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महतलाल मड़ावी समाज सेवक, साहित्यकार का दु:खद निधन

महतलाल मड़ावी समाज सेवक, साहित्यकार का दु:खद निधन 


सिवनी। गोंडवाना समय।

आमागढ़ टिकारी ब्लॉक बरघाट में 1952 में आदिवासी परिवार में जन्मे महतलाल मड़ावी जी ने विषम परिस्थिति में संघर्ष करते हुये एम ए समाज शास्त्र में शिक्षा प्राप्त किया । वहीं महतलाल मड़ावी जी ने संप्रति पंचायत एवं समाज कल्याण विभाग में जिला अंकेक्षक के पद पर शासकीय सेवा में अपना कर्तव्य निभाया।
        

उनकी रूची विभिन्न धर्मों के धर्मग्रन्थ, धार्मिक किताबों का अध्ययन, लेखन, धार्मिक सामाजिक एवं कौमी एकता से संबंधी में विशेषकर रही है। इसके साथ साथ उन्होंने सामाजिक गतिविधियों में सक्रिय रहकर सामाजिक संगठनों के अध्यक्ष के पद से लेकर विभिन्न पदों में रहकर निरंतर कार्य किया। इसके साथ ही महतलाल मड़ावी जी ने समाज सेवा के साथ, सांस्कृतिक गतिविधियों व साहित्य क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान दिया। 


वर्तमान में राजपूत कॉलोनी टैगोर वार्ड में अपने परिवार समेत निवास करने वाले महतलाल मड़ावी जी अब हमारे बीच में नहीं रहे। उनका दु:खद निधन जबलपुर में उपचार के दौरान 17 अप्रैल 2021 को हो गया है। महतलाल मड़ावी जी के निधन पर उनकी पत्नि श्रीमती सुनीता मड़ावी एवं पुत्र पीयूष व मयंक मड़ावी सहित उनके परिजन, मित्रगण व सामजिक बंधुगण, चिर परीचित सभी दुखित है। 

संस्कृति दर्पण सहित अनेक पुस्तकें लिखकर साहित्य का किया सजृन


हम आपको बता दे कि महतलाल मड़ावी जी ने साहित्य के क्षेत्र में पुस्तको को प्रकाशन कर जनजातिय समाज की संस्कृति, धर्म, गोंडी भाषा, लोकगीत, संगीत, संस्कार, सहित अनेकों विशेषताओं के साथ संवैधानिक कानूनी जानकारी का संकलन कर जागरूकता लाने के लिये किया। इनमें से गोंडवानाा समय समाचार पत्र परिवार के पास भी उनके द्वारा प्रकाशित पुस्तक संस्कृति दर्पण आज भी सुरक्षित मौजूद है। संस्कृति दर्पण पुस्तक में गोंड आदिवासियों का इतिहास संस्कृति, गोंडी भाषा में ग्राम, नदी, तालाब आदि का नामकरण, सिवनी जिले के ग्राम जिनके नाम गोंडी भाषा के शब्द व अर्थ से मेल खाते है।
        

गोंडी भाषा में गिनती, जहां गोंडी भाषा नहीं बोली जाती उस क्षेत्र के अािदवासियों भाईयों के लिये बोलचाल के कुछ वाक्य, फसल, फल, पशु, सब्जी, जीव-जंतु, घेरलू उपयोग के सामान, आपसी रिश्ते, आदि के गोंडी भाषा के शब्द को पुस्तक में संजोया है। इसके साथ ही गोंडी घर्म संस्कृति के संंबंध में संकाये व समाधान का भी उल्लेख किया है।
        आदिवासी चिंतन-चुभते अल्भाज, धार्मिक, सामाजिक, वैवाहिक पूजन, धर्मांतरण के साथ साक्षरता की रोशनी, वीरांगना रानी दुर्गावती, अमर शहीद बिंदु कुमरे, कोयावंशी गोंड आदिवािसयों का बाहरमासी राशिफल सहित नशाबंदी व जनजाति समुदाय के प्रसिद्ध रीति-रिवाज, परंपरा के आधार पर गीत, संगीत, नृत्य आदि को संस्कृति दर्पण पुस्तक में संजोकर समाज को साहित्य प्रदान किया है।
    क्या लिखू कि लिखा नहीं जाता, लिखे बिना रहा नहीं जाता। महतलाल मड़ावी जी इस तरह शब्दों से संजोते थे साहित्य को करते थे पुस्तक का प्रकाशन। महतलाल मड़ावी जी के दु:खद निधन पर उनके परिजनों को दुख को सहने के लिये शक्ति प्रदान करने के लिये दैनिक गोंडवाना समय परिवार प्रकृति शक्ति से प्रार्थना करता है। 

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