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आजाद भारत में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह के राज में संवैधानिक अधिकारों की मांग को लेकर 100 किलोमीटर पैदल चलकर मण्डला पहुंचे आदिवासी

आजाद भारत में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह के राज में संवैधानिक अधिकारों की मांग को लेकर 100 किलोमीटर पैदल चलकर मण्डला पहुंचे आदिवासी 

तिरंगा हाथ में लिये बैगा आदिवासी सगाजनों ने बिना थके, बिना हताश हुए मांदर टिमकी की थाप व अपनी परम्परा अनुसार निकाले संवैधानिक पदयात्रा 


मवई/मण्डला। गोंडवाना समय। 

आजाद भारत में मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के राज में व केंद्रीय मंत्री फग्गन सिंह कुलस्ते के संसदीय क्षेत्र में अपने संवैधानिक अधिकारों की मांग को लेकर सर्व आदिवासी सामाजिक संगठन द्वारा मवई से 4 दिसंबर को प्रारंभ की गई पदयात्रा में शामिल सैकड़ो की संख्या में बैगा आदिवासी सगाजन पदयात्रा करते हुये


बिना थके, बिना हताश हुए मांदर टिमकी की थाप के साथ अपनी परम्परा अनुसार सांस्कृतिक आयोजन, गांव-गांव में सभा के लेने के साथ अपने हक और अधिकारों की आवाज और बुलंद नारों के साथ बैगा बाहुल्य क्षेत्र मवई से सर्व आदिवासी सामाजिक संगठन में सैकड़ों आदिवासी अपने संवैधानिक हक और अधिकार के लिए तीसरे दिने के पड़ाव में लगभग 100 किलोमीटर का पैदल सफर तय करते हुये तिरंगा झण्डा हाथ में लेकर सोमवार 6 दिसंबर की देर शाम को

मण्डला मुख्यालय तक पहुंच गये है जहां पर गोंडी धर्मशाला में रात्रि विश्राम करने के बाद मण्डला कलेक्ट्रेट कार्यालय पहुंचकर संवैधानिक अधिकारों की मांग को पूरा करने की मांग करेंगे।  

पदयात्रा शुभारंभ करने के पूर्व संविधान की प्रस्तवाना पढ़ी गई


4 दिसंबर को मवई से प्रारंभ हुई संवैधानिक पद यात्रा ने मण्डला तक पहुंचने के पूर्व बीच में पड़ने वाले ग्रामों में संवैधानिक अधिकारों को लेकर जागरूकता अभियान के तहत सभाएं भी लिया। इस दौरान ग्राम औरई में पहुंचकर सभा का आयोजन किया गया। इस दौरान सभा में संविधान के प्रति एवं संवैधानिक हक अधिकारों के प्रति लोगों को जागरूक किया गया। वहीं भोजन के पश्चात सांस्कृतिक कार्यक्रम के बाद रात्रि विश्राम किया गया। वहीं सुबह फिर से पदयात्रा शुभारंभ करने के पूर्व संविधान की प्रस्तवाना पढ़ी गई और तिरंगा झंडा लेकर जिला मुख्यालय मण्डला की और बढ़ चले। 

विस्थापन तो हुआ मुआवजा की राशि भी नहीं मिलने से बैगा जनजाति के लोग हुये बेघर 


4 दिसंबर को मवई से प्रारंभ हुई संवैधानिक पद यात्रा का रास्ते में पड़ने वाले ग्रामों में स्वागत अभिनंदन किया गया। मेढ़ाताल, घोंट, अंजनिया में ग्रामीणों के द्वारा जगह जगह पर फूलमाला और हल्दी चावल का टीका लगाकर स्वागत किया गया। इसके साथ ही अंजनिया ग्राम में पदयात्रा में शामिल लोगों का स्वागत के पश्चात स्वल्पाहार भी करवाया गया एवं सभा का आयोजन किया गया। इस दौरान पदयात्रा में प्रमुख सदस्यों ने बताया कि विस्थापन जैसी गंभीर समस्या से बैगा जनजाति के लोग कैसे झूझ रहे है। यहां तक कि विस्थापन तो हुआ ही परंतु विस्थापन के तहत जो राशि मिलनी चाहिए थी वो राशि भी बहुत से परिवारों को आज तक नहीं मिल पाई जिससे वो सभी परिवार बेघर हो गए हैं 

पद यात्रा को मिला जनसमर्थन व गांव-गांव में किया गया स्वागत 

विस्थापन के लिये सरकार, शासन प्रशासन के लोग जो जिम्मेदार थे वे भी इन समस्यायों पर न तो कोई संज्ञान ले रहे है और न हीं कोई ध्यान दे रहे है। ऐसी गंभीर समस्यों को लेकर यह पदयात्रा निकाली जा रही है। ग्राम सुकतरा, पदमी में भी स्वागत एवं स्वल्पाहार करवाया गया। आम नागरिकों का समर्थन भी बढ़चढ़कर पद यात्रियों को मिल रहा है, जगह-जगह पद यात्रियों का स्वागत किया जा रहा है। पदयात्रा में समरो दाई बैगा, हरीयारो बैगा, पिक्को बाई बैगा, मुहती बाई बैगा, चिर्री बाई बैगा, बुधराम बैगा, सुन्दर लाल मार्को, चरन परते, मुन्ना मरावी, विवेक पवार, हीरा उद्दे, अशोक पट्टा, रुक्मणि सुरेश्वर, भूपेंद्र उइके, इंद्रवती धुर्वे, सुरेश पेंदो सहित अनेकों आदिवासी शामिल है। 

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