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हनुशीष डेहरिया के माता-पिता को कोरोना ने छीना, मृत्यु प्रमाण पत्र के लिये शिवराज सरकार के अफसर बेटे को लगवा रहे कार्यालय के चक्कर

हनुशीष डेहरिया के माता-पिता को कोरोना ने छीना, मृत्यु प्रमाण पत्र के लिये शिवराज सरकार के अफसर बेटे को लगवा रहे कार्यालय के चक्कर

24 घंटे में ही हो गई थी माता-पिता की मृत्यु, हनुशीष कोरोना से स्वस्थ्य होने के बाद अब मृत्यु प्रमाण के लिये कर रहा  संघर्ष 

सिवनी से भोपाल एंबूलेंस का सफर 50 हजार रूपये में हुआ था पूरा, आपदा में अवसर लाभ उठाने का है प्रमाण 

हनुशीष डेहरिया के मृत्यु प्रमाण पत्र पाने के संघर्ष का सच सुनने के लिये देखे वीडियो

सिवनी/भोपाल/बैतुल। गोंडवाना समय।

अप्रैल सन 2021 महिने की 18 और 19 तारिख के वे 24 घंटे हनुशीष डेहरिया के लिये माता पिता का बचपन से मिलने वाली मोह ममता और प्यार के लिये शुभाशीष देने के लिये हाथ उठाने वाले अब कभी लौटकर नहीं आयेंगे, यह दु:खद अंधकार मयी यादगार के रूप में इतिहास बनकर रह गई है।


वहीं हम आपको बता दे कि ऐसे बच्चों के अंधकारमय जीवन में मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान सरकार की बाल कल्याण योजना उजाला बनकर आई है वास्तव में शिवराज सरकार की यह योजना बच्चों के भविष्य को उज्ज्वल बनाने में कारगर सिद्ध होगी लेकिन ऐसे बच्चों को अपने माता-पिता की मृत्यु का कारण कोराना से होने के लिये प्रमाणित करना एक युद्ध की तरह साबित हो रहा है।
      

 
अब इसके लिये ऐसे बच्चों को भी जैसे समुद्र पार करने के लिये रामसेतु के पुल पर बनाने वाले पत्थरों की तरह मृत्यू प्रमाण पत्र प्राप्त करने के लिये कोई चमत्कारिक शक्ति के साथ देने की आवयकता है तभी वे मृत्यु प्रमाण पत्र प्राप्त करने का युद्ध जीत पायेंगे। अब यहां पर यह सवाल खड़ा हो रहा है कि आखिर मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान सरकार के अफसर शिवराज सरकार की बाल कल्याण योजना का लाभ कोविड-19 से मृत हुये माता-पिता के बेसहारा बच्चों का सहारा बनकर दिलाने में अड़ंगा क्यों बन रहे है। 

माता-पिता की मृत्यु के बाद प्रमाण पत्र के लिये संघर्ष 


हम आपको बता दे कि कोरोना का कहर ने कई परिवारों को बिखेर कर रख दिया है तो कई परिवार में बच्चों ने अपने माता-पिता को खो दिया है। मध्य प्रदेश के सिवनी जिले में रहने वाले 3 लोगों का एक परिवार कोरोना की वजह से बिखर गया।

कक्षा 10 वीं में पढ़ने वाले हनुशीष डेहरिया ने कोविड से अपने माता-पिता को खो दिया। हनुशीष डेहरिया बेसहारा तो हुआ ही इसके साथ ही उसके ऊपर अब स्व्यं का ख्याल रखने की भी जिम्मेदारी आ गई है। माता पिता के जाने का दु:ख को साथ लेकर वह अब उनका डेथ सर्टिफिकेट पाने के लिए भी अधिकारियों व विभागों के चक्कर काटकर संघर्ष कर रहा है। 

