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राष्ट्रीय ट्राइबल यूनिवर्सिटी अमरकंटक में सिर्फ 7% ट्राइबल छात्रों को एडमिशन मिलता है और शिक्षक सिर्फ 4-5 है-डॉ अशोक मर्सकोले

राष्ट्रीय ट्राइबल यूनिवर्सिटी अमरकंटक में सिर्फ 7% ट्राइबल छात्रों को एडमिशन मिलता है और शिक्षक सिर्फ 4-5 है-डॉ अशोक मर्सकोले 

मूलभूत आवश्यकताएं शिक्षा, चिकित्सा, रोजगार, पलायन प्रताड़ना पर कभी चिंतन नहीं कर ऐतिहासिक अन्याय किया


भोपाल। गोंडवाना समय।

गांधी भवन सभागृह भोपाल में गुरुवार देर शाम तक चले, आदिवासी क्षेत्रों में शिक्षा की गुणवत्ता विषय पर आयोजित संवाद कार्यक्रम में करीब 15 विधायक, पूर्व सांसद, पूर्व आईएएस अधिकारी, विभिन्न सामाजिक संगठनों के पदाधिकारी, पूर्व और वर्तमान में अधिकारी कर्मचारी शामिल हुए।

रिस्पांसिबिलिटी का एहसास कराने के साथ गुणवत्ता का भी हो आकलन-अशोक मर्सकोले 


कार्यक्रम का संचालन करते हुए विषय के महत्त्व पर प्रस्तावना रखते हुए निवास विधायक डॉ अशोक मर्सकोले ने आदिवासी क्षेत्रों में शिक्षा की गुणवत्ता और बेरोजगारी को रोजगार को एक दूसरे का पूरक माना और मूलभूत आवश्यकताएं शिक्षा, चिकित्सा, रोजगार, पलायन प्रताड़ना पर कभी चिंतन नहीं कर ऐतिहासिक अन्याय किया है।
        विधायक डॉ अशोक मर्सकोले ने यह भी कहा की शिक्षा की गुणवत्ता का जो आज स्तर है, उसमें हर स्तर पर गुणवत्ता का आकलन नहीं कर पाने का अन्याय का स्तर बढ़ा हुआ है। आज की स्थिति में ऐसा प्रतीत होता है की शिक्षा सिर्फ साक्षरता के लिए होकर रह गई है।
            सभी जनप्रतिनिधियों को समाजसेवी संगठनों को अधिकारी कर्मचारियों को और बुद्धिजीवी वर्ग को कहीं ना कहीं चिंतन और मनन कर एक प्रस्ताव पारित होना चाहिए शिक्षा की गुणवत्ता में किस स्तर पर जो कमी रही है उन सभी बिंदुओं को लेकर उनसे जुड़े हुए संबंधित चाहे अधिकारी हो,चाहे सरकारें हो उस पर प्रश्न करते हुए, उनको उनकी रिस्पांसिबिलिटी का एहसास न सिर्फ कराना है बल्कि उस गुणवत्ता का आकलन भी समय-समय पर होना चाहिए।
        इस पर नजर जनप्रतिनिधियों को भी रखना होगा, उन्हें सवाल करना होगा। इंदिरा गांधी राष्ट्रीय ट्राइबल यूनिवर्सिटी अमरकंटक में सिर्फ़ 7% ट्राइबल छात्रों को एडमिशन मिलता है शिक्षक सिर्फ़ 4- 5 है जबकि पचास पर्सेंट कम से कम होना चाहिए यह अन्याय है पर नजर किसी की नहीं।

ट्राईबल सब प्लान की राशि का हो सदुपयोग-हीरा अलावा 


कार्यक्रम के संयोजक और जयस संरक्षक और विधायक डॉ हीरालाल अलावा ने शिक्षा की गुणवत्ता और स्कूलों में शिक्षकों की कमी शिक्षक वहीं प्राथमिक, माध्यमिक, हाई व हायर सेकेण्ड्री स्कूलों में प्रिंसिपल और विशेषज्ञ ट्राईबल सब प्लान की राशि का उपयोग शिक्षा स्वास्थ्य रोजगार जैसी मूलभूत सुविधाओं के लिए आदिवासी क्षेत्रों में होना चाहिए, इस पर बल दिया और सीएसआर की राशि का उपयोग ट्राइबल क्षेत्रों के शिक्षा स्वास्थ्य और रोजगार जैसी मूलभूत आवश्यकताओं के लिए अनिवार्य किया जाना चाहिए।

