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मुख्यमंत्री कहते है मध्यप्रदेश के खजाने में सबसे पहला हक आदिवासियों का है तो फिर जनजाति कार्य विभाग को अनुपूरक बजट में मात्र 400 रूपये क्यों ?

मुख्यमंत्री कहते है मध्यप्रदेश के खजाने में सबसे पहला हक आदिवासियों का है तो फिर जनजाति कार्य विभाग को अनुपूरक बजट में मात्र 400 रूपये क्यों ?


सिवनी। गोंडवाना समय। 

मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान आदिवासियों के बीच पहुंचने पर या आदिवासी सम्मेलन या जनजाति वर्ग के शासन स्तर पर आयोजित कार्यक्रमों में हमेशा यही कहते है कि मध्य प्रदेश के खजाने में सबसे पहला यदि किसी का है तो वो आदिवासियों का है।
        मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान के वक्तव्य कि मध्यप्रदेश के खजाने में सबसे पहला आदिवासी समाज का है तो फिर मध्यप्रदेश के अनुपुरक बजट में लगभग 21 हजार करोड़ रूपये का प्रावधान विभिन्न विभागों के लिये किया गया था लेकिन जनजाति विभाग को मात्र 400 रूपये ही क्यों दिये गये है।
            इसको लेकर विपक्ष ने विधानसभा में काफी हंगामा किया तो वहीं सत्ता पक्ष के मंत्री ने यहां तक कह दिया कि जब अनुपूरक बजट पास हो रहा था तब क्यों चुपचाप थे। ये तो हुई सत्ता पक्ष और विपक्ष की राजनीति की बात लेकिन मध्यप्रदेश में सर्वाधिक जनसंख्या जनजातियों की है।
            जनजातियों के विकास, उत्थान, कल्याण के लिये मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान स्वयं कहते है कि मध्य प्रदेश के खजाने में सबसे पहला हक आदिवासी भाई बहनों का है। इसके बाद भी मध्य प्रदेश के खजाने से जनजातियों के लिये मात्र 400 रूपये ही स्वीकृत किया गया आखिर क्यों ? 

जनजाति वर्ग में मध्यप्रदेश सरकार के प्रति नाराजगी स्पष्ट दिखाई दी 


मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री के श्री शिवराज सिंह चौहान ने अर्थशास्त्रियों के राष्ट्रीय अधिवेशन में यह बात कहा है कि आर्थिक क्षेत्र के विद्वानों और प्रमुख अर्थशास्त्रियों के शोध निष्कर्षों के आधार पर होगा आगामी बजट का निर्धारण किया जायेगा। मध्यप्रदेश में सर्वाधिक जनसंख्या जनजाति वर्ग की है, इस आधार पर सबसे अधिक बजट जनजातियों के विकास के कार्य हेतु दिया जाना चाहिये।
        वहीं बीते दिनों अनुपूरक बजट में जनजातिय कार्य विभाग के लिये मात्र 400 रूपये स्वीकृत करने से मध्यप्रदेश सरकार के साथ साथ मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान की कथनी और करनी में भी अंतर स्पष्ट दिखाई दिया है। जिसको लेकर राजनीति तो हुई ही है साथ में जनजाति वर्ग में भी मध्यप्रदेश सरकार के प्रति नाराजगी स्पष्ट दिखाई दी है। 

आर्थिक क्षेत्र के विद्वानों और प्रमुख अर्थशास्त्रियों के शोध निष्कर्षों के आधार पर होगा आगामी बजट का निर्धारण-मुख्यमंत्री 


मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा है कि मध्यप्रदेश के आगामी बजट के निर्धारण में आर्थिक क्षेत्र के विद्वानों और प्रमुख अर्थशास्त्रियों के शोध निष्कर्षों को आधार बनाया जाएगा। प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के पाँच ट्रिलियन डॉलर की अर्थ-व्यवस्था बनाने के संकल्प की पूर्ति में मध्यप्रदेश अधिकाधिक योगदान देगा। ये बात मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान द्वारा 26 दिसंबर 2021 को प्रशासन अकादमी में इंडियन इकोनामी एसोसिएशन के राष्ट्रीय अधिवेशन के दूसरे दिन  इकोनामी आॅफ मध्यप्रदेश सत्र को संबोधित करते हुये बाते कहीं गई। इस दौरान संगोष्ठी में अर्थशास्त्रियों ने मध्य प्रदेश में गत डेढ़ दशक में अर्जित उपलब्धियों का बखान भी किया और भविष्य के लिए आवश्यक प्राथमिकताओं के संबंध में सुझाव भी दिए।
             इस दौरान अर्थशास्त्रियों को नवरत्न भी बताया। मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि आगामी 3 जनवरी से विभागवार बैठकें प्रारंभ की जा रही हैं, जिसमें विभागों की योजनाओं और राशि के प्रावधान पर विस्तार से विचार-विमर्श होगा।
         प्रशासनिक अधिकारी भी बजट तैयार करने के कार्यों में सक्रिय रहते हैं, लेकिन अर्थशास्त्रियों के सुझावों को प्राथमिकता देते हुए प्रदेश के बजट का निर्धारण होगा। जिन सुझावों पर तत्काल अमल संभव नहीं, उन पर दीर्घकालिक योजना में अमल किया जाएगा। मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि उन्होंने अपने प्रयासों से मध्यप्रदेश को बीमारू राज्य की श्रेणी से बाहर निकाला है।


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