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भारत देश को अंग्रेजों की गुलामी से आजादी दिलाने में आदिवासी समाज ने दी सबसे ज्यादा शहादत

भारत देश को अंग्रेजों की गुलामी से आजादी दिलाने में आदिवासी समाज ने दी सबसे ज्यादा शहादत 

जंगल सत्याग्रह टुरिया में शहीदों के सम्मान में आजादी का अमृत महोत्सव अभियान कार्यक्रम संपन्न 




विवेक डेहरिया संपादक/मोरेश्वर तुमराम प्रबंध संपादक
सिवनी। गोंडवाना समय।

भारत सरकार द्वारा राष्ट्रीय स्तर पर भारत की आजादी के 75 वर्ष को समारोहपूर्वक मनाने के लिये आजादी का अमृत महोत्सव अभियान की देशव्यापी शुरूआत 12 मार्च 2021 को प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी द्वारा साबरमती आश्रम अहमदाबाद से की गई वहीं उसी के अनुसरण में मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान द्वारा शौर्य स्मारक भोपाल से कार्यक्रम का शुभारंभ किया गया।


इसी के तहत मध्य प्रदेश के जिला मुख्यालयों सहित उन स्थानों पर जहां स्वतंत्रता आंदोलन संघर्ष की अमर गाथाएं विद्यमान है, उन्हीं ऐतिहासिक स्थलों में से सिवनी जिले के कुरई ब्लॉक में मौजूद

जंगल सत्याग्रह टुरिया में स्थित शहीद स्मारक पर जजनाति विकास विभाग द्वारा समारोहपूर्वक आजादी के अमृत महोत्सव का आयोजन सांसद, विधायक, पंचायत के जनप्रतिनिधियों की मौजूदगी में भव्यता के साथ मनाया गया। इस दौरान विशेष रूप से सांसद डॉ ढाल सिंह बिसेन, बरघाट विधायक श्री अर्जुन सिंह काकोड़िया,

सिवनी विधायक श्री दिनेश राय मुनमुन, जिला पंचायत अध्यक्ष श्रीमती मीना बिसेन, जनपद पंचायत अध्यक्ष कुरई श्रीमती शशिबाला काकोड़िया, भाजपा जिला अध्यक्ष श्री आलोक दुबे, भाजपा नेता श्री अशोक तेकाम सहित जनजाति विकास विभाग सिवनी, जनपद पंचायत कुरई व तहसील कार्याल्य कुरई के अधिकारी कर्मचारी मौजूद रहे। 

जंगल सत्याग्रह शहीद स्थल के साथ जेल का है स्वर्णिम इतिहास-डॉ ढाल सिंह बिसेन 


कार्यक्रम में सांसद डॉ ढाल सिंह बिसेन ने कहा कि आज से  लगभग 70 वर्ष पहले जब इस देश को आजादी मिली थी जिन लोगो ने देश की आजादी में योगदान दिया,

जिन्होंने अपनी प्राणों की आहूती दी उन सारे सेनानियों को स्मरण करने के लिये आजादी के 75 वर्ष पूर्ण होने पर प्रधानमत्री श्री नरेन्द्र मोदी द्वारा 1 वर्ष के कार्यक्रम का आयोजन किया जा रहा है जिनके कारण हम आजाद हुये है, स्वतंत्र भारत में हम सांस ले रहे है। इसके लिये सारे भारत में 75 स्थानों से पदयात्राएं निकल रही है।

इन सबके अलावा वे सारे स्थान जहां आजादी के लिये प्राणों की आहूती दिया गया है वहां पर कार्यक्रम का आयोजन किया जा रहा है। वहीं सासंद डॉ ढाल सिंह बिसेन ने सिवनी की जेल का स्वर्णित इतिहास बताते हुये कहा कि बड़ी पुरानी ऐतिहासिक जेल रही है जहां स्वतंत्रता संग्रमा सेनानी रहे है। 

शहीदों को केवल याद करने से भर नहीं चलेगा


सांसद डॉ ढाल सिंह बिसेन ने कहा कि टुरिया में भी आदिवासियों ने शहादत दिया था। भले ही आदिवासी समाज के लोग कम पढ़े लिखे लोग थे लेकिन उनके मन में भी आजादी का जज्वा था आजादी की लड़ाई में उन्होंने अपना योगदान दिया। टुरिया जंगल सत्याग्रह शहीदों का प्रमाण स्थल है याहं पर प्रतिवर्ष शहीदों की याद में मेला भी लगता है कार्यक्रम का आयोजन होता है।