एमपी और एमएलए को अपनी अच्छाइयां और अपनी कमियों को जरूर टेस्ट करना चाहिए


वरिष्ठ पत्रकार और राजनीतिक विश्लेषक श्री भास्कर राव जी रोकड़े ने मॉडल स्कूल, उत्कृष्ट स्कूल में शिक्षा की गुणवत्ता का पैमाना पर किसी भी प्रकार की एनालिसिस नहीं होना, उत्कृष्ट स्तर की शिक्षा पर काम करने वाली संस्थाओं की कमी को ट्राइबल क्षेत्रों में चिंता का विषय होना बताया।
        इसके साथ ही यह भी कहा की एमपी और एमएलए को अपनी अच्छाइयां और अपनी कमियों को जरूर टेस्ट करना चाहिए कि उन्होंने अपनी जिम्मेदारी इन विषयों पर कितनी निभाई और सजग होकर काम करने की सबको मिलकर काम करने की आवश्यकता पर बल दिया चिंतन करने पर बल दिया।
        वहीं कार्यक्रम में पूर्व संयुक्त संचालक कृषि रहे श्री यू एस सैयाम जी और कई लोगों ने स्कूल पालक शिक्षा कमेटी को ज्यादा सजग होकर शिक्षकों की कार्य की गुणवत्ता पर ध्यान दिया जाना चाहिए। 

गांव में शिक्षा की व्यवस्था पर नजर नहीं रख पाते

हरदा से आए श्री धन सिंह भलावी जी और श्री करुणा शंकर शुक्ला जी ने एक मत से कहा कि जनप्रतिनिधि और संगठनों के मुखिया और अधिकारी बातें तो बहुत बड़ी-बड़ी करते हैं लेकिन अपने ही क्षेत्रों अपने ही गांव में शिक्षा की व्यवस्था पर नजर नहीं रख पाते जब तक ग्राम स्तर पर व्यवस्था स्कूल व्यवस्था की नींव मजबूत नहीं होगी तब तक शिक्षक इमारत खड़ा नहीं होगा, कारोना काल में जो ग्रामीण क्षेत्रों के स्कूलों में आॅनलाइन शिक्षा के नाम पर या मोहल्ला स्कूल के नाम पर जो फॉर्मेलिटी की गई है एक बहुत बड़ी जनता को धोखे में रखने का काम हुआ है। इसकी गंभीरता को किसी ने भी नहीं समझा सिर्फ मजबूरी की बातें होकर रह गई है। 

हॉस्टल में अधीक्षक व ट्राइबल स्कूलों में शिक्षक ट्राइबल के ही होना चाहिए


पूर्व केंद्रीय मंत्री और वर्तमान विधायक श्री कांतिलाल भूरिया ने अपने समय मंत्री काल के समय केंद्रीय स्तर पर एकलव्य स्कूल एवं राज्य स्तर पर मॉडल स्कूल का कंसेप्ट दिया। यह एक प्रयास था कि शिक्षा के स्तर को बढ़ाया जाए पर वर्तमान सरकारों ने उसका राजनीतिकरण कर दिया। हॉस्टल अधीक्षक और अधिक्षिका ट्राइबल स्कूलों में ट्राइबल के ही होना चाहिए परंतु राजनीतिक व्यवस्थाओं के शिकार होने के कारण इस व्यवस्था को निगल लिया।

5 लाख से उद्योग स्थापित किया जा सकता है

श्री हिरदेश किरार राष्ट्रीय जोनल प्रभारी डिक्की और श्री अनिल सरवैया डिक्की चेयरमैन मप्र ने कहा आर्थिक गतिविधि विकास का पैमाना होता है। आदिवासी क्षेत्रों में जहाँ मूलभूत सुविधाओं की कमी है परंतु वहीं संसाधनों को जुटाने की अपार संभावनाएं बनती हैं, समझने और सामंजस्य बनाकर काम करने की आवश्यकता है। 5 लाख से उद्योग स्थापित किया जा सकता है।
         इसके लिये समाज के उत्थान के लिए युवाआें को आगे आना चाहिये। वहीं वरिष्ठ समाजसेवी सारिका सिन्हा ने आश्रम शाला, एकलव्य स्कूल, कस्तूरबा गांधी जैसे मूलभूत संरचनाओं पर काम करने वाली संस्थाओं को बचपन से ही प्राइमरी लेवल से ही आदिवासी भाषाओं पर शिक्षण कार्य रखना चाहिए। 

प्राइमरी शिक्षा से ही इंग्लिश और हिंदी दोनों का अध्ययन पर बल दिया

सभी जनप्रतिनिधि एवं सामाजिक बुद्धिजीवियों के द्वारा जयश कैलेंडर का विमोचन किया। श्री कुलदीप चौधरी बेस्ट इंग्लिश आॅनलाइन शिक्षण संस्थान के संचालक ने शिक्षा की गुणवत्ता पर प्राइमरी शिक्षा से ही इंग्लिश और हिंदी दोनों का अध्ययन पर बल दिया, उसकी आवश्यकता पर बल दिया ताकि एजुकेशन में प्राप्त करने गए शिक्षण संस्थानों में अपनी गुणवत्ता बना रहे। 

