Type Here to Get Search Results !

अनपढ़ महिलाओं को पढ़ाना मुझे आत्मसंतुष्टि देता है-देवी शिववंशी

अनपढ़ महिलाओं को पढ़ाना मुझे आत्मसंतुष्टि देता है-देवी शिववंशी

निरक्षरता से आजादी अभियान के तहत महिलाओं को बना रही साक्षर


मण्डला। गोंडवाना समय। 

ग्राम आमाटोला की देवी शिववंशी बचपन से शिक्षिका बनना चाहती थी किन्तु बारहवी तक की पढ़ाई पूरी कर अपने गृहस्थ जीवन में व्यस्त हो गई। शिक्षिका बनने की चाह कहीं उनके मन में ही दबी रह गई। लेकिन जिला प्रशासन एवं महिला बाल विकास विभाग के समन्वय से निरक्षर महिलाओं को साक्षर बनाने का कार्यक्रम ह्णह्णनिरक्षरता से आजादी अभियानह्णह्ण प्रारंभ हुआ और जल्द ही देवी को अपने मन की इच्छा पूरी करने का मौका मिला। देवी जो कि गांव की पढ़ी-लिखी महिलाओं में से एक है, ने स्वेच्छा से गांव की निरक्षर महिलाओं को साक्षर करने में सहयोग देने के लिए अपना नाम प्रस्तुत किया। देवी अब शासकीय शिक्षिका तो नहीं किन्तु स्वेच्छा से गांव की निरक्षर महिलाओं को पढ़ाने के लिए समय निकालती है और नियमित रूप से इस काम को पूरे मनोयोग से करती है। बसंत पंचमी की अवसर पर कलेक्टर हर्षिका सिंह ने भी देवी को अनपढ़ महिलाओं को नियमित रूप से पढ़ाने और उनको साक्षर बनाने के अभियान में सहयोग देने के लिए प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया।

अपने गृहस्थ जीवन की जिम्मेदारियों और व्यस्तताओं के बावजूद देवी आंगनवाड़ी केन्द्र पहुंचकर निरक्षर महिलाओं को अक्षरज्ञान, नाम लिखना तथा सामान्य बैंकिंग की कार्यप्रणाली के बारे में विस्तार से बताती है। बारहवी तक पढ़ी देवी शिववंशी महिलाओं को पढ़ाने के इस कार्य को करके एक आत्मिक संतुष्टि का अनुभव करती है। देवी की मेहनत अब धीरे-धीरे रंग भी ला रही है। गांव की निरक्षर महिलाएं अब साक्षर बन रही है जो अब अपना नाम लिखना, गिनती करना तथा बैंक के दैनिक जीवन के लिए उपयोगी कार्य भी कर रही है। आंगनवाड़ी कार्यकर्ता भी देवी की लगन और निष्ठा से अभिभूत है और कहती है कि नियमित रूप से देवी महिलाओं को पढ़ाती है और साक्षर बना रही है। देवी भी स्वयं खुश होकर कहती है कि जो काम मैं शासकीय शिक्षिका बनकर नहीं कर पा रही थी अब मैं स्वेच्छा से गांव की महिलाओं को पढ़ाकर साक्षर बना रही हूँ जो मेरे लिए आत्मिक संतुष्टि देने वाला कार्य है।

60 साल से अधिक की सरस्वती बाई बनी साक्षर


निरक्षरता से आजादी अभियान के तहत् हर उम्र की वे सभी महिलाएं एवं बालिकाएं जो किसी कारणवश पढ़-लिख नहीं पाई थी अब वो पढ़ने का एक और मौका प्राप्त कर रही है। गांव की पढ़ी-लिखी महिलाएं अनपढ़ एवं निरक्षर महिलाओं को अक्षरज्ञान, गिनती एवं वित्तीय साक्षर बना रही हैं। आमाटोला निवासी सरस्वती बाई भी इसी कार्यक्रम के तहत् साक्षर बनी है। लगभग् 60 साल से अधिक उम्र की सरस्वती बाई अब अपना नाम लिखना सीख चुकी है साथ ही गिनती गिनना एवं लिखना भी लगातार सीख रही है। उन्होंने अपना नाम लिखकर कलेक्टर को भी दिखाया। शिक्षा प्राप्त करने के बाद आत्मविश्वासी बनी सरस्वती बाई बड़ी खुश होकर कहती है कि अब मैं अपना नाम लिख लेती हूं, गिनती गिन लेती हूं तथा बैंक जाकर पैसे निकालने का फार्म भी भर लेती हूं। पहले मुझे दूसरों पर निर्भर रहना पड़ता था किन्तु अब मैं स्वयं अपने काम को करने में सक्षम हो गई हूं। आंगनवाड़ी केन्द्र के माध्यम से मुझे फिर से पढ़ने का अवसर मिला। इसके लिए मैं महिला बाल विकास विभाग और कलेक्टर को धन्यवाद देती हूं।

Post a Comment

0 Comments
* Please Don't Spam Here. All the Comments are Reviewed by Admin.