माता-पिता को खोने वाले बच्चों का सहारा बनी शिवराज सरकार 


हनुशीष डेहरिया की दादी श्रीमती कुम्मो देवी डेहरिया बताती है कि उन्होंने अपना बेटा और बहू दोनों को खो दिया अब हनुशीष मेरे पास है। टीव्ही पर मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान को देखकर मेरे मन में उम्मीद जगी थी कि जैसा उन्होंने कहा था कि वह अनाथ बच्चों को नहीं छोड़ेंगे और कोरोना से तबाह परिवारों को राहत देंगे। हनुशीष डेहरिया भी उन हजारों बच्चों में से एक है, जिसे कोरोना की दूसरी लहर ने बेसहारा कर दिया है। वहीं मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान की बाल कल्याण योजना के आदेश जारी होने के बाद ऐसे बच्चों के लिए उम्मीद जागी है कि शिवराज सरकार इनके बचपन से लेकर उच्च शिक्षा तक उनका परिवार की तरह कहें या माता पिता की तरह ध्यान रखेगी । शिवराज सरकार उन लोगों के लिए राज्य सहायता की घोषणा करने वाली पहली सरकार बन गई, जिन्होंने अपने अभिभावकों और माता-पिता को कोविड-19 में खो दिया है। 

लाभ तब मिलेगा जब मृत्यु  कोरोना से होगी  

बीते 13 मई को ही मध्यप्रदेश सरकार ने ऐसे बच्चों के लिए फ्री शिक्षा का ऐलान किया था और इसके साथ ही हर महीने 5 हजार रुपये की मदद भी देना की घोषणा की है। वहीं ऐसे बुजुर्ग जिन्होंने अपनो को खो दिया है, उनके लिए भी हर महीने 5 हजार के पेंशन का ऐलान किया है। अब सवाल यह है कि माता-पिता का साया सर से उठने के बाद बेसहारा हुये बच्चों के लिए शिवराज सरकार की योजनाएं का लाभ तभी मिलेगा, जब उनके माता-पिता की मृत्यु कोरोना से हुई हो, हनुशीष डेहरिया को भी मुख्यमंत्री शिवराज सरकार की इस महत्वपूर्ण योजना का लाभ तभी मिलेगा, जब वह अपने माता-पिता को कोरोना से मृत्यु होने प्रमाण प्रस्तुत कर सके। अब दु:ख इस बात का है कि हनुशीष अपने माता-पिता की मृत्यु के बाद कोविड-19 मृत्यु प्रमाण पत्र प्राप्त करने के लिये संघर्ष कर रहा है। 

सिवनी में हुये कोरोना पॉजिटिव, भदभदा शमशान घाट भोपाल में हुआ था अंतिम संस्कार 


हनुशीष डेहरिया के पिता स्व श्री गिरीश डेहरिया की सिवनी जिला में कोरोना पॉजिटिव की रिपोर्ट 12 अप्रैल को आई थी। उचित उपचार का अभाव व आॅक्सीजन की समस्या व अन्य कारणों से उन्हें भोपाल में 15 अप्रैल को भर्ती कराया गया था जहां पर उनकी मृत्यु 18 अप्रैल 2021 को सुबह 5.30 लगभग हुई थी, उनका अंतिम संस्कार कोरोना गाईडलॉइन के तहत भदभदा शमशान घाट भोपाल में किया गया था।

जहां पर जारी किये गये प्रमाण पत्र में बकायकदा मृत्यु का कारण कोरोना दर्शाया गया है। इसके बाद अब जो आॅनलॉइन मृत्यु प्रमाण पत्र जारी किया गया है उसमें कोरोना की जगह सामान्य कारण बताया जा रहा है। यही वजह हनुशीष डेहरिया के लिये अत्याधिक दु:ख का कारण बन गई है। 

