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प्रधानमंत्री की मंशा पर पानी फेर रहा सिवनी पशु चिकित्सा विभाग, डॉ राजेश ठाकुर के पास डीडीओ पॉवर सहित क्यों है सबसे ज्यादा शाखाओं के प्रभार

प्रधानमंत्री की मंशा पर पानी फेर रहा सिवनी पशु चिकित्सा विभाग, डॉ राजेश ठाकुर के पास डीडीओ पॉवर सहित क्यों है सबसे ज्यादा शाखाओं के प्रभार 

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी द्वारा 11 सितंबर, 2019 को घोषित नीति आयोग द्वारा चिन्हित आकांक्षी जिलों सहित 6,000 चुने गए जिलों को कवर करने वाला राष्ट्रीय कृत्रिम गर्भाधान परियोजना (एनएआईपी) पूरे देश भर में चलाया जा रहा है। एनएआईपी अभियान का उद्देश्य सभी नस्ल की गो-जातियों को कवर करना है, ताकि कम लागत की प्रजनन टेक्नोलॉजी का उपयोग करते हुए दुग्ध उत्पादन बढ़ाया जा सके। इसके साथ ही कार्यक्रम का उद्देश्य गो-जातियों के बीजारोपण तथा उनके कान में पशुआधार टैग पहनाना है। कृत्रिम बीजारोपण के अंतर्गत सभी गाय और भैंस को पशुधन टैग लगाया जाएगा, ताकि पशु उत्पादकता तथा स्वास्थ्य (आईएनएपीएच) डाटा बेस पर उनकी सूचना देखी जा सके। उक्त योजना को क्रियान्वित करने में वरिष्ठ कार्यालय प्रमुखों के निर्देशों का पालन पशु चिकित्सा विभाग सिवनी के द्वारा नहीं किया जा रहा है इसके लिये वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा चेतावनी भी दी जा रही है और निर्देशों की अवहेलना किया जाना बताया जा रहा है। वहीं हम आपको बता दे कि पशु चिकित्सा विभाग सिवनी प्रधानमंत्री की मंशा पर पानी फेर रहा है। महत्वपूर्ण योजना पर लापरवाही बरतने का कार्य किया जा रहा है। पशु चिकित्सा विभाग में अधिकतम शाखाओं का प्रभारी उपसंचालक द्वारा डॉ राजेश ठाकुर को ही बनाया गया है, अब इसके पीछे क्या कारण है ये तो उप संचालक व प्रभार संभालने वाले डॉ राजेश ठाकुर ही जानते है। 




सिवनी। गोंडवाना समय।

पशु चिकित्सा विभाग के अंतर्गत संभाग में यदि हम बीते दिवस की बात करें तो राष्ट्रीय कृत्रिम गर्भाधान परियोजना (एनएआईपी)-2 में मात्र कटनी जिला द्वारा ही लगभग 800 की इनाफ पोर्टल में आॅनलाइन दर्ज की गई है। संभाग के अन्य सभी जिलों की आॅनलाइन दर्ज संख्या निरंक है। जिससे स्पष्ट है कि पशु चिकित्सा विभाग के उपसंचालक एवं उनके अधीनस्थ कर्मचारियों द्वारा एसीएस के निदेर्शों की अवहेलना की जा रही है, जो कि बहुत ही आपत्तिजनक है। 

वरिष्ठ अध्किारियों ने कहा सिवनी की स्थिति ठीक नहीं है 


जबकि राष्ट्रीय कृत्रिम गर्भाधान परियोजना (एनएआईपी) की समय सीमा की बैठक में नियमित समीक्षा के निर्देश भी शासन द्वारा सभी कलेक्टरों को दिये गये है। इसलिये इस योजना में अत्याधिक गंभीरता के साथ कार्य करने की आवश्यकता है। विभागीय अधिकारी मैदान स्तर के कर्मचारियों को प्रगति लाने के लिये चेतावनी दे ताकि समय पर कार्य पूर्ण किया जा सके उक्त निर्देश विभाग के उच्च अधिकारियों द्वारा दिये गए है एवं एनआईपी की प्रतिदिन रिपोर्टिंग करना है। वहीं सिवनी जिले की स्थिति ठीक नही है, बार-बार निर्देशित करने के बावजूद भी प्रगति कम है एवं जानकारी भी नहीं दी जा रही है। सिवनी जिले में पशु चिकित्सा विभाग की विभागीय की कार्यप्रणाली को लेकर वस्तु स्थिति से उच्च अधिकारियों को भी अवगत कराया जा रहा है।

लखनादौन के आॅपरेटर से भी सिवनी में ही करवा रहे कार्य 

राष्ट्रीय कृत्रिम गर्भाधान परियोजना (एनएआईपी) फेश-2 के लिए व्यापक प्रचार प्रसार नहीं हो रहा। विभाग द्वारा उक्त योजना को समय पर पूरा करने के लिये 2 डॉटा एंट्री आॅपरेटर भी रखे हैं परंतु डाटा फीडिंग का कार्य धीमी गति से चल रहा क्योंकि 2 डॉटा आपॅरेटर को सिवनी मुख्यालय में ही कार्यरत रखा गया है। जबकि 1 आॅपरेटर को सिवनी में एवं 1 आॅपरेटर को लखनादौन में रखा जाना था। जिससे लखनादौन में लखनादौन, धनौरा, घंसौर, छपारा का कार्य समय पर हो सकें लेकिन लखनादौन के आॅपरेटर को भी विभाग मुख्यालय सिवनी कार्यालय में रखा गया है जिससे डॉटा फीडिंग कराने के लिये लखनादौन, धनौरा, घंसौर व छपारा के कर्मचारियों को सिवनी आकर फीडिंग करवाना पड़ता है। जिससे समय पर कार्य नहीं हो पा रहा है और विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों को ठेंगा को दिखाया ही जा रहा है साथ में सरकार, शासन की मंशा पर पानी फेरने का काम किया जा रहा है। 

कलेक्टर के आदेश के बाद भी डॉ राजेश ठाकुर नहीं निकाल रहे वेतन 

कुरई और घंसौर के 2 चिकित्सक का वेतन एनएडीपीसी योजना में संतोषजनक नहीं पाये जाने पर कलेक्टर डॉ राहूल हरिदास फटिंग के द्वारा रोका गया था। वहीं योजना 31 दिसम्बर 2020 को समाप्त हो गयी। वहीं इसके बाद कलेक्टर डॉ राहूल हरिदास फटिंग ने वेतन भी निकलने के आदेश भी दे दिए थे परंतु बताया जाता है कि पशु चिकित्सा विभाग में डॉ राजेश ठाकुर जो कि वर्षों से सिवनी जिले में ही कार्यरत है और विभाग की सबसे ज्यादा शाखाओं का प्रभार भी इन्हीं के पास रहता है। यहां तक कि डॉ राजेश ठाकुर के डीडीओ पावर है। बताया जाता है कि डॉ राजेश ठाकुर ने कलेक्टर के आदेश के बाद भी उन्होंने वेतन के बिल बनाने के लिए संबंधित बाबू को लिखकर नहीं दिया है।

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