वहीं सांसद डॉ ढाल सिंह बिसेन ने कहा कि शहीदों को केवल याद करने से भर नहीं चलेगा। हम 75 साल होने के बाद भी हम वो भारत को नहीं बना पाये जो जो पहले था, भारत सोने की चिड़िया कहलाता था, दूध की नदिया  बहती थी, सर्व शक्ति संपन्न था, सर्वगुण संपन्न था, सभी की सुख की कामना करते है। आजादी के 70 सालों में भी हमारे गुलामी की दास्ता समाप्त नहीं हुआ है, जाति, धर्म, पंथ में बांट लिया है, हमने आपको बांट लिया।

वहीं कुर्सी की दौड़ में इसे ज्यादा बांटा गया है। हमारे यहां छूआछूत नहीं थी हमारे यहां पर ऊंच-नीच का भेदभाव नहीं था, अच्छी शिक्षा की व्यवस्था थी तक्षशिला, नालंदा जैसे विश्वविद्यालय, कृषि की व्यवस्था अच्छी थी।

भोजन अच्छा होता था हम बीमार नहीं पड़ते थे, पेड़ पौधो की पूजन करते थे, जड़ी बूटी से उपचार होता था पाश्चयत संस्कृति की ओर बढ़ते जा रहे है। इसलिये नई नई बीमारी निकली है वहीं पिछले साल से कोरोना को हम ढो रहे है लेकिन एक अच्छी बात है कि कोरोना ने हमें पुरानी संस्कृति की कीमत बता दिया, पेड़-पौधो का महत्व बताया है, इस दौरान नदियां साफ हुई, गंदगी साफ हुई। 

आदिवासियों की शहादत को इतिहास में नहीं मिला स्थान 


बरघाट विधानसभा क्षेत्र के विधायक श्री अर्जुन सिंह काकोड़िया ने कार्यक्रम के दौरान भातर की वीर शहीद अमर रहे का नारा लगवाते कहा कि जिस स्थल में हम खड़े है, वहां पर 9 अक्टूबर 1930 को हमारे 4 आदिवासी समाज की 3 माताएं रेनो बाई, मुड्डे बाई, देवो बाई एवं बिरजू भोई शहीद हुये थे। वहीं कार्यक्रम के दौरान विधायक श्री अर्जुन सिंह काकोड़िया ने कहा कि ये बात सही है कि शहीदों की कोई जात नहीं होती है ये सच्चाई है लेकिन ये सच्चाई भी है कि जितना बड़ा योगदान, जितनी कुर्बानी, जितनी शहादत आदिवासी समाज ने दिया है उतना किसी ओर समाज ने नहीं दिया है। ये बात अलग है कि इतिहास में उन लोगों का नाम दर्ज नहीं है। वहीं कुछ लोगों को नाम इसलिये दर्ज किया गया है कि क्योंकि अंग्रेजों ने गजेटियर में जिक्र किया था और उसको छिपाया नहीं जाता था। 

आदिवासी प्रकृतिपूजक इसलिये भारत विकासाशील देश है


आदिवासी समाज के लोग प्रकृति पूजक है, पानी के पास, जंगलों में, पहाड़ों में रहने वाले लोग, प्रकृति को प्रेम करने वाले, उसको चलाने, संवारने सुरक्षित रखने वाले लोग है। जहां जंगल है, पानी, पहाड़ है, जहां संपदा है वहां आदिवासी है और ये सुरक्षित है इसी कारण भारत प्रगतिशील है।

जंगल व प्रकृति के प्रेम के प्रति भाव हमेशा रहा, इसलिये आदिवासियों ने अंग्रेजों के खिलाफत किया, लड़ाई लड़ी, वहीं टुरिया में भी घास सत्याग्रह के दौरान अंगे्रजों द्वारा गोलियां चला दी गई। विधायक श्री अर्जुन सिंह काकोड़िया ने इस दौरा न अंग्रेजोंं की खिलाफत करने वाले आदिवासी वीर यौद्धाओं का इतिहास बताते हुये राजा शंकर शाह का इतिहास बताया, बिरसा मुण्डा का इतिहास बताया।