बैतुल स्वास्थ्य विभाग से नहीं मिल मां का मृत्यु  प्रमाण पत्र 

इसी तरह हनुशीष की मां स्व श्रीमती दिव्या डेहरिया जो सिवनी के पीजी कॉलेज में असिटेंट प्रोफेसर के पद पर पदस्थ थी उनकी मृत्यु भी 19 अप्रैल 2021 को बैतुल जिला चिकित्सालय में हुई थी। अब हनुशीष के नाना जी अपनी बेटी के कोरोना से मृत्यु होेने का प्रमाण पत्र पाने के लिये सीएमएचओ कार्यालय बैतुल के चक्कर लगा रहे है। वहां पर कहीं सर्वर डाऊन होने का बहाना बताया जा रहा है या अन्य कारण बताकर कोरोना से मृत्यू होने का प्रमाण पत्र जारी नहीं किया जा रहा है। माता पिता को खोने के बाद हनुशीष डेहरिया के लिये मृत्यु का कारण को प्रमाणित करने के लिये भी संघर्ष करना पड़ रहा है आखिर क्यों ?

सिवनी से भोपाल जाने के एंबूलेंस में लगे थे 50 हजार रूपये 

स्व. श्री गिरिश डेहरिया के परिवार में कोरोना के लक्षण अप्रैल के दूसरे हफ्ते में देखे गए थे उनकी रिपोर्ट 12 अप्रैल को पॉजिटिव आई थी, दो दिन के बाद ही गिरीश की हालत बिगड़ गइ्र थी। हनुशीष डेहरिया उस दिन को याद करते हुए बताता है-मैं उनकी आंखों में नहीं देख पा रहा था, वे बोल रहे थे कि उन्हें जलन हो रही है, पापा को अस्पताल जाने की और वेंटिलेटर की जरूरत थी लेकिन सिवनी में ये सुविधायें नहीं मिल पाई थी पर बेबस होकर बेड पर ही पड़े रहे। इसके बाद अत्याधिक स्वास्थ्य बिगड़ने से हनुशीष डेहरिया ने अपने दादा दादी को फोन किया और उनकी स्थिति के बारे में बताया, उन लोगों ने किसी तरह 50 हजार का इंतजाम किया और एंबुलेस से गिरीश डेहरिया को लेकर भोपाल पहुंचे। वहीं सिवनी से लगभग इतनी दूरी के लिये उन्हें 50 हजार खर्च करने पड़े थे। गिरीश डेहरिया को 15 अप्रैल को भोपाल में भर्ती कराया गया उनकी मृत्यु 18 अप्रैल 2021 को सुबह 5.30 लगभग हुई थी, और 19 अप्रैल 2021 को हनुशीष ने अपनी मां श्रीमती दिव्या डेहरिया को भी खो दिया। 

भदभदा शमशान घाट से जारी हुये प्रमाण पत्र में लिखा है कोरोना से हुई मृत्यु  

कोरोना वायरस ने हनुशीष डेहरिया भी संक्रमित हुआ था 27 अप्रैल को जब वह इस बीमारी से स्वस्थ्य हुआ तो उसके कंधों पर सारी जिम्मेदारी थी। वह अपने चाचा जी के साथ भोपाल म्यूनिसिपल कॉरपोरेशन के कार्यालय अपने पिता कामृत्यु प्रमाण पत्र लेने के लिए गया, जहां उसने अस्पताल का सर्टिफिकेट दिया, जिसमें साफ लिखा था कि मृत्यु का कारण कोविड है लेकिन भोपाल म्यूनिसिपल कॉरपोरेशन की तरफ से जो प्रमाण पत्र दिया गया उसमें मृत्यू की वजह का जिक्र नहीं किया गया है, अब हनुशीष डेहरिया के पास ये साबित करने के लिए कुछ भी नहीं है कि उसके पिता की मृत्यु कोविड से हुई है। 

5.30 बजे का समय था माता पिता की मृत्यु का

हम आपको बता दे कि हनुशीष डेहरिया के पिता स्व श्री गिरीश डेहरिया की मृत्यु 18 अप्रैल को सुबह लगभग 5.30 बजे हुई थी वहीं मां स्व श्रीमती दिव्या डेहरिया की मृत्यु 19 अप्रैल को लगभग 5.30 ही हुई थी। ये 18 और 19 अप्रैल को मृत्यु का समय भी एक सा होना दु:खद यादों में सिमट गया है। 

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