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जो अधिकार, सम्मान, महिलाओं को समाज में मिलना चाहिए आज भी स्त्री उस सम्मान से अछूती है

जो अधिकार, सम्मान, महिलाओं को समाज में मिलना चाहिए आज भी स्त्री उस सम्मान से अछूती है

अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस मनाने का मुख्य उद्देश्य महिलाओं के अधिकारों को उनके मान-सम्मान को बढ़ावा देना है

न्यूयार्क में 1908 में नौकरी में कम घंटों की मांग तथा पुरुषों के समान वेतन देने की मांग को लेकर निकाला था मार्च

अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर विशेष लेख 




डॉ. भावना खरे
प्रोफेसर, एचओडी इतिहास विभाग, प्रभारी प्राचार्य।
प्रांतीय उपाध्यक्ष- मेहरा डेहरिया समाज म.प्र.।
सचिव-विद्या प्रगतिशील चिकित्सा शिक्षण संस्थान।
उपाध्यक्ष-श्री विद्या इंस्टिट्यूट आॅफ पैरामेडिकल।

अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस प्रति वर्ष 8 मार्च को मनाया जाता है विश्व के विभिन्न देशों में महिलाओं के प्रति मान-सम्मान, प्यार, प्रशंसा प्रकट करते हुए इस दिन को महिलाओं के आर्थिक, सामाजिक, राजनीतिक उपलब्धियों के उपलक्ष्य में उत्सव के रूप में मनाया जाता है परंतु दुर्भाग्य की बात यह है कि कुछ देशों में यह दिवस अपना राजनीतिक मूल स्वरूप प्राय: खो चुका है। वहीं अब यह मात्र महिलाओं के प्रति अपने प्यार को अभिव्यक्त करने हेतु एक तरह से मातृ दिवस और वैलेंटाइन डे की ही तरह बस एक अवसर बनकर रह गया है। हालांकि अन्य क्षेत्रों में संयुक्त राष्ट्र द्वारा चयनित राजनीतिक एवं मानव अधिकार विषय वस्तु के साथ महिलाओं की संपूर्ण उत्थान के लिए अभी भी इसे बड़े जोर-शोर से मनाया जाता है। 

अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस एक मजदूर आंदोलन की उपज है


अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के इतिहास को जानेंगे तो हर साल 8 मार्च को अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस मनाया जाता है लेकिन क्या यह सभी जानते हैं कि इसकी शुरूआत कब हुई, इसे क्यों मनाया जाता है सच पूछिए तो इसका काफी लंबा इतिहास है। अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस मनाने का मुख्य उद्देश्य महिलाओं के अधिकारों को उनके मान-सम्मान को बढ़ावा देना है इसके साथ विश्व शांति को भी प्रोत्साहन करने का उद्देश्य जुड़ा हुआ है। अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस एक मजदूर आंदोलन की उपज है। वर्ष 1908 में 15000 महिलाओं ने न्यूयॉर्क शहर में मार्च निकालकर नौकरी में कम घंटों की मांग की थी तथा उन्हें पुरुषों के समान ही वेतन दिया जाए। 

1975 में संयुक्त राष्ट्र संघ ने पहली बार 8 मार्च को अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस मनाया


वर्ष 1909 में सोशलिस्ट पार्टी आॅफ अमेरिका की ओर से पहली बार पूरे अमेरिका में 28 फरवरी को महिला दिवस मनाया गया। अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस मनाने का विचार सबसे पहले जर्मनी की क्लारा जेडकिंट 1910 में रखा। उन्होंने कहा कि दुनिया में हर देश की महिलाओं को अपने विचार को रखने के लिए अंतरराष्ट्रीय दिवस मनाने की योजना बनानी चाहिए इसके मद्देनजर एक सम्मेलन का आयोजन किया गया। जिसमें 17 देशों की 100 महिलाओं ने भाग लिया और अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस मनाने पर सहमति व्यक्त की 19 मार्च 1911 को आॅस्ट्रिया डेनमार्क जर्मनी और स्विट्जरलैंड में अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस मनाया गया। इसके बाद 1913 में से बदलकर 8 मार्च कर दिया। वर्ष 1975 में संयुक्त राष्ट्र संघ ने पहली बार 8 मार्च को अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस मनाया था। यह तो हो गया हमारा अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस का इतिहास।

महिलाओं को उपेक्षित दृष्टि से देखा जाता है

अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस मनाने के पीछे का मूल उद्देश्य महिलाओं को सशक्त बनाना है, जिस तरह सिक्के के दो पहलू होते हैं ठीक उसी तरह मानव समाज में भी स्त्री और पुरुष सामाजिक तानों वालों के लिए एक दूसरे के पूरक हैं, बिना इन दोनों के संसार में सभ्य समाज की कल्पना किया जाना संभव नहीं है। महिला और पुरुष के बिना सामाजिक चक्र का चल पाना संभव नहीं है। समाज में जितना सम्मान पुरुषों को मिलता है, उतना ही सम्मान महिलाओं को भी मिलना चाहिए किंतु पुरुष प्रधान व्यवस्था में अक्सर यह देखा जाता है कि महिलाओं को उपेक्षित दृष्टि से देखा जाता है। वर्षों से पुरुष प्रधान व्यवस्था में स्त्रियों को केवल उपभोग की एक वस्तु समझा जाता है, जो अधिकार सम्मान महिलाओं को समाज में मिलना चाहिए आज भी स्त्री उस सम्मान से अछूती है। 

 जिससे महिलाओं को देश और समाज में बराबरी का दर्जा मिल सके

आज भी आए दिन महिलाओं के उत्पीड़न के कई मामले रेप, गैंगरेप, दहेज से मृत्यु, बलात्कार जैसी घटनाएं देश विदेश में देखी और सुनी जा रही हैं। ऐसी परिस्थिति में सबसे बड़ा चिंतनीय और विचारणीय प्रश्न यह  उत्पन्न होता है कि किस तरह महिलाओं को सशक्त और शक्ति से संपन्न बनाया जाए महिलाओं को देश और समाज में पुरुषों के समान दर्जा कैसे दिलाया जाए। ऐसे बहुत से पहलू है जिसके लिए समाज मे, देश और विदेश में महिलाओं को सशक्त बनाने के लिए शासन और प्रशासन, सामाजिक संगठनों द्वारा महिलाओं को शिक्षा, जागरूकता के माध्यम से महिला सशक्तिकरण जैसे अनेकों कार्य संचालित किए जा रहे हैं। जिससे महिलाओं को देश और समाज में बराबरी का दर्जा मिल सके।


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