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प्रभारी मंत्री के फर्जी लेटर हेड से ट्रांसफर रूकवाने में फंसे तुलफ रैयत पंचायत सचिव सलीम कुरैशी

प्रभारी मंत्री के फर्जी लेटर हेड से ट्रांसफर रूकवाने में फंसे तुलफ रैयत पंचायत सचिव सलीम कुरैशी 

पंचायत सचिव ने ट्रांसफर रुकवाने मध्यप्रदेश सरकार के मंत्री का फर्जी लेटर हेड का किया दुरूपयोग 

जनपद पंचायत छपारा की तुलफ रैयत के सचिव सलीम कुरैशी सहित ठेकेदारों ने किया इस्तेमाल 


सिवनी/छपारा। गोंडवाना समय।

ग्राम पंचायत में पदस्थ सचिव के स्थानांतरण को रूकवाने के लिये मध्यप्रदेश सरकार के एवं सिवनी जिले के प्रभारी मंत्री श्री ओम प्रकाश सखलेचा के फर्जी लेटर हेड का इस्तेमाल कर स्थानांतरण रोकने की अनुशंसा का सनसनीखेज मामले ने प्रशासनिक अधिकारियों की नींद उड़ा दी हैं। वहीं लेटर हेड फर्जी होने की पुष्टि के बाद अब मामला थाना पहुंच गया है। 

जिला पंचायत सीईओ की सूझबूझ से पकड़ में आया मामला 

हालांकि अधिकारी की सूझबूझ की वजह से यह मामला पकड़ में आ गया है लेकिन सूत्रों की माने तो छपारा के ठेकेदारों द्वारा फर्जी दस्तावेज तैयार कर पहले भी अधिकारी कर्मचारियों का डराया धमकाया जा चुका है, जिसकी जांच पड़ताल हो जाये तो पूरा मामला सामने आ जाएगा। गौरतलब है कि सिवनी जिले के 92 पंचायत सचिवों का स्थानांतरण अगस्त माह में प्रभारी मंत्री की अनुशंसा पर स्वयं के व्यय ओर प्रशासनिक आधार पर किया गया था। जिसमें छपारा जनपद पंचायत की तुलफ रैयत पंचायत में पदस्थ सचिव सलीम कुरेशी का स्थानांतरण सिवनी जिले की घंसौर जनपद पंचायत में प्रशासनिक आदेशों के हवाले से किया गया था। 

ठेकेदार और सचिव ने मिलकर किया फर्जीवाड़ा 

विश्वसनीय सूत्रों की माने तो उक्त सचिव के स्थानांतरण को रूकवाने के लिये ग्राम पंचायत में ठेकेदारी करने वाले व्यक्ति ने जिले के प्रभारी मंत्री ओमप्रकाश सकलेचा के फर्जी लेटर हेड पर स्थानांतरण रोकने को लेकर अनुशंसा पत्र पंचायत के सचिव सलीम कुरैशी को थमा दिया था। 

लेटर हेड पर लिखी भाषा पर हुआ संदेह तो प्रभारी मंत्री को दी सूचना 

सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक सिवनी जिले के प्रभारी मंत्री ओमप्रकाश सखलेचा के फर्जी लेटर हेड पर छपारा जनपद पंचायत की तुलफ रैयत में पदस्थ सलीम कुरैशी के स्थानांतरण रोकने को लेकर जब उक्त लेटर हेड सिवनी जिला पंचायत के सीईओ पार्थ जयसवाल के पास पहुंचा तो उन्हें लेटर हेड पर लिखी भाषा पर संदेह हुआ। उन्होंने तत्काल इस बात की सूचना प्रभारी मंत्री के पीए को दी और अपने शासकीय ई-मेल को भी चेक करवाया।

2 दिनों से जिले के प्रशासनिक अधिकारियों की नींद उड़ी हुई थी

बताया जाता है कि पूरे मामले को लेकर प्रभारी मंत्री ने भी किसी भी सचिव के स्थानांतरण रोकने को लेकर अनुशंसा करने से इनकार किया जिसके बाद जिला पंचायत सीईओ ने पूरे मामले को लेकर जिले के वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों से चर्चा की और पूरे मामले की जांच के आदेश भी दिए थे। सिवनी जिले के प्रभारी मंत्री के नाम पर फर्जी लेटर हेड के इस पूरे मामले को लेकर पिछले 2 दिनों से जिले के प्रशासनिक अधिकारियों की नींद उड़ी हुई थी। 

अधिकारियों व पुलिस ने की गोपनीय जांच, जिला पंचायत के कर्मचारी थाने के बाहर बैठे रहे 


इस पूरे मामले में 13 और 14 सितंबर को सिवनी पुलिस ने छपारा जनपद पंचायत की तुलफ रैयत पंचायत में पदस्थ सलीम कुरैशी, इस्माईल ओर पंचायत में मनरेगा और अन्य सरकारी योजनाओं के नाम पर मटेरियल सप्लायर बनकर ठेकेदारी करने वाले छपारा नगर के शैलेंद्र सिंह ठाकुर उर्फ सिल्लू को पूछताछ के लिए छपारा से उठाकर सिवनी कोतवाली लेकर आई ओर पूछताछ की। इस दौरान मामले की जांच पड़ताल कर रहे छपारा के निरीक्षक के रूप में पदस्थ प्रशिक्षु डीएस पी अभिषेक चौधरी ओर कोतवाली थाने में पदस्थ ए एस आई शर्मा द्वारा गुपचुप तरीके से जांच की गई। इस दौरान मीडिया को भी कवरेज से रोका गया। वहीं दूसरी तरह जिला पंचायत से सीईओ पार्थ जायसवाल के निर्देश पर शिकायत करने पहुंचे पंचायत शाखा के कर्मचारी ओर परियोजना अधिकारी को पुलिस ने गैरों की तरह कई घण्टे बाहर बैठाए रखी।

मूल्यांकन न करने पर ट्रांसफर के नाम पर डराया 

छपारा के विशेष सूत्र बताते है कि जनपद पंचायत में पदस्थ महिला इंजिनियर द्वारा किसी निर्माण कार्य को लेकर जब गुणवत्ता पर सवाल उठाते हुए मूल्यांकन कार्य से इंकार किया था तब भी सूत्रों की माने तो इसी तरह का एक ठेकेदार द्वारा दस्तावेज तैयार करवाकर इंजिनियर को ट्रांसफर कराने की धमकी दी गई थी। जिसके बाद डरकर निर्माण कार्य का मूल्यांकन कर दिया गया था। इसकी जांच हो जाए तो पूरा मामला साफ हो जाएगा।

बेटी के नाम पर फर्म बनाकर लाखों रूपए निकाले

प्रभारी मंत्री के फर्जी लेटर हेड के मामले में फंसे तुलफ रैय्यत के सचिव सलीम कुरैशी बेहद ही शातिर किस्म का बताया जाता है। सलीम कुरैशी द्वारा खुद की बेटी की फर्म बनाकर वर्ष 2017 से 2019 तक निर्माण कार्य के नाम पर  तकरीबन 15-16 लाख रुपए की राशि निकाली गई है जबकि पंचायत के अधिनियम साफतौर पर स्पष्ट कहते है। पंचायत के अधिकारी, कर्मचारी, जनप्रतिनिधि के कोई भी रिश्तेदार प्रत्यक्ष अप्रत्यक्ष रूप से लाभ नहीं ले सकते हैं।

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