बैगा नगरी विस्थापित होने का अंदेशा आदिवासियों में आक्रोश, विस्थापन रोकने व बांध न बनाये जाने राष्ट्रपति के नाम सौंपा ज्ञापन
हम प्रकृति को मानने वाले है इसलिये हम विस्थापन का करते है विरोध
परसवाड़ा/बालाघाट। गोंडवाना समय।
आदिवासियों का जीवन जल, जंगल, जमीन से जुड़ा होने के साथ-साथ विगत लंबे समय से आदिवासी जंगल में निवास कर रहे हैं। प्रशासन के द्वारा अनेकों योजनाएं संचालित आदिवासी बाहुल्य क्षेत्रों में कर आदिवासियों को विस्थापित करने जैसी स्थिति को निर्मित करती हैं। कुछ स्थानों पर विगत लंबे समय से निवास कर रहे हैं बैगा आदिवासियों का जीवन स्थानीय स्थितियों में ढलने लगा है।
प्रशासन के द्वारा विकास के नाम पर आदिवासियों को विस्थापित करने का कार्य किया जाएगा तो कहीं ना कहीं जल, जंगल, जमीन से जुड़ा हुआ एक बड़ा तबका शहर की जिंदगी से अनभिज्ञ अपने जीवन को कैसे जी पाएगा। आदिवासियों के जीवन एवं जीवन शैली को ध्यान में रखते हुए प्रशासन को संचालित योजनाओं की ओर ध्यान देने की आवश्यकता है कि विस्थापन जैसी स्थितियां निर्मित ना हो।
समस्याओं को लेकर अवगत कराया गया
बालाघाट जिले के परसवाड़ा तहसील के अंतर्गत आने वाले बैहर के नजदीक निवास कर रहे बैगा नगरी नामक ग्राम के आदिवासियों के द्वारा बताया गया कि शासन प्रशासन के द्वारा ग्राम में बांध बनाने की योजना बन रही है। जिससे प्रशासन के द्वारा स्थान का सर्वे कर लिया गया है, ऐसे में कहीं ना कहीं आदिवासियों को डर है कि उन्हें उनकी भूमि से वंचित कर खदेड़ दिया जाएगा। सर्व आदिवासी समाज ने आक्रोश जाहिर करते हुए जिला कलेक्टर बालाघाट के माध्यम से महामहिम राष्ट्रपति के नाम ज्ञापन सौंपते हुए अपनी तमाम समस्याओं को लेकर अवगत कराया गया है।
विस्थापन से समस्याओं के घेरे में आ जायेंगे आदिवासी
ज्ञापन के माध्यम से गोंड समाज महासभा तथा गोंड युवा प्रकोष्ठ संगठन के माध्यम से सैकड़ों युवाओं के द्वारा रैली निकालकर आक्रोश जाहिर करते हुए बताया गया कि आदिवासी समुदाय जो कि जंगल में निवास करने वाला समुदाय हैं जो जल, जंगल, जमीन से जुड़ा हुआ रहना पसंद करता है। ऐसी स्थिति में प्रशासन विस्थापन जैसी प्रक्रिया करता है तो कहीं ना कहीं आदिवासियों का हक एवं जिस जगह पर वह पुरातन काल से निवास करते आ रहे है। वहीं यदि उन्हें हटाया जाता है तो विस्थापन होने से समस्याओं के घेरे में आ जाएंगे। इस पर गहन चिंतन मंथन करने की आवश्यकता है।
बैगा नगरी में बांध बनाने के लिए आदिवासियों को करना पड़ सकता है विस्थापन
सैकड़ों आदिवासियों के द्वारा संगठन के माध्यम से जिला कलेक्टर को ज्ञापन सौंपते हुए बताया गया कि बैगा नगरी जिसमें सैकड़ो आदिवासी समुदाय के लोग निवास कर रहे हैं। अगर प्रशासन के द्वारा विस्थापन किया गया तो समाज का बहुत बड़ा तबका परेशानियों के घेरे में आ खड़ा होगा क्योंकि आदिवासी समुदाय प्रकृति पूजक है और वह प्रकृति के साथ जीवन बिताना ही पसंद करता है। वहीं उन्हें शहर की चकाचौंध से उन्हें किसी भी प्रकार से मतलब नहीं है। गोंड समाज महासभा एवं गोंड युवा प्रकोष्ठ के माध्यम से बताया गया कि कहीं ना कहीं अब जल, जंगल, जमीन की लड़ाई जमीनी स्तर से लड़ने की आवश्यकता है क्योंकि प्रशासन विकास की बात करते हुए आदिवासियों को जल, जंगल, जमीन से विस्थापन करने की योजना बना रहा है। हम संगठन के माध्यम से विस्थापित हो रहे बैगा नगरी का विरोध करते हैं।
पूर्वजों व पुरातन काल के अस्तित्व को बचाने हमें सड़कों पर आना होगा
वही इस मामले में बैगा नगरी निवासी ग्रामीण उमा धुर्वे बताती है कि टिकरिया और बैगा नगरी के बीच प्रशासन के द्वारा बांध बनाया जा रहा है, जिससे हमारी जल, जंगल, जमीन में बांध का निर्माण होगा। इसके विरोध में सैकड़ों की तादाद में जिला कलेक्टर बालाघाट के माध्यम से महामहिम राष्ट्रपति के नाम ज्ञापन सौंपने आए हैं एवं हमने अपना सारा जीवन अपने ग्राम के विकास के लिए लगा दिया तथा हमें जंगल में रहने में कोई परेशानी नहीं है। पीने के लिए पानी एवं तमाम सुविधाएं हमें उपलब्ध है, खेती करने में भी कोई परेशानी नहीं है। ऐसी स्थिति में अगर प्रशासन हमें विस्थापित करता है तो हमारे पूर्वज जो पुरातन काल से निवास कर रहे हैं उनके अस्तित्व बचाने हमें सड़कों पर आना होगा ।
वहीं गोंड युवा प्रकोष्ठ जिला अध्यक्ष सीताराम उईके ने बताया कि प्रशासन द्वारा ग्राम बैगा नगरी टिकरिया पंचायत में घुरारनाला में बांध बनाने हेतु सर्वे किया गया है जिसके विरोध में आज हम बैगा आदिवासी बैगा नगरी ग्रामीणों के साथ कलेक्टर को ज्ञापन सौंपने आये है। जिसमें विस्थापन के विरोध में अनेकों प्रकार की मांगे रखी गई तथा हम प्रकृति को मानने वाले आदिवासी हैं, हमें जल, जंगल, जमीन से दूर नहीं जाना है तथा हम ग्रामीणों के साथ हैं एवं विस्थापन का हम विरोध करते हैं।
वहीं गोंड समाज महासभा जिला अध्यक्ष राधेलाल मर्सकोले ने बताया कि परसवाड़ा तहसील अंतर्गत बैहर बैगा नगरी जो हमारे पुरखों से बसा हुआ ग्राम है। घुरारनाला में प्रशासन के द्वारा बांध बनाने की जो मंशा चल रही है हम उसके विरोध में कलेक्टर के माध्यम से महामहिम राष्ट्रपति के नाम ज्ञापन सौंपकर विस्थापन रोकने की मांग एवं बांध ना बनाने की मांग को लेकर एकत्रित होकर ज्ञापन सौंप रहे हैं।