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आदिवासियों को नहीं मिले संवैधानिक अधिकार तो पदयात्रा करते जायेंगे भोपाल

आदिवासियों को नहीं मिले संवैधानिक अधिकार तो पदयात्रा करते जायेंगे भोपाल 

संवैधानिक पद यात्रा का समापन मण्डला जिला कलेक्ट्रेट कार्यालय में किया गया


मंडला। गोंडवाना समय। 

संवैधानिक पद यात्रा का 7 दिसंबर को अंतिम दिन में पद यात्रा के समर्थन में आये हजारों लोग और सभी सामाजिक संगठनों का एकत्रीकरण मण्डला कलेक्ट्रेट कार्यालय के सामने दिखाई दिया। हम आपको बता दे कि संवैधानिक पदयात्रा मवई से 4 दिसंबर 2021 को फड़ापेन ठाना मवई बैगा आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र से चलकर 4 दिनों में कई गांवो से गुजरते हुए कड़कड़ाती ठण्ड में अपने घर से खाने पीने का राशन लिए और थोड़े बहुत ओढ़ने बिछाने का कपड़े लेकर संविधान में दिए गये अधिकारों की मांग को लेकर निकले थे। मण्डला मुख्यालय कलेक्ट्रेट तक पहुंचने से पहले संवैधानिक पदयात्रा सुबह 11 बजे महराजपुर में संविधान की प्रस्तावना पढ़ी गई और तिरंगा झंडा के साथ नगर भ्रमण कर कलेक्टर मंडला में सभा के साथ साथ ज्ञापन पश्चात राष्ट्रगान करके ससम्मान तिरंगा झंडा को उतारा गया एवं प्रथम चरण की यात्रा को समाप्त किया गया। 

कलेक्टर ने दिया आश्वासन


संवैधानिक पदयात्रा में शामिल लोगों का प्रतिनिधिमण्डल को मण्डला कलेक्टर कार्यालय पहुंचने के बाद जब कलेक्टर कक्ष में जाकर कलेक्टर से मुलाकात हुई तो उन्हें प्रतिनिधिमण्डल द्वारा ज्ञापन सौंपा गया। वहीं ज्ञापन में उल्लेखित बिंदुओं के आधार पर विधिवत कार्यवाही करने का आश्वास मण्डला कलेक्टर द्वारा प्रतिनिधिमण्डल को आश्वासन दिया गया है। 

प्रतिदिन सुबह संविधान की प्रस्तावना पढ़कर तिरंगा लेकर यात्रा आगे बढ़ते रहे पदयात्री 


जिसका प्रथम रात्रि विश्राम अंजनी, दूसरा औरई, तीसरा महराजपुर इस तरह यात्रा के दौरान पद यात्रियों के द्वारा गांव-गांव में लोगों को संविधान के प्रति जागरूक किया गया। अपनी परम्परा अनुसार कई जगह पर मांदर और टिमकी लिए सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया गया एवं नुक्कड़ नाटक के माध्यम से सभा के माध्यम से अधिकारों के प्रति लोगों को जागरूक किया गया। संवैधानिक पदयात्रा के शुभारंभ करने के पूर्व प्रतिदिन सुबह संविधान की प्रस्तावना पढ़ी जाती थी और तिरंगा लेकर यात्रा आगे बढ़ जाती थी। रास्ते में ही नास्ता भोजन करते और आगे बढ़ते बढ़ते मंडला जिला मुख्यालय पहुंच गये।  कुछ बैगा महिला बिना चप्पल जूते ही के ही 100 किलोमीटर तक की यात्रा इस आधुनिक युग में भी बिना थके बिना हताश हुए पूरी किया। 

भूरिया कमेटी सिफारिशों को नजरअंदाज करने का काम इस पेसा नियम -2021 में किया गया है 


पदयात्रियों का सबसे महत्वपूर्ण मुद्दा मध्यप्रदेश सरकार के द्वारा जो पेसा नियम 2021 बनाया गया है वो केंद्रीय पेसा कानून के बिलकुल विपरीत है। ग्राम सभा को एक तरह का कोमा में डालने का काम किया है जबकि आज भी गांव में कहा जाता है कि दिल्ली में हमारी सरकार क्यूंकि हम चुन के भेजते हैं, भोपाल में हमारी सरकार क्यूंकि हम चुन के भेजते हैं लेकिन हमारे गांव में हम ही सरकार इस भावना और परिकल्पना के साथ पेसा कानून को बनाया गया था परंतु सरकार आज फिर से आदिवासियों के साथ ऐतिहासिक अन्याय को दोहराने का काम कर रही है। भूरिया कमेटी की जो रिपोर्ट थी सिफारिश थी उन सभी बातों को नजरअंदाज करने का काम इस पेसा नियम -2021 में किया गया है। 

मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल तक होगी पदयात्रा 

ये प्रथम चरण की पदयात्रा जिला मुख्यालय तक सांकेतिक पद यात्रा थी इसके बाद जो यात्रा होगी वो मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल तक होगी और जब तक कानून में आवश्यक संसोधन अनुसूचित क्षेत्रो के लिए एवं ग्राम सभा को सक्षम नहीं बनाया जायेगा तब तक इसके लिए संघर्ष किया जायेगा। इसी प्रकार एक कानून वर्ष 2006 में आया वनाधिकार मान्यता कानून 2006 जो वन पारिस्थिकी प्रणाली को बचाने और बनाये रखने के लिए अभिन्न अंग है उनके साथ ऐतिहासिक अन्याय किया जा रहा है। वहीं आदिवासी क्षेत्रों में सबसे ज्यादा विस्थापन षड्यंत्र पूर्वक पहले भी हुआ है और आज भी निरंतर जारी है और कई बैगा परिवारों को विस्थापन के बाद मुआवजा तक नहीं मिला और वो परिवार दर दर की ठोकरें खाने को मजबूर हैं। 

5 वीं अनुसूची का जमीनी स्तर पर कड़ाई से पालन होना चाहिये

इस तरह यात्रा का उद्देश्य संविधान में प्रदत्त अधिकार 5 वीं अनुसूची का जमीनी स्तर पर कड़ाई से पालन होना चाहिये, पेसा नियम -2021 में आवश्यक संसोधन किया जाये और समाज से राय भी मांगी जाये, वनाधिकार कानून के तहत लंबित अधिकार पत्रों को उचित निराकरण कर अधिकार पत्र दिए जाएं एवं सामुदायिक अधिकार और सामुदायिक वन संसाधन के अधिकार दिए जाएँ। वहीं  जो विस्थापित पात्र परिवार हैं उन्हें मुआवजा दिया जाये। 

इस दौरान ये रहे मौजूद 

इस दौरान उपस्थित रहे भूपेंद्र सिंह उइके, हीरा उद्दे, चरन परते, मानिक मरकाम, अजय मरकाम, रुकमणी सुरेश्वर, सुरेश पेन्दो, मुन्ना मारवी (पंडा रमतिला), अशोक पट्टा, सुंदर लाल मार्को दादा, महती बाई, िपकको बाई, समरो बाई बैगा, चिररी बाई बैगा, राजकुमार सिन्हा, विवेक पवार, बालाघाट सामाजिक कार्यकर्ता द्रोप किशोर मरावी, मंशा राम मरावी, भुवन कोर्राम, उपाध्यक्ष जनपद पंचायत नारायणगंज इंजी.भूपेन्द्र वरकड़े, सन्तूलाल मरावी, सेवाराम पन्द्रों सहित बड़े संख्या में सामाजिक कार्यकर्ता उपस्थित रहे।



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