आत्मनिर्भर भारत अभियान के तहत बदलेगी सीताफल उत्पादकों की तकदीर, प्रोसेसिंग यूनिट, डायरेक्ट मार्केटिंग के प्रयास प्रारंभ
सीताफल उत्पादकों को लाभ दिलाने के लिए ''एक जिला एक उत्पाद'' के तहत हुआ सिवनी जिले का हुआ चयन
आदिवासी ब्लॉक छपारा के खैरमटाकोल (भूतबंधानी) के कृषकों के साथ अधिकारियों ने की चर्चा
सिवनी। गोंडवाना समय।
सिवनी जिले में बहुतायत में उत्पादित फसल सीताफल को जिले की फसल के रूप में पहचान दिलाने हेतु ''एक जिला एक उत्पाद'' के तहत सीताफल को चयनित किया गया है। सीताफल के व्यापक उत्पादन, दीर्घकालिक उपयोग एवं उत्पादकों को अधिक से अधिक लाभ दिलाए जाने हेतु विकासखण्ड छपारा के सीताफल उत्पादक गांव खैरमटाकोल (भूतबंधानी) के कृषकों के गठन, डायरेक्ट मार्केटिंग एव प्रोसेसिंग इकाई स्थापना हेतु उद्यान विभाग के अधिकारियों द्वारा चर्चा की गई और औद्योगिक इकाई की स्थापना हेतु नागरिकों को प्रेरित किया गया है। जिले में सीताफल से संबंधित प्रोसिसिंग यूनिट, डायरेक्ट मार्केटिंग से संबंधित कार्य करने के इच्छुक लोग कार्यालय सहायक संचालक उद्यानिकी सिवनी में कार्यालयीन समय पर संपर्क कर सकते हैं।
सीताफल फसल से संबंधित प्रोसेसिंग इकाइयां स्थापित करने हेतु आवेदन आमंत्रित
एग्रीकल्चर इन्फ्रास्ट्रक्चर फण्ड योजनांतर्गत जारी दिशा-निर्देश अनुसार प्रदेश के प्रत्येक जिलों में चयनित फसलों से संबंधित मूल्य श्रृंखला, ब्रांडिंग, मार्केटिंग एवं अधोसंरचना स्थापित करने हेतु किसानों, एफपीओ, स्व-सहायता समूहों, सहकारी समितियों को लाभ प्रदान किया जाना है। योजनांतर्गत कृषक, एफपीओएस, पीएसीएस, मार्केटिंग को-आॅपरेटिव सोसायटी, बहु उद्देशिय को-आॅपरेटिव सोसायटी को जिले हेतु चयनित फसल अनुसार कृषि अधोसंरचना विकास हेतु सूक्ष्म खाद्य उद्योग की स्थापना एवं उन्नयन, कोल्ड स्टोरेज, रायपनिंग चेम्बर, पैक हाउस, प्याज भंडार गृह और प्रायमरी प्रोसेसिंग यूनिट आदि हेतु लाभान्वित किया जाना है, जिसमें जिले हेतु चयनित फसल आधारित उद्योगों के लिये योजना में प्राथमिकता दी जायेगी।
25 लाख तक की पांच ईकाई के लक्ष्य जारी किये गये
कलेक्टर डॉ फटिंग द्वारा दिये गये निर्देश के परिपालन में सहायक संचालक उद्यान डॉ. आशा उपवंशी-वासेवार ने बताया कि आत्मनिर्भर भारत अभियान के तहत प्रधानमंत्री सूक्ष्म खाद्य उन्नयन योजनांतर्गत जारी दिशा-निर्देश के अनुसार सिवनी जिले हेतु सीताफल फसल आधारित सूक्ष्म खाद्य उद्यम (25 लाख तक) स्थापित करने हेतु पांच ईकाई के लक्ष्य जारी किये गये हैं, जिसके तहत सीताफल आधारित विभिन्न प्रसंस्करण ईकाई जैसे झ्र पल्प, जूस, आइसक्रीम, पाउडर, शरबत, जैम, जैविक कीटनाशक एवं खाद इत्यादि इकाई हेतु योजनांतर्गत विभिन्न श्रेणियों में सहायता प्रदान की जायेगी।
योजना अंतर्गत ये मिलेगी सहायता
