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क्रांतिवीर कंगला मांझी ने राष्ट्र के प्रति पूर्णत: समर्पित होकर आदिवासी समाज को एकता का पाठ पढ़ाया-सुश्री अनुसूईया उइके

क्रांतिवीर कंगला मांझी ने राष्ट्र के प्रति पूर्णत: समर्पित होकर आदिवासी समाज को एकता का पाठ पढ़ाया-सुश्री अनुसूईया उइके

्पहली बार किसी राज्यपाल ने जाकर क्रांतिवीर कंगला मांझी की समाधी स्थल पर सर झुकाकर की श्रद्धांजलि अर्पित 

राज्यपाल ने कहा कि हमें सभी धर्मों का करना चाहिये सम्मान 

देश के अन्य प्रांतों से भी आए, मांझी सरकार के सैनिक और आस्था रखने वाले प्रबुद्धजन


बालोद जिले के बगमार से लौटकर
दुर्गाप्रसाद ठाकुर,प्रदेश संवाददाता।
गोंडवाना समय, रायपुर/छत्तीसगढ़।

राज्यपाल सुश्री अनुसुईया उइके बालोद जिले के ग्राम बघमार में मांझी अंतर्राष्ट्रीय समाजवाद आदिवासी किसान सैनिक संस्था नई दिल्ली द्वारा आयोजित क्रांतिवीर कंगला मांझी स्मृति दिवस एवं सम्मान समारोह में शामिल हुई।


उन्होंने क्रांतिवीर कंगला मांझी के छायाचित्र पर माल्यार्पण व दीप प्रज्जवलित कर उन्हें नमन किया। समारोह में उन्होंने सम्मानित सभी प्रबुद्धजनों को शुभकामनाएं दी। 

राज्यपाल सुश्री अनुसुईया उईके ने रच दिया इतिहास 


हम आपको बता दे कि यह आजादी के बाद पहला अवसर पर है जब क्रांतिवीर कंगला मांझी के समाधी स्थल पर जाकर किसी राज्यपाल ने सर झुकाकर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित किया है। देश की आजादी में योगदान देने वाले कंगला मांझी जी की समाधी स्थल पर जाकर छत्तीसगढ़ की राज्यपाल ने आयोजित कार्यक्रम में शामिल होकर उन्हें सर झुकाकर श्रद्धांजलि अर्पित किया।

वहीं बीते वर्ष भी छत्तीसगढ़ की राज्यपाल सुश्री अनुसुईया उईके समाधी स्थल पर जाना चाहती है परंतु कोरोना काल के कारण नहीं जा पाई थी लेकिन इस वर्ष उन्होंने जनसमुदाय के बीच में आयोजित कार्यक्रम में पहुंचकर क्रांतिकारी कंगला मांझी की प्रतिमा के समक्ष सर झुकाकर श्रद्धांजलि अर्पित कर इतिहास बना दिया है। 

कंगला मांझी का स्वतंत्रता संग्राम के आंदोलन में प्रमुख योगदान रहा है


राज्यपाल सुश्री उइके ने कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि जब कभी भी विभिन्न मौकों पर किसी महत्वपूर्ण कार्यक्रम में खाकी वर्दी तथा बिल्ला-स्टार पहने वदीर्धारी सैनिकों को देखते हैं तो देखकर लोगों के मन में जिज्ञासा होती है कि वे कौन हैं, जो अनुशासित ढंग से बिना किसी अपेक्षा के कार्य कर रहे हैं। वास्तव में वे कंगला मांझी के सैनिक हैं।

इनका अनुशासन देखकर उनके प्रति सम्मान का भाव जाग उठता है और यह गर्व भी होता है कि ऐसे लोग हमारे समाज में कार्य कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि क्रांतिवीर कंगला मांझी का स्वतंत्रता संग्राम के आंदोलन में प्रमुख योगदान रहा है।

उनका जन्म कांकेर जिला स्थित ग्राम तेलावट में हुआ था। उनमें अद्भुत संगठन कौशल था। वे सामान्य परिवार से ताल्लुक रखते थे, लेकिन उनका दृष्टिकोण बड़ा व्यापक था। वे सन 1913 में स्वतंत्रता आंदोलन से जुड़े, सन 1914 में वे महात्मा गांधी से मिल चुके थे। इस दौरान वे राष्ट्रीय आंदोलन में सक्रिय भूमिका निभाते रहे। 

ये शांति और अहिंसा पर विश्वास करते थे


उन्होंने सैनिकों का एक संगठन बनाया, जिन्होंने राष्ट्रीय आंदोलन में प्रमुख भूमिका निभाई परन्तु इन सैनिकों का स्वरूप अलग था। ये शांति और अहिंसा पर विश्वास करते थे। उनकी क्षमता और योग्यता को देखते हुए  स्वतंत्रता संग्राम के महानायकों घनश्याम सिंह गुप्त, डॉ. खूबचंद बघेल, ठाकुर प्यारेलाल सिंह, विश्वनाथ तामस्कर, चंदूलाल चंद्राकर ने उन्हें भरपूर सहयोग दिया।

