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रिश्वत लेने के आरोप में कलेक्ट्रेट के लिपिक को 4 वर्ष की हुई सजा

रिश्वत लेने के आरोप में कलेक्ट्रेट के लिपिक को 4 वर्ष की हुई सजा 


सिवनी। गोंडवाना समय। 

जिला सिवनी की भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की विशेष न्यायालय द्वारा, भ्रष्टाचार के मामले में कलेक्ट्रेट के लिपिक को सजा सुनाई है। उक्त प्रकरण के संबंध में जानकारी देते हुये मीडिया सेल प्रभारी श्री मनोज सैयाम द्वारा बताया गया कि आवेदक एम के खान निवासी सिवनी द्वारा भूमि विक्रय हेतु कलेक्टर कार्यालय में आवेदन दिया गया था। कलेक्टर द्वारा भूमि विक्रय करने का अनुमति आदेश पत्र में टंकण त्रुटि होने के कारण जमीन विक्रय नहीं हो रही थी। कलेक्ट्रेट में पदस्थ गुलाब चंद जांगड़े सहायक ग्रेड-2 (रीडर) कलेक्ट्रेट कार्यालय सिवनी के द्वारा संशोधन आदेश निकालने के एवज में  रू 2000/- की रिश्वत मांग  कर रहे थे परन्तु प्रार्थी रिश्वत नही देना चाहता था। इस कारण उसने लोकायुक्त कार्यालय जबलपुर में शिकायत किया था। 

कलेक्ट्रेट सिवनी के परिसर में बने जैन कैंटीन में 2000  रुपएं की रिश्वत लेते हुए रंगे हाथ पकड़ा गया था

लोकायुक्त पुलिस द्वारा दिये गए वॉइस रिकॉर्डर में प्रार्थी द्वारा उक्त बाबू से रिश्वत संबंधी बातचीत रिकार्ड की गई। रिकॉर्डर में वार्ता में रिश्वत की मांग संबंधी तथ्यों की पुष्टि होने पर अपराध क्रमांक 0/2016 धारा 7 पी0सी0 एक्ट 1988 का प्रकरण पंजीबद्ध किया गया। दिनाँक 27-01-2016 को  ट्रेपदल द्वारा प्रार्थी के द्वारा आरोपी को कलेक्ट्रेट सिवनी के परिसर में बने जैन कैंटीन में 2000  रुपएं की रिश्वत लेते हुए रंगे हाथ पकड़ा गया था। बाद अपराध क्रमांक 36/2016 धारा 7,13(1) डी,13(2) पी0सी0ए0 कायम कर विवेचना में लिया गया। और मामला न्यायायल में पेश किया था।

 नवल किशोर सिंह सहायक जिला अभियोजन अधिकारी द्वारा गवाहों और सबूतों को पेश किया गया

जिसकी सुनवाई माननीय श्री राजर्षि श्रीवास्तव, विशेष सत्र न्यायाधीश (भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम ) सिवनी की न्यायालय मे की गई। जिसमें शासन की ओर से श्री नवल किशोर सिंह सहायक जिला अभियोजन अधिकारी/विशेष लोक अभियोजक के द्वारा गवाहों और सबूतों को पेश किया गया और अपने तर्क से मामले को संदेह से परे प्रमाणित कराया गया। सबूतों एवं गवाहों के आधार पर आरोपी गुलाब  चंद जागड़े को धारा-07 भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम में- 3 वर्ष का सश्रम कारावास एवं 1000 रुपए का अर्थदंड, व्यतिक्रम में 6 माह का सश्रम कारावास और  धारा- 13(2) भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम में- 4 वर्ष का सश्रम कारावास एवं 1000 रुपए का अर्थदंड, व्यतिक्रम में 6 माह का सश्रम कारावास से दंडित किए जाने का निर्णय सुनाया है।

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