40 से अधिक जनजातीय शिल्पकार, विक्रेता करेंगे अपने उत्पादों का प्रदर्शन
4 और 5 मार्च 2021 को जीआई महोत्सव का आयोजन
आदिवासी उत्पादकों व हस्तशिल्पियों की समस्याओं पर होगी चर्चा
नई दिल्ली। गोंडवाना समय।
प्रधानमंत्री की वोकल फॉर लोकल और आत्मनिर्भर भारत की परिकल्पना के क्रम में भारतीय जनजातीय सहकारी विपणन विकास परिसंघ (ट्राइफेड), जनजातीय कार्य मंत्रालय, भारत सरकार, लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय प्रशासनिक अकादमी, मसूरी और संस्कृति मंत्रालय भारत सरकार के सहयोग से 4 और 5 मार्च 2021 को जीआई महोत्सव का आयोजन कर रहा है। लाल बहादुर शास्त्री प्रशासनिक अकादमी (एल बी एस एन ए ए) परिसर में आयोजित होने जा रहे हैं, इस महोत्सव में जीआई उत्पादों के 40 से अधिक अधिकृत विक्रेता और जनजातीय शिल्पकार भाग लेंगे और अपने उत्पादों का प्रदर्शन करेंगे। जी आई महोत्सव का उद्देश्य देशभर के विभिन्न जीआई उत्पादों को प्रदर्शित करना है ताकि आईएएस प्रोफेशनल को ऐसे उत्पादों के बारे में और अधिक जागरूक किया जा सके तथा संवेदनशील बनाया जा सके ताकि वह भारत की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को बेहतर ढंग से समझें और अपनी नीतियां इस प्रकार लागू करें जिससे उनके क्षेत्र में जी आई उत्पादों का हित संरक्षित रहे।
उत्पादन, ब्रांडिंग, पैकिंग, विपणन के लिए करेंगे मदद
यह आयोजन ऐसे प्रशिक्षु अधिकारियों को एक मंच उपलब्ध कराएगा जहां वे इन अधिकृत उत्पादकों और कारीगरों से रूबरू हो सकेंगे और उन्हें उत्पादन, ब्रांडिंग, पैकिंग और उसके विपणन की योजना तैयार करने के लिए विभिन्न क्षेत्रों में मदद कर सकेंगे। पद्मश्री सम्मान से सम्मानित डॉ रजनी कांत देशभर में जी आई उत्पादों की स्थिति और जी आई टैगिंग प्रक्रिया के बारे में प्रशिक्षु अधिकारियों को जानकारी देंगे। 4 मार्च, 2021 के आयोजन के दौरान डॉक्टर रजनीकांत टैग प्राप्त करने में आदिवासी उत्पादकों और हस्तशिल्पियों के समक्ष आने वाली चुनौतियों के बारे में भी बात करेंगे।
पोचमपल्ली के बुनकरों ने तैयार की ट्राइफेड जैकेट
एल बी एस एन ए ए परिसर में आयोजित होने जा रहे इस कार्यक्रम के अंतर्गत 5 मार्च, 2021 को ट्राइब्स इंडिया आउटलेट का उद्घाटन किया जाएगा जो जी आई उत्पादों के साथ-साथ आदिवासी हस्तशिल्प और उत्पादों को प्रोत्साहित करने और उनका विपणन करने का कार्य करेगा। इस महोत्सव के दूसरे दिन 5 मार्च, 2021 को एक अन्य आकर्षण होगा ट्राइफेड जैकेट का शुभारंभ जो पारंपरिक जियोमीट्रिक इकात बुनाई शैली में पोचमपल्ली के बुनकरों द्वारा तैयार की गई है।
आदिवासी संस्कृति और खानपान का भी प्रदर्शन होगा
हस्तशिल्प, हथकरघा उत्पादों और अन्य उत्पादों समेत स्वदेशी उत्पादों की भारत की समृद्ध विरासत रही है। इसी संदर्भ में जियोग्राफिकल इंडिकेशन यानि जी आई टैगिंग और महत्वपूर्ण हो जाती है। किसी क्षेत्र विशेष में विशिष्ट उत्पाद के लिए जियोग्राफिकल इंडिकेशन पंजीकरण और उसके संरक्षण से उत्पादकों और हस्तशिल्पियों को प्रोत्साहन मिलता है और ऐसे उत्पादों के व्यवसाय में लगे व्यवसायी अपने व्यवसाय को राष्ट्रीय तथा अंतरराष्ट्रीय स्तर पर विस्तार देने के लिए प्रेरित होते हैं। भारत के कुछ विशिष्ट उत्पाद विश्व प्रसिद्ध हैं जिनमें दार्जिलिंग की चाय, मैसूर का सिल्क, चंदेरी साड़ी, बनारसी ब्रोकेड, पोचमपल्ली, मसालों की किस्में, ओडिशा का पटचित्र, वर्ली पेंटिंग, अराकू घाटी की कॉफी, कुल्लू की शॉल और जयपुर के नीले बर्तन, नागा मिर्चा सहित कई अन्य उत्पाद शामिल हैं।
उत्पादों तक ग्राहकों की और ग्राहकों तक उत्पादकों की पहुंच बढ़ेगी
देशभर के विभिन्न जनजातीय समूहों द्वारा सदियों से उत्पादित किए जा रहे स्वदेशी उत्पादों को प्रोत्साहित करने और उनके विपणन में ट्राइफेड देश की मुख्य एजेंसी है और इस दिशा में यह व्यापक कार्य कर रही है। ट्राइफेड पहले से ही 50 जी आई उत्पादों का विपणन कर रही है और जनजातीय विक्रेताओं को अधिकृत विक्रेता के रूप में पंजीकृत करने के लिए बड़े कदम उठा रही है। साथ ही जी आई उत्पादों के अधिकृत विक्रेताओं का नया आधार भी तैयार कर रही है। इन प्रयासों से उत्पादों तक ग्राहकों की और ग्राहकों तक उत्पादकों की पहुंच बढ़ेगी। ट्राइफेड ऐसे नए उत्पादों की पहचान पर भी काम कर रही है जिनकी जी आई टैगिंग हो सकती है और इसने अब तक ऐसे 54 उत्पादों को चिन्हित किया है। ट्राइफेड जनजातीय लोगों कि आय और आजीविका को बेहतर करने पर लगातार काम कर रही है साथ ही उनकी जीवन शैली और उनकी परंपराओं को भी संरक्षित कर रही है।