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आदिवासी समाज में लोक नृत्य का बड़ा महत्व है-सुश्री अनुसुईया उइके

आदिवासी समाज में लोक नृत्य का बड़ा महत्व है-सुश्री अनुसुईया उइके

राज्यपाल गोवा में आयोजित 21 वें वार्षिक लोकोत्सव में हुई शामिल


रायपुर/गोवा। गोंडवाना समय।

लोक नृत्य, हमारी संस्कृति का वह अंग है, जो किसी भी समाज के विभिन्न रूपों को प्रदर्शित करता है। इसके माध्यम से हम समाज की परंपराओं को समझ सकते हैं।


आदिवासी समाज में लोक नृत्य का बड़ा महत्व है। वे समय-समय पर और अलग-अलग स्वरूपों पर लोक नृत्य करते हैं। इतने सुंदर आयोजन के लिए जनजातीय आयोग गोवा और आदर्श युवा संघ गोवा को बधाई देती हूं। उक्त बातें राज्यपाल सुश्री अनुसुईया उइके ने गोवा में आयोजित 21 वें वार्षिक लोकोत्सव में कहीं।

गोवा, भारत का छोटा सा परन्तु खूबसूरत राज्य है


राज्यपाल सुश्री अनुसुईया उइके ने कहा कि गोवा, भारत का छोटा सा परन्तु खूबसूरत राज्य है। समुद्र तट पर बसे इस राज्य की खूबसूरती देखते ही बनती है। यहां की संस्कृति अपने आप में अनूठी है। मुझे गोवा के निवासियों के बीच शामिल होने का मौका मिला है। ऐसे उत्सव के माध्यम से निश्चित ही यहां की संस्कृति को करीब से जानने का मौका मिला।

आदिवासियों के विकास के लिये संविधान में कई प्रावधान किए गए हैं


उन्होंने कहा कि आजादी के बाद आदिवासियों के विकास के लिये संविधान में कई प्रावधान किए गए हैं।  पूर्व प्रधानमंत्री श्री अटल बिहारी वाजपेयी जी ने जनजातीय समाज के कल्याण के लिए उल्लेखनीय कार्य किये हैं। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी भी कई योजनाएं संचालित कर उनके कल्याण के लिए अच्छा कार्य कर रहे हैं।राज्यपाल ने कहा कि छत्तीसगढ़ राज्य से भी लोक नर्तकों का दल आया हुआ है। कुछ दिनों पहले छत्तीसगढ़ में आदिवासी लोक नृत्य महोत्सव का अंतर्राष्ट्रीय स्तर का आयोजन किया गया था, जिसमें दूसरे प्रदेशों एवं अन्य देशों के लोग भी आए थे। वहां पर कलाकारों ने मनमोहक नृत्य की प्रस्तुति दी थी। 

हम अपनी संस्कृति को बचाए रखें और नई पीढ़ी को भी इसकी जानकारी दें


उन्होंने कहा कि यहां पर आदिवासी संस्कृति के अन्य पहलूओं जैसे पारंपरिक खाद्य पदार्थ, पारंपरिक खेल और पारंपरिक पहनावे को भी प्रदर्शित किया जा रहा है। संस्कृति के विभिन्न रूपों के इस संगम ने आदिवासी समाज की संस्कृति और परंपराओं की अवधारणा समझने को मिल रही है। साथ ही ऐसे परिदृशय दर्शकों के मन में अमिट छाप भी छोड़ रहे हैं। सुश्री उइके ने कहा कि इनकी बनाई कलाकृति भी अंतर्राष्ट्रीय बाजारों में लाखों रूपए में बिकती है। यह अच्छी बात है कि अभी ऐसे आयोजन हो रहे हैं, जिससे हमारी संस्कृति का संरक्षण हो रहा है तथा समाज का ज्ञानवर्धन भी हो रहा है। मेरा आग्रह है कि हम अपनी संस्कृति को बचाए रखें और नई पीढ़ी को भी इसकी जानकारी दें।

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