क्रांतिवीर कंगला मांझी राष्ट्र के प्रति पूर्णत: समर्पित थे। उन्होंने आदिवासी समाज को एकता का पाठ पढ़ाया। कंगला मांझी संपूर्ण विकास को सर्वोपरि मानते थे और राष्ट्र हित के लिए कार्य करने के लिए हमेशा तत्पर रहे। इस राष्ट्र प्रेम से ओतप्रोत महापुरूष ने 05 दिसंबर 1984 को अपने प्राण त्यागे। उनकी याद में आज हम सब एकत्र हुए हैं।

आज आजादी के 75 वें वर्ष में मनाए जा रहे अमृत महोत्सव के अवसर पर उनके साथ शहीद वीर नारायण सिंह, गुंडाधुर, गैंदसिंह जैसे महानायकों को भी नमन करते हैं। कार्यक्रम की समाप्ति पर राज्यपाल सुश्री उइके को स्मृति चिन्ह प्रदान कर सम्मानित किया गया। 

गोंडी भाषा को आठवीं सूची में जोड़ा जाना चाहिए


राज्यपाल ने कहा कि पेसा कानून को लागू करने के लिये प्रारूप तैयार किया जा रहा है। पिछले दिनों में प्रधानमंत्री जी से आग्रह किया है कि अनुसूचित क्षेत्रों में अगर बड़े उद्योग लगाते हैं तो अधिग्रहित जमीन के बदले शेयर होल्डर बनाया जाए। वहीं 22 जनजाति की मात्रात्मक त्रुटि का शीघ्र समाधान किया जाए। राज्यपाल ने कहा कि आप सभी धर्म और राष्ट्र विरोधी विघटनकारी तत्वों से सावधान रहें। उन्होंने कहा कि जनजातीय सलाहकार परिषद का अध्यक्ष गैर राजनीतिक और समाज को समझने वाला हो। गोंडी भाषा को आठवीं सूची में जोड़ा जाना चाहिए। राज्यपाल ने कहा कि हमें सभी धर्मों का सम्मान करना चाहिए।

कार्यक्रम मंच का संचालन दिनेश कुरेटी ने किया

इस अवसर पर  राज्य अनुसूचित जनजाति आयोग के सदस्य श्री नीतिन पोटाई, कामदेव कांगे, राजकुमारी, कमलेश कोमरा, बीरेंद्र मंडावी, शत्रुघन कांगे, राजू उइके, चंद्रकुमार कांगे एवं प्रशासनिक अमला कलेक्टर  जनमेजय महोबे, पुलिस अधीक्षक सदानंद कुमार,एसडीएम प्रेमलता चंदेल जनसंपर्क अधिकारी एसके चंद्राकर सहित जिले के अन्य वरिष्ठ अधिकारी, गणमान्य नागरिकगण, आयोजन समिति के सदस्य और बड़ी संख्या में लोग मौजूद रहे और कार्यक्रम मंच का संचालन दिनेश कुरेटी ने किया।

आदिवासियों के हितों के लिए मांझी सरकार का गठन किया था

बालोद जिले में कंगलामांझी सरकार के एक कार्यक्रम में शामिल होने के लिए राजधानी रायपुर से निकली राज्यपाल अनुसुईया उईके ने राजनांदगांव जिले के स्थानीय सर्किट हाउस में पहुँची और पत्रकारों से चर्चा कर बताया कि कंगला मांझी एक स्वतंत्रता सेनानी होने का दायित्व निभाते हुए आदिवासियों के हितों के लिए मांझी सरकार का गठन किया था। मांझी सरकार ने हमेशा आदिवासी वर्ग के आर्थिक और सामाजिक अधिसूचित उन्नति को लेकर संघर्ष किया, राज्यपाल ने कहा कि पेसा कानून विकास और उनके हितों की सुरक्षा के लिए कारगर साबित होगा।


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1 Comments
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  1. श्रीमान संपादक
    गोंडवाना समय
    विषय = महापरिनिर्वाण दिवस मनाने

    आज दिनांक
    6 12 2021 को एसटीएससी काउंसिल कार्यालय में श्रमिक सेवा संघ एवं एसटी/एससी काउंसिल के पदाधिकारी एवं कर्मचारियों के द्वारा परिनिर्वाण दिवस श्रद्धाजलि मनाया गया एवं संविधान के बारे में समझाया गया जिस में उपस्थित एसटी/एससी काउंसिल के संरक्षक मुकेश कुमार बट्टी एवं महेश जाटव एवं एस सी./एस. टी. सेल अधिकारी विरेन्द्र परतें जी महामंत्री सुब्रेश कुमार एवं दिनेश राजवंशी संजय रजक एवं श्रमिक सेवा संघ के राजेश जामुल कर मुकेश कुमार महामंत्री रवीश कुमार प्रकाश झारिया माझिया हेब्रोम शशिकांत यादव बसंत सतनामी धर्मेंद्र कुमार नितिन बेड़ी लाल रामकुमार तर
    पुरुषोत्तम मेहरा संजय थोराट महेंद्र एवं ईश्वर उइके आदि कर्मचारी उपस्थित रहे

    निवेदक
    मुकेश कुमार बट्टी

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