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हम संत रविदास जी के उद्देश्य को भूल गयें और जातिवादी उत्सव में हो गये है लीन

हम संत रविदास जी के उद्देश्य को भूल गयें और जातिवादी उत्सव में हो गये है लीन 

रविदास शिक्षा मिशन ने मनाया संत रविदास जयंती समारोह


सिवनी। गोंडवाना समय। 

महापुरूषों की जयंती मनाना एक परंपरा सी हो गई है। लोग जयंती मनाते हैं लेकिन महापुरूषों की शिक्षाओं को नहीं अपनाते। संत रविदास जी ने तथागत गौतम बुद्ध के वचनों को समकालीन परिस्थितियों के अनुसार अपनाया और उसे प्रचारित किया था लेकिन हम संत रविदास जी के उद्देश्य को भूल गयें और जातिवादी उत्सव में लीन हो गये हैं। यह समाज के लिये बहुत घातक है।
        हमें संत रविदास के मार्ग को अपनाते हुये तथागत गौतम बुद्ध की मंजिल को पाना चाहिये। उक्ताशय के विचार गत दिवस मोतीमहल लॉन में रविदास शिक्षा मिशन द्वारा आयोजित संत रविदास जयंती समारोह के मुख्य अतिथि डॉ. एल.के. देशभरतार ने व्यक्त किया।

राजरानी मीरा बाई ने उन्हें अपना गुरू बनाया था


इस बात की जानकारी जारी बयान में रविदास शिक्षा मिशन के अध्यक्ष रघुवीर अहरवाल ने देते हुये बताया कि इस अवसर पर कार्यक्रम अध्यक्ष डॉ. सुरेश कुमार अहरवाल सहा. प्राध्यापक शास. महा. विद्यालय घंसौर ने बताया कि संत रविदास जी एक क्रांतिकारी संत थे। उनकी क्रांतिकारी बातों से प्रभावित होकर राजरानी मीरा बाई ने उन्हें अपना गुरू बनाया था। आपने आगे कहा कि इस देश के अनु.जाति,अनु.जनजाित और पिछड़ा वर्ग के लोग प्राचीन काल के नागवंशी लोग हैं, जो इस देश के राजा थे। इनको अपना प्राचीन गौरव प्राप्त करना चाहिये। 

रविदास जी ने बुद्ध की ही शिक्षाओं को प्रचारित किया था


वहीं अपने विचार व्यक्त करते हुये एडव्होकेट जुगल किशोर नंदोरे ने कहा कि संत रविदास जी ने अपना कोई धर्म नहीं चलाया था। कुछ लोग उनके नाम पर रविदासिया धर्म को संचालित कर रहे हैं। यह हमारे समाज के लिये बहुत घातक है, क्योंकि रविदास जी ने बुद्ध की ही शिक्षाओं को प्रचारित किया था। युवा समाजसेवी संजय चैधरी ने बताया कि संत रविदास के मिशन को बढ़ाना ही हमारा कर्तव्य है।
        श्रीमती लंता नंदौरे ने भारतीय संविधान की संक्षिप्त पुस्तिका भेंट करते हुये बताया कि बाबा साहब डॉ. अंबेडकर के संविधान से ही हमें मुक्ति मिलेगी, इसे बचाना ही हमारा कर्तव्य है। इस अवसर पर श्रीमती कल्पना गौवंशी, अशोक बकोड़े, संतराम बकोड़े, काशीराम बिहुनिया, दिनेश अहरवाल, एड. मनोज कनोजिया, कैलाश महोबिया, जी. पवन सोनिक, वीरेन्द्र शेन्डे आदि ने अपने विचार व्यक्त किये।
        कुमारी अमृता अहरवाल ने 28 फरवरी विज्ञान दिवस के अवसर पर विज्ञान के अविष्कारों के द्वारा मानव जीवन को सहज और सुखदायक बनाये जाने पर प्रकाश डाला, जिसकी सभी ने भूरी-भूरी प्रशंसा की। कार्यक्रम का संचाल रघुवीर अहरवाल द्वारा किया गया। लखनादौन और कन्हान पिपरिया की भजन मंडलियों ने खूब सराहना बटोरी।

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