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29 शावकों को जन्म देकर विश्व रिकार्ड बनाने वाली कॉलरवाली मादा बाघ टी 15 की हुई मृत्यू

29 शावकों को जन्म देकर विश्व रिकार्ड बनाने वाली कॉलरवाली मादा बाघ टी 15 की हुई मृत्यू 

विश्वविख्यात कॉलरवाली मादा बाघ टी 15 की मृत्यू से पेंच पार्क प्रबंधन सहित विश्व वन्यप्राणी प्रेमियों में शोक की लहर व्याप्त 

पेंच में बाघों का कुनबा बढ़ाने में अपना अविस्मरणीय योगदान दिया

शव परीक्षण कर, विसरा अंगों का प्रयोगशाला अन्वेषण हेतु संग्रहण किया

सिवनी। गोंडवाना समय।

पेंच टाइगर रिजर्व, सिवनी की विश्वविख्यात मादा बाघ टी 15 जिसे स्थानीय रूप से कॉलरवाली के नाम से जाना जाता है, वह अब इस दुनिया में नहीं रही।


इससे सम्पूर्ण पार्क प्रबंधन से लेकर विश्व के वन्यप्राणी प्रेमियों में शोक की लहर व्याप्त है। 

लगभग 16.5 वर्ष की आयु पूर्ण करने के बाद हुई मृत्यू


पेंच टाईगर रिजर्व, सिवनी के अंतर्गत परिक्षेत्र कर्माझिरी के बीट कुम्भादेव के कक्ष क्रमांक 589 में कॉलरवाली बाघिन ने 15 जनवरी 2022 को सायं 6.15 बजे अंितम सांस ली। लगभग 16.5 वर्ष की आयु पूर्ण कर चुकी इस बाघिन की मृत्यु उसकी वृद्धावस्था के कारण होना पुष्ट है। पार्क प्रबंधन के वन्यप्राणी चिकित्सक द