निजी सूक्ष्म खाद्य उद्यमों को योजनांतर्गत प्रति उद्योग पात्र परियोजना लागत की 35 प्रतिशत दर से क्रेडिट-लिंक्ड पूंजी सब्सिडी अधिकतम 10 लाख रुपए दिये जायेंगे। लाभार्थी का योगदान न्यूनतम 10 प्रतिशत होना चाहिए और शेष राशि बैंक से ऋण होनी चाहिये। समूह श्रेणी को योजनांतर्गत छटाई, ग्रेडिंग, जांच, भंडारण, कॉमन प्रसंस्करण, पैकिंग, विपणन, कृषि-उपज का प्रसंस्करण और परीक्षण प्रयोगशालाओं के लिये क्लस्टरों और समूहों जैसे एफ पीअओ/एसएचजी/ उत्पादक समितियों को उनकी संपूर्ण मूल्य श्रृंखला को भी सहायता दी जायेगी।
एसएचजी के प्रत्येक सदस्य को 40 हजार रुपए की दर से प्रारंभिक पूंजी उपलब्ध कराई जायेगी
किसान उत्पादक संगठन (एफपीओ)/उत्पाद सहकारिताओं को योजनांतर्गत एफपीओ और उत्पादक सहकारिताओं क्रेडिट लिंकेज के साथ 35 प्रतिशत दर से अनुदान एवं ट्रेनिंग सहायता दी जायेगी। स्व सहायता समूह (एसएचजी) को प्रारंभिक पूंजी योजना के अंतर्गत वर्किंग कैपिटल तथा छोटे औजारों की खरीद के लिये एसएचजी के प्रत्येक सदस्य को 40 हजार रुपए की दर से प्रारंभिक पूंजी उपलब्ध कराई जायेगी।
इस वित्त पोषण सुविधा के तहत सभी ऋणों पर रुपए 2 करोड़ तक की सीमा तक 3 प्रतिशत प्रति वर्ष का ब्याज छूट प्रदान की जायेगी, यह छूट अधिकतम 7 वर्षो के लिये उपलब्ध होगी। उपरोक्त योजना का लाभ लेने हेतु इच्छुक किसान, कृषि उद्यमी/ एफपीओ/सहकारी समिति/स्वसहायता समूह कार्यालय सहायक संचालक उद्यान, जिला सिवनी में कार्यालयीन समय में सम्पर्क कर योजना की अधिक जानकारी प्राप्त कर आवेदन कर सकते हैं।
आदिवासी व क्षेत्रिय ग्रामीणों की आर्थिक स्थिति होगी मजबूत बनेंगे आत्मनिर्भर
सिवनी जिले का सीताफल पूरे देश में प्रसिद्ध है, छपारा ब्लॉक में खैरमटाकोल (भूतबंधानी) का सीताफल सबसे ज्यादा पसंद किया जाता है। छपारा मुख्यालय में सीताफल की बड़ी मण्डी लगती है यहां से देश भर में सीताफल निर्यात किया जाता है। सीताफल छपारा ब्लॉक के अधिकांश आदिवासियों की तकदीर बदल सकता है क्योंकि आदिवासी विकासखंड छपारा में अधिकांशतय: आदिवासियों की संख्या है। जहां सीताफल होता है वहां पर आदिवासियों की जमीन सिंचाई के साधन के अभाव में खेती किसानी में कम लाभ होता है।
इसके कारण उनकी आर्थिक स्थिति मजबूत नहीं हो पाती है, हां लेकिन सीताफल उन्हें वैकल्पिक रूप से आर्थिक सहारा के रूप में मददगार साबित होता है। वहीं सीताफल के सही दाम ग्रामीणों को नहीं मिल पाने के कारण उनका आर्थिक शोषण होता है। सीताफल उत्पादकों को सही दाम और सीताफल का सही उपयोग उन्हें स्थानीय स्तर पर मिल जाये उनकी तकदीक व क्षेत्र की तस्वीर बदल सकती है। इसके लिये बीते कई वर्षोँ से सीताफल उत्पादक ग्रामीणों के द्वारा मांग की जा रही थी।
स्थानीय व जिला प्रशासन के द्वारा किये गये प्रयास के बाद सिवनी जिले में ''एक जिला एक उत्पाद'' के तहत सीताफल को चयनित किया गया है। इसके लिये प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के आत्मनिर्भर भारत अभियान के तहत प्रधानमंत्री सूक्ष्म खाद्य उन्नयन योजनांतर्गत जारी दिशा-निर्देश के अनुसार सिवनी जिले हेतु सीताफल फसल आधारित सूक्ष्म खाद्य उद्यम (25 लाख तक) स्थापित करने हेतु पांच ईकाई के लक्ष्य जारी किये गये हैं। इसके साथ ही अन्य लाभ के माध्यम से सीताफल उत्पादकों को लाभांवित कर उनकी आर्थिक स्थिति मजबूत किया जायेगा।