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स्वाती सनोडिया ''पँखुड़ी'' की कवितायें समाज के हर वर्ग के पाठकों को जीवन जीने की राह और दे रही है प्रेरणा


स्वाती सनोडिया ''पँखुड़ी'' की कवितायें समाज के हर वर्ग के पाठकों को जीवन जीने की राह और दे रही है प्रेरणा 


सिवनी। गोंडवाना समय। 

सिवनी जिले की बेटी अपनी काव्य रचना से पूरे प्रदेश और देश के कवियो सहित्यकारों के बीच मे अपनी पहचान बना रही है। बहुत कम समय में अपनी कलम की बदौलत सोशल मीडिया के माध्यम से राष्ट्रीय काव्य संगोष्ठी में अपनी काव्य रचना की प्रस्तुति से सबको अपना मुरीद बनाया लिया है। इसके साथ ही  बहुत सारे पुरस्कार और अभिनंदन पत्र के अलावा राष्ट्रीय स्तर के सहित्य मंच की सदस्या बन चुकी स्वाित सनोडिया को राष्ट्रीय हिंदी सहित्य अकादमी के मंत्री के रुप मे जगह दी गई है।

छोटी उम्र में ही डायरी में रचनायें लिखने लगी थी


90 के दशक में सिवनी जिले में जन्मी स्वाति को बचपन से लिखने का शौक था, छोटी उम्र में ही डायरी में रचनायें लिखने लगी थी। मिशन इंग्लिश स्कूल से शुरूवाती शिक्षा के साथ ही हिंदी माध्यम से हायर सेकण्डरी पास कर अंग्रे़जी सहित्य से एम. ए. और समाज शास्त्र में गोल्ड मैडल स्वाति ने अपनी रचनाओं के माध्यम से समाज के हर वर्ग को जाग्रत करने का कार्य कर रही है। साहित्य पुष्पांजलि समूह सरस सहित्य दर्शन समूह गुजरात प्रांत में काव्य संध्या के राष्ट्रीय कवि संगम में भी विशेष प्रसुतुति दे चुकी है।

नहीं रखेगा नाम कोई भी, क्यो तू इतनी क्रूर भई


स्वाति सनोडिया पँखुड़ी ने अभी तक 3 दर्जन से अधिक कवितायें लिखी है जिनमें वीर रस और जाग्रत करने वाली कविताये पौराणिक पात्रों पर रचनाओं को अपनी कलम के माध्यम के उनकी विरह व्यक्तिव और ऊर्जा को लोगो के समक्ष प्रेरणादयक संदेश संदेश पाठकों को बहुत पंसद आये। रामायण की माता उर्मिला के विरह को इस तरह से प्रस्तुत किया है। 

काग विहग व्यथा ऊर्मिले, आज तुम्ही से कहती हूं

अंखियां प्रियतम ढूंढ रही है, विरह में बरबस बहती हू

रामायण का कैकई के नकारात्मक चरित्र के कैकई प्रत्युत्तर मे लिखती है 

नहीं रखेगा नाम कोई भी, क्यो तू इतनी क्रूर भई

मर्यादित से करी कपट छल, क्यों विवश भई मजबूर भई,

विप्र सुनो हे! मानव कुल के अश्रुपूरित व्यथा सुनो

नहीं कलंक हूं रघुकुल की मैं नियति की यह कथा सुनो।

इसी प्रकार सुभद्रा कुमारी चौहान के व्यकित्व्त के माध्यम से युवा जोश के लिये कहतीं है 

मैं अलख जगाने आई हूं, वहीं कलम फिर वही भावना 

लेकर फिर से आई हूं, नाम सुभद्रा था काया का 

मै अलख जागने आई हूं।

इसलिये पुस्तके, लेख और सारगर्भित कवितायें लिखनी और पढ़नी चाहियें

वर्तमान में शासकीय स्कूल मेहरा पिपरिया में सेवाये दे रही स्वाति सनोडिया 21 सदी की युवा कवियत्री है। जिनकी रचनाओं की समी़क्षा अनेक वरिष्ठ साहित्यकारों ने भी की है। स्वाति सनोडिया अपनी स्वरचित कवितओ को वर्तमान समय में सोशल साइट आॅनलाइन प्लेटफार्म का उपयोग कर समाज के हर वर्ग के पाठकों को जीवन जीने की राह और प्रेरणा दे रही है, उनका मानना है की कोई भी लेख, कविता या रचना लिखने से इंसान अपने अंदर उठ रहे विचारों को व्य्क्त करता है, जो सुधि पाठकों को मार्गदर्शन देता है। इसलिये पुस्तके, लेख और सारगर्भित कवितायें लिखनी और पढ़नी चाहियें।

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