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13 वर्ष में मिडिल स्कूल की प्लंथ ही बना पाये शिवराज सरकार के अफसर, वन ग्रामों की हालत खराब

13 वर्ष में मिडिल स्कूल की प्लंथ ही बना पाये शिवराज सरकार के अफसर, वन ग्रामों की हालत खराब

अंधकार में है वन ग्राम पीपरदौन के बच्चों का शैक्षणिक भविष्य 

2008 में प्रारंभ हुआ मिडिल स्कूल का निर्माण कार्य प्रारंभ आज भी अधूरा 

शिवराज सरकार की योजनाओं की खुल रही धरातल पर पोल

ग्राउंड रिपोर्ट
अजय नागेश्‍वर संवाददाता
उगली। गोंडवाना समय।

वर्तमान में शिवराज सरकार के चौथी पारी के 1 वर्ष पूरा होने पर विकास कार्यों का ढिंढौरा पीटा जा रहा है। संगठन के पदाधिकारी और सत्ता के जनप्रतिनिधि कार्यालयों में बैठकर अफसरों द्वारा तैयार किये गये कागजी आंकड़ों के सहारे अपनी ही पीठ थपथपाने में लगे है।
         


हम आपको बता दे कि धरातल में शिवराज सरकार की ये स्थिति है कि शैक्षणिक विकास के लिये बच्चों के भविष्य निर्माण के लिये स्कूल भवनों का निर्माण कार्य की ये स्थिति है कि जो काम शिवराज सिंह चौहान की दूसरी पारी के प्रथम वर्ष में यानि वर्ष 2008 में शुरू हुआ था वह चौथी पारी के एक वर्ष बीत जाने के बाद भी शिवराज सरकार के अफसर प्लंथ के ऊपर एक र्इंट भी नहीं रख पाये है।
            मंडला लोकसभा व केवलारी विधानसभा क्षेत्र के अंतर्गत उप-तहसील उगली से लगभग 20 किलोमीटर दूर आदिवासी अंचल में स्थित ग्राम पंचायत रतनपुर के तहत आने वाले वन ग्राम पीपरदौन में वर्ष 2008 में मिडिल स्कूल का भूमि पूजन किया गया था। इसका निर्माण कार्य भी प्रारंभ किया गया था जहां पर सिर्फ प्लंथ ही भर पाई है। जिसको लगभग अब 13 साल बीत गए लेकिन आज तक सरकारी स्कूल नहीं बनने के लिये प्लंथ के ऊपर 1 र्इंट भी शिवराज सरकार के अफसर नहीं रख पाये है। इसका क्या कारण है ये सब जांच का विषय है।

पीपरदौन के ग्रामीणो को है मिडिल स्कूल का है इंतजार

वन ग्राम पीपरदौन में बच्चों के उज्जवल भविष्य के लिए मध्य प्रदेश की शिवराज सरकार ने मिडिल स्कूल बनाने का कार्य वर्ष 2008 में प्रारंभ करवाया था लेकिन लगभग 13 साल बीत गए आज तक मिडिल स्कूल नहीं बन पाया। वही ग्रामीणों ने बताया कि 6 महीने में मात्र प्लंत खड़ा हो पाया था। कछुआ चाल पर काम हो रहा था वो भी पिछले 13 सालो से बंद है। वही इस गांव के अधिकतर बच्चे कम पढ़े-लिखे हैं। वन ग्राम पीपरदौन मुंशी प्रेमचंद जी की कहानियों में से ही लगता है जैसे कि इस गांव तक विकास पहुंचा ही नहीं। जैसे-जैसे ग्रामीण अपनी आपबीती बताते जा रहे थे वैसे-वैसे सरकारी योजनाओं की धरातल पर पोल खुलती जा रही थी।

ग्रामीणों ने दिया ज्ञापन नहीं हुई सुनवाई

वन‌ ग्राम पीपरदौन के ग्रामीणों ने बताया कि हमने वर्ष 2008 में मिडिल स्कूल का काम बंद हो गया था उसे चालू करवाने के लिए जनप्रतिनिधियों को ज्ञापन दिया था। इसके बाद भी आज तक कोई सुनवाई नहीं हो पा रही है जिससे वन ग्राम के ग्रामीणों के बच्चों का शैक्षणिक भविष्य अंधकार में ही दिखाई दे रहा है। 

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