अनुसूचित क्षेत्रों में महामहिम राज्यपाल ने अपनी जिम्मेदारी नहीं निभाई

अनिल गर्ग जी जो कि वनाधिकार और पांचवी अनुसूची के देश के सबसे बड़े विशेषज्ञ में से एक हैं, इन्होंने प्राकृतिक संसाधनों का उपयोग आदिवासी बाहुल्य क्षेत्रों में नहीं होना। वहीं इसके साथ ही जिम्मेदार में जिम्मेदारों ने शिक्षा के प्रसार में अपनी सही भूमिका नहीं निभाई। अनुसूचित क्षेत्रों में वहां की शासन प्रबंधन व्यवस्था के जिम्मेदारी महामहिम राज्यपाल की होती है जिन्होंने अपनी जिम्मेदारी नहीं निभाई। यह कहने में मुझे कोई संकोच नहीं है।
            वहीं विधायक श्री अजय शाह अध्यक्ष आदिवासी कांग्रेस ने कहा कि सामूहिक सहभागिता के साथ सभी जनप्रतिनिधियों को एक साथ आवाज उठाना पड़ेगा। पूर्व आईएएस अधिकारी श्री एस एस कुमरे ने सामाजिक एकजुटता, सबको मिलकर रहने का संदेश दिया।
        वहीं विधायक पाची लाल मेढ़ा ने ट्राइबल सब प्लान की राशि का उपयोग शिक्षा की गुणवत्ता और मूलभूत सुविधाओं के लिए होना चाहिए कहा और सभी जनप्रतिनिधियों को समाजसेवी संगठनों को अधिकारी को मिलकर काम करने पर बल दिया। इन्हीं महत्वपूर्ण विषय पर सभी जनप्रतिनिधियों मुख्य सचिव मध्यप्रदेश शासन से मिलकर चर्चा किया और ज्ञापन दिया।

एक साथ सभी ने साथ रहने साथ बोलने और लड़ने का संकल्प लिया


मंच संचालन डॉ अशोक मर्सकोले विधायक निवास, बाबूसिंह डामोर प्रवक्ता जयस और राकेश परते ने किया। जिसमें पूर्व सांसद सूरज भानु सिंह सोलंकी, विधायक वीर सिंह भूरिया, कलावती भूरिया चंद्रभागा किराड़े, वाल सिंह मीणा विधायक डॉवर, अजय शाह, अनवर जाफरी,  आर एन ठाकुर, मोनिका शाह बट्टी, चंद्रा सरवटे, रतन वरकड़े, ओ पी अहिरवार, सिद्धार्थ गुप्ता, डॉ दीपक मरावी, जयस प्रदेश अध्यक्ष अरविंद मुजाल्दा, राजा धुर्वे बेतुल ने अपनी बातें रखते हुए आदिवासी विषयों की गंभीरता और उसकी आवश्यकता में सभी आदिवासी जनप्रतिनिधियों को दलगत राजनीति से ऊपर उठकर यदि ऐसा संवाद स्थापित करते हैं और सामाजिक संगठनों के पदाधिकारियों के साथ चर्चा कर बुद्धिजीवियों से चर्चा कर विषयों को उठाकर एक मंच से एक मत से उस का प्रस्ताव पारित करे जो अब तक आदिवासी क्षेत्रों के विकास संबंधी और योजना संबंधी ऐतिहासिक अन्याय हुआ है। जिसमें आदिवासी क्षेत्रों में अभी भी मूलभूत आवश्यकताएं आवश्यकताओं को तरस रहे हैं। शिक्षा, स्वास्थ्य, अशिक्षा, बेरोजगारी, प्रताड़ना, पलायन जैसे विषय है जिस पर चिंतन करने की आवश्यकता है। इनको शिक्षा में तकनीकी ज्ञान, व्यवहारिक शिक्षा, रोजगार की शिक्षा इनको समाहित करना पड़ेगा।
            योजनाओं का फायदा आदिवासी को मिले सब जागरूक होकर काम करें। सभी जनप्रतिनिधियों को सामाजिक कार्यकर्ता व बुद्धिजीवियों को एक मतेन होकर आदिवासियों की हितों की बातें रखेंगे। ऐसे आयोजन होते रहना चाहिये, चिंतन और एनालिसिस होता रहे तभी सामाजिक मजबूती मिलेगी। आवाज की गूंज दूर तक जायेगी, जनप्रतिनधित्व प्रक्रिया मजबूत होगी, सदन और सरकार विषयों को गंभीरता से लेते हुए क्रियान्वयन पर ध्यान देंगे। एक साथ सभी ने साथ रहने साथ बोलने और लड़ने का संकल्प लिया।

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