वहीं उन्होंने कहा कि अंग्रेजों द्वारा आदिवासियों को भयभीत करने के लिये राजा शंकर शाह जी को तोफ में बांधकर उड़ाया गया था ताकि आदिवासी समाज डरे लेकिन आदिवासी भयभीत नहीं हुआ इसके बाद दोगुना ताकत के साथ देश को आजाद कराने के लिये अंग्रेजो से लड़ा और भारत को आजाद कराया। 

शहीदों के नाम पर हो सड़क, गांव, स्कूल, मैदान का नाम-हनुमान प्रसाद जी खंडेलवाल 


हनुमान प्रसाद खंडेलवाल जी ने टुरिया जंगल सत्याग्रह में शहीद हुये शहीदों की प्रतिमा लगाये जाने के साथ ही उनके नाम पर गांव में सड़क, स्कूल, ग्राउण्ड आदि का नामकरण करने की मांग किया ताकि शहीदों को सम्मान मिले। क्षेत्र ें आने वाले पर्यटक शहीदों के विषय में जान सके लेकिन उन्होंने इस ओर ध्यान नहीं दिये जाने पर अफसोस भी जताया। उन्होंने कहा कि इस पर क्षेत्रिय जनप्रतिनिधियों को विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है।  

निबंध, रंगोली, चित्रकला के विजेताओं का किया सम्मान 


आजादी का अमृत महोत्सव अभियान के दौरान आयोजित कार्यक्रम में आजादी के वीर नायको व नायिकाओं की गाथाओं को लेकर स्कूल के विद्यार्थियों के बीच में निबंध, चित्रकला, रंगोली प्रतियोगिता का आयोजन किया गया था।

कार्यक्रम के दौरान अतिथियों के द्वारा निबंध, चित्रकला, रंगोली प्रतियोगिता के विजेताओं का सम्मान किया गया। आजादी का अमृत महोत्सव अभियान के दौरान आजादी व देशभक्ति से संंबंधित नृत्य का आयोजन भी किया गया। 

90 वर्ष हो गये शहादत को इसलिये अब जल्द किया जाना चाहिये शहीदों की प्रतिमा स्थापित 


आजादी का अमृत महोत्सव अभियान के दौरान कुरई ब्लॉक में पहुंचे आदिवासी समाज के सगाजनों में श्याम धुर्वे, पप्पू कुमरे, अनिल गोगने व अन्य समाजिक पदाधिकारियों द्वारा क्षेत्रिय विधायक व जनप्रितनिधियों सहित जनजाति विकास विभाग के अधिकारियों के समक्ष जंगल सत्याग्रह में शहीद हुये 4 आदिवासी समाज के जिनमें 3 माताएं रेनो बाई, मुड्डे बाई, देवो बाई एवं बिरजू भोई शहीद हुये थे उनकी प्रतिमा स्थापना राष्ट्रीय राजमार्ग में स्थापित किये जाने की मांग की गई।

उन्होंने गोंडवाना समय से चर्चा के दौरान बताया कि 90 वर्ष शहादत को हो गये है लेकिन आज तक प्रतिमा स्थापित नहीं की गई है। आने वाली पीढ़ी को भारत के आजादी का इतिहास में आदिवासी समाज की शहादत को पढ़ाने व बताने के लिये राष्ट्रीय राजमार्ग पर जंगल सत्याग्रह में शहीद हुये शहीदों की प्रतिमा स्थापित किया जाये। इसके साथ ही उनकी पूरा गाथाओ का उल्लेख स्मारक पर किया जाये। इसके साथ ही इण्डिया गेट में जिस तरह हमेशा ज्योति जलती रहती है वैसी ही ज्योति का प्रकाश जंगल सत्याग्रह के शहीदों की प्रतिमा स्थल पर बनाया जाना चाहिये। 

शहीद के परिजन छबिलाल तुमराम ने कहा मुझे किया जाये रेगूलर 


जंगल सत्याग्रह में शहीद हुई रैनो बाई के परिजन छबिलाल तुमराम ने 12 मार्च को आजादी के अमृत महोत्सव कार्यक्रम के दौरान कहा कि शहीद परिवार के रूप में हमें उतनी सुविधायें सरकार, शासन-प्रशासन की ओर से नहीं मिली है। मुझे छात्रावास में अस्थाई रूप में 5000 रूपये के वेतन में रखा गया है जिससे परिवार का पालन पोषण संभव नहीं है इसलिये रेगूलर किया जाये। 


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