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सरकार की उदासीनता के कारण रुमाल जलाशय, 111 साल में भी नहीं बन पाया पर्यटन स्थल

सरकार की उदासीनता के कारण रुमाल जलाशय, 111 साल में भी नहीं बन पाया पर्यटन स्थल

सरकार के आत्मनिर्भर भारत पर प्रश्नचिन्ह खड़ा हो रहा है




अजय नागेश्‍वर संवाददाता
उगली। गोंडवाना समय।

सिवनी जिले की जनपद पंचायत केवलारी के अंतर्गत ग्राम रुमाल टैंक जो डब्ल्यू एच टोड पूर्व इंजीनियर अंग्रेज अफसर द्वारा सन 1910 में रुमाल जलाशय का निर्माण किया गया था लेकिन सरकार की उदासीनता के चलते लगभग 111 साल में भी इतना पुराना एशिया महाद्वीप का तीसरे नंबर का बांध रुमाल जलाशय आज दिन तक पर्यटक स्थल के रूप में अपनी पहचान नहीं बना पाया है।


हम आपको बता दें पर्यटक स्थल बनने से स्थानीय लोगों को रोजगार तो मिलेगा ही साथ में क्षेत्र का विकास तेजी से होगा। आजादी के बाद चाहे कोई सी भी सरकार रही हो किसी भी सरकार ने रुमाल जलाशय परियोजना का विकास नहीं किया।

रुमाल टैंक परियोजना की मुख्य विशेषता


रुमाल टैंक, मिट्टी का बांध एशिया महाद्वीप के तीसरे नंबर पर रुमाल जलाशय का नाम आता है। ये मिट्टी का जलाशय सन 1910 में अंग्रेजों द्वारा बनाया गया था। एशिया महाद्वीप का तीसरे नंबर का मिट्टी का बांधो में शुमार हैं। रूमाल टैंक के पानी से रबी एवं खरीफ की फसल की सिचाई की जाती है।

इससे रुमाल तालाब के आसपास के 2455.51 हेक्टेयर क्षेत्र की सिंचाई की जाती है। जलाशय से लगभग 15 से 20 गांव के किसानों की जमीन को सिंचाई का पानी मिलता है। रुमाल जलाशय की लम्बाई लगभग 6.45 किलोमीटर है।

रुमाल जलाशय की मछलियां इन शहरों में निर्यात की जाती है

रुमाल जलाशय की मछलियों का टेस्ट मीठा है एवं यहां की मछलियों का टेस्ट नदी की मछलियों की तरह है और यहां की मछलियां सिवनी, बालाघाट, मंडला, जैसे अन्य बड़े शहरों में निर्यात की जाती है।

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