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शिवराज सरकार के अफसरों को इतिहासकार बतायें टुरिया में अंग्रेजों ने फांसी दी थी या किया था गोलीचालन

शिवराज सरकार के अफसरों को इतिहासकार बतायें टुरिया में अंग्रेजों ने फांसी दी थी या किया था गोलीचालन 




सिवनी। गोंडवाना समय।

भारत सरकार द्वारा राष्ट्रीय स्तर पर भारत की आजादी के 75 वर्ष को समारोहपूर्वक मनाने के लिये आजादी का अमृत महोत्सव अभियान की देशव्यापी शुरूआत 12 मार्च 2021 को प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी द्वारा साबरमती आश्रम अहमदाबाद से की जा रही है। उसी के अनुसरण में मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान द्वारा शौर्य स्मारक भोपाल से कार्यक्रम का शुभारंभ किया जा रहा है। 


मध्य प्रदेश के जिला मुख्यालयों सहित उन स्थानों पर जहां स्वतंत्रता आंदोलन संघर्ष की अमर गाथाएं विद्यमान है, यहां पर 12 मार्च कार्यक्रम आयोजित किये जाने के लिये श्री डी के नागेन्द्र उप सचिव मध्य प्रदेश शासन सामान्य प्रशासन विभाग भोपाल द्वारा समस्त संभागआयुक्त व जिला कलेक्टरो को 10 मार्च 2021 को पत्र लिखकर इन कार्यक्रमों को जिला प्रशासन द्वारा गरिमामय तरीके से जनप्रतिनिधियों को आमंत्रित कर आयोजित किये जाने का उल्लेख किया गया है। जिसमें आयोजन  स्थलों की सूची संलग्न कर भेजा गया है। जिसमें मध्य प्रदेश 52 जिलों में 7 नंबर पर टुरिया जिला-सिवनी महिलाओं को फांसी दी गई थी का उल्लेख किया गया है। 

अब यहां पर प्रश्न यह उठता है कि अंग्रेजों के साथ खिलाफत करने वाले टुरिया जंगल सत्याग्रह में महिलाओं को फांसी दी गई थी या अंग्रेजो द्वारा गोली चलाया गया था यह इतिहासकारों को शिवराज सरकार के अफसरों को बताने की आवश्यकता है। 

जंगल सत्याग्रह का इतिहास ये बताते है इतिहासकार 

सिवनी जिले में आदिवासियों के द्वारा जंगल सत्याग्रह किया गया था। यह जंगल सत्याग्रह देश प्रदेश में जमकर चर्चित भी हुआ था। इसके अलावा 1923 में नागपुर में झंडा सत्याग्रह शुरू हुआ था। जानकार बताते हैं इस सत्याग्रह का केंद्र नागपुर के आसपास के जंगल हुआ करते थे। जानकारों की मानें तो जंगल सत्याग्रह का आगाज 1930 में सेनापति ओखा लोहार के द्वारा खवासा एवं कुरई से 12 किलो मीटर दूर जंगलों के बीच टुरिया में किया था। जानकारों के अनुसार दुर्गा शंकर मेहता के नेतृत्व में जंगल सत्याग्रह आंदोलन चलाया गया था।
         इसमें सिवनी के मशहूर चंदन बगीचे में घास को काटा जाकर विरोध जताया गया था। 09 अक्टूबर 1930 को जब आंदोलन करने वाले जंगल में घास काटकर विरोध जता रहे थे, उसी दौरान पुलिस के दारोगा सदरूद्दीन और रेंजर श्री मेहता के द्वारा वहां खड़े होकर इन सत्याग्रहियों का उत्साह वर्धन करने वाले लोगों के साथ अभद्र व्यवहार करना आरंभ कर दिया गया। जानकारों की मानें तो इसके बाद सिवनी के उस समय के डिप्टी कमिश्नर सीमन ने पुलिस को लोगों पर गोली चलाने का आदेश दे दिया गया था।
             इस गोलीकांड में तीन महिलाएं और एक पुुरुष मुड्डोबाई निवासी आमरीठ, रेनाबाई निवासी खंबा, देमोबाई निवासी भिलवा और बिरजू भोई निवासी मुरझोर शहीद हो गए। इस दौरान दो अन्य लोगों को गिरफ्तार कर लिया। इस गोलीबारी में मारे गए लोगों के शव भी परिजनों को नहीं दिए गए। शहीदों की शहादत को देश नहीं भूला और 26 जनवरी 1950 को जब देश का संविधान लागू किया गया तब टुरिया में शहादत को याद करने के लिए सत्याग्रह स्मारक का निर्माण किया गया। इस स्मारक में हर साल आदिवासी दिवस और स्वतंत्रता दिवस, गणतंत्र दिवस जैसे विशेष दिवसों में यहां पर ध्वजारोहण जैसे कार्यक्रम होते हैं और देश के लिए शहीद होने वालों को पुष्पांजलि अर्पित की जाती है।

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