आदिवासी महापंचायत ने समाज में आर्थिक बोझ बढ़ाने वाली प्रथाओं पर रोक लगाने व नशा से दूर रहने का लिया निर्णय
हमारी सामाजिक परंपरा देश की सबसे पुरानी सर्वश्रेष्ठ संस्कृति है
जबलपुर/बरगी। गोंडवाना समय।
जबलपुर के बरगी स्थित बड़ादेव ठाना में बुधवार 10 मार्च को आदिवासी महापंचायत का कार्यक्रम सफलतापूर्वक संपन्न किया गया। जिसमें लगभग 150 से अधिक गांव की पंचायतों ने हिस्सा लिया। इस आदिवासी महापंचायत के माध्यम से सर्व आदिवासी समाज के हित में महत्वपूर्ण निर्णय लेते हुए कहां की आप हम सब एक हैं और एक रहेंगे फिर क्यों आज हम एक दूसरे की देखा सीखी कर समाज के परंपरागत रीति-रिवाजों को तोड़ने में मजबूर हैं। जबकि हमारी सामाजिक परंपरा देश की सबसे पुरानी सर्वश्रेष्ठ संस्कृति है।
जिससे सगाजनों पर बढ़ता है आर्थिक बोझ
आदिवासी समाज में वर्तमान में कुछ ऐसी प्रथाओं का प्रचलन है जो आर्थिक रूप से हमें क्षति पहुंचाती है इन्हीं सब कुरीतियों को खत्म करने के लिए आदिवासी महापंचायत ने महत्वपूर्ण निर्णय लेते हुए कुछ विशेष बिंदुओ पर विस्तार पूर्वक चर्चा की गई। जिसमें सगाई फलदान कार्यक्रम, देव-देवाई कार्यक्रम, दहेज प्रथा, शराब जैसे अहम मुद्दो को लेकर चर्चा कि गई जो समाज को आर्थिक रूप से कमजोर बनाता है। सर्व समाज के सहमति से निर्णय लिया गया और जिनसे समाज में आर्थिक नुकसान हो रहा है ऐसी कुरीतियों पर सुधार लाकर समाज मे पूर्णत: प्रतिबंद किया गया। जैसे सगाई फलदान का कार्यक्रम दहेज प्रथा जो बर्तन देते है, देव देवाई (गंगाजली) में जो कपड़े दिये जाते है, जिससे आर्थिक बोझ समाज के सगाजनों बढ़ता है ।
शराब व नशा से होता है आर्थिक, शारीरिक व सामाजिक नुकसान
इसके साथ ही आदिवासी महापंचायत में नशामुक्ति अभियान को लेकर भी महत्वपूर्ण निर्णय लिया गया है। जो लोग शराब का सेवन करते है उससे परिवार में आर्थिक नुकसान व शारीरिक रूप से दुष्प्रभाव पड़ता है। इसके साथ ही शराब व नशा के सेवन करने वाले व्यक्ति का सामाजिक पतन होता है इसलिये शराब नशा जैसी बुरे व्यसनों से दूर रहने की बात पर विशेष जोर दिया गया।
आदिवासी महापंचायत में ये हुये उपस्थित
आदिवासी महापंचायत के आयोजन में समाज विकास की दिशा में निर्णय लेने के लिये आयोजित बैठक में विशेष रूप से बड़ादेव ठाना समिति पुराना पानी, गोटूल जनजागृति समिति, टेडिया नाला रमनपुर, शिव पार्वती गंगा पातालपुरी समिति, पाठाधाम समिति, 750 रानी दुर्गावती विकास समिति, सेवा समिति गुल्लापाठ, बड़ादेव सेवा समिति मेहगांव (कूड़ा खुर्द , बेलखेड़ा आदर्श आदिवासी एकता दल समिति, राजा शंकर शाह रघुनाथ शाह अधिकारी कर्मचारी समिति बरगी, गोंडवाना स्टूडेंट यूनियन एवं सर्व आदिवासी समाज की महत्वपूर्ण भूमिका रही।