि सरासर गलत है। संविधान की अनुच्छेद 243 (यग)के विरुद्ध है। अनुसूचित क्षेत्र  बस्तर एक आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र है जिसमें यहां के मूलनिवासी आदिवासी अन्य पिछड़ा वर्ग एवं अनुसूचित जाति समुदाय के लोगों में परंपरागत रूप से सामाजिक, आर्थिक, शैक्षणिक तौर पर सामुदायिक आधार पर जीवन जीने की एवं परंपरागत रीति रिवाज के अनुसार धार्मिक कृत्य संचालित किए जाते हैं। अनुसूचित क्षेत्रों में नगरीय निकाय की स्थापना करने से इन समुदाय के लोगों की रूढ़ि जन्य विधि अलिखित विद्यमान प्रवृत्त विधि परंपरागत रूढ़ि प्रथा परंपरा पर बुरा असर पड़ रहा है। इसके कारण इनकी जमीन पर अतिक्रमण प्रवासियों के द्वारा किया जाता है तथा इन समुदायों की परंपरागत संस्कृति बोली भाषा पर विपरीत असर पड़ रहा है संविधान प्रावधान के विपरीत तरीके से नगर पंचायत बस्तर को बनाया गया है, यह असंवैधानिक है। 

अनुसूचित क्षेत्रों में नगर पंचायत लागू नहीं होता


विशेषकर आदिवासी समाज एवं अन्य पिछड़ा वर्ग अनूसूचित जाति समुदाय का यह तर्क है कि नगर पंचायत के गठन से आदिवासी एवं मूल निवासियों के संविधानिक अधिकारों का हनन हो रहा है। संविधान के द्वारा प्रदत पांचवी अनुसूची प्रावधानों को कमजोर करने के लिए नगरीय निकाय का गठन किया जा रहा है, पूर्णता गलत जान पड़ रहा है। बुधराम पटेल ने कहा कि अनुसूचित क्षेत्रों में नगर पंचायत लागू नहीं होता है, ऐसे में ग्राम पंचायत को नगर पंचायत बनाया जाना उचित नहीं है क्योंकि हमने पहले से ही राष्ट्रपति, राज्यपाल के नाम पर ज्ञापन सौंप चुके हैं। ग्राम सभाओं के द्वारा प्रस्ताव रेजॉलूशन पास करके सम्बन्धित विभाग को भेजा जा चुका है लेकिन संवैधानिक पदों पर बैठे अफसरों द्वारा ग्रामसभा की रिजॉल्यूशन को अनदेखी की जा रही है। जिसके कारण आम जन को  मौलिक अधिकारों का हनन को सहन करना पड़ रहा है। 

अनुसूचित क्षेत्रों में नगर पालिका अधिनियम लागू नहीं होता 

नगर पंचायत बस्तर के संघर्ष समिति के सदस्य सोभा सिंह सेठिया ने कहा कि नगरीय प्रशासन एवं विकास के विभागीय समंसख्यक अधिसूचना द्वारा छत्तीसगढ़ नगरपालिका अधिनियम 1961 ( क्र. 37 सन 1961) की धारा 5 की उपधारा (1) के खण्ड (ख) में उल्लेखित प्रावधान के अनुसार नगर पंचायत बस्तर का गठन किया गया है परंतु ग्राम पंचायत बस्तर से नगर पंचायत बस्तर गठित करने हेतु किसी भी प्रकार का प्रस्ताव परंपरागत ग्राम सभाओं से नही लिया गया है, जबकि अनुसूचित क्षेत्रों में ग्राम सभा की सहमति एवं परामर्श अनिवार्य होती है एवं संविधान के अनुच्छेद 243 (यग), एवं अनुच्छेद 244 (1) के अनुसार अनुसूचित क्षेत्रों में नगर पालिका अधिनियम लागू नहीं होता एवं नगर पंचायत बनने से भारतीय संविधान के अनुच्छेद 13 (3) (क) में वर्णित हमारे मौलिक अधिकारों एवं परम्पराओं का हनन निरन्तर हो रहा है। 

रिवॉल्यूशन के मंशानुसार विघटित करवाने की मांग जायज

ग्राम बस्तर एतत द्वारा भारत का संविधान अनुच्छेद 13 (3) (क) , पांचवीं अनुसूची भाग ( ख) , (4), (5) मे प्रदत शक्तियों को प्रयोग में लाते हुए नगर पंचायत बस्तर को तत्काल प्रभाव से विघटित करने व ग्राम पंचायत बस्तर करने हेतु प्रस्ताव पारित कर मांग करते हुये महामहिम छत्तीसगढ़ राज्यपाल सुश्री अनुसुइया उइके, मुख्यमंत्री भूपेश बघेल एवं छत्तीसगढ़ नगर पालिका  अधिनियम 1961 (क्र. 37 सन 1961) की धारा 5 -क की उपधारा (1) मे प्रदत शक्तियों को प्रयोग में लाते हुए नगर पंचायत बस्तर को परंपरागत ग्राम सभा की रिवॉल्यूशन के मंशानुसार विघटित करवाने की हमारी मांग जायज है ।

प्रशासन मांगों को करती आ रही है अनदेखा 

मंडी प्रांगण में भारी संख्या में परंपरागत ग्राम सभा बस्तर के सदस्य इस सभा में उपस्थित थे। इसमें महिलाओं की भागीदारी सबसे ज्यादा थी। ज्ञात हो कि नगर पंचायत बस्तर को भारत के संविधान के अनुच्छेद 243 (यग) के अनुसार अवैध घोषित करते हुए ग्राम पंचायत में विघटित करने की मांग विगत दो-तीन वर्षों से यहां की ग्राम सभा के द्वारा किया जा रहा है। इस बाबत 1 वर्ष पूर्व ग्राम सभा के सदस्यों के द्वारा राष्ट्रीय राजमार्ग क्रमांक 30 को बाधित कर चक्का जाम भी किया जा चुका है। अनुसूचित क्षेत्र के संरक्षक प्रदेश के राज्यपाल  महोदया सुश्री अनुसूइया उइके से  से भी ग्राम सभा के सदस्यों के द्वारा राज भवन रायपुर में मिलकर इस असंवैधानिक निकाय को विघटित करने हेतु ज्ञापन दिया गया था परंतु प्रशासन द्वारा उनकी मांगों को अब तक अनदेखा किया गया है। 

कार्यवाही आने वाले वक्त में देखने को मिलेगा

अब प्रशासन ग्रामसभा रिजॉल्यूशन की क्या कार्यवाही करती है यह आने वाले वक्त में देखने को मिलेगा। इस दौरान अध्यक्ष डोमाय मौर्य, रामचंद्र बघेल पार्षद 1, हेमवती कश्यप पार्षद 5,  बंशीधर कश्यप पार्षद 7,  अजमनी बघेल पार्षद 8 ,लक्ष्मण कश्यप पार्षद 9, मनीराम बघेल पार्षद 13 , गणेश राम कश्यप ,शोभा सिंह सेठिया, बुधराम बघेल, लकेश्वर कश्यप ,खतकुटी कश्यप ,रूद्ररु मौर्य,  मोसू राम नाग, सीताराम सेठिया , लक्ष्मीनाथ बघेल ,संजू बघेल, के .एम. साहनी, श्रीधर कश्यप, तुलसीराम बघेल, जयराम कश्यप, जलन कश्यप, सोमारू कश्यप आदि हजारों संख्या में ग्रामीण उपस्थित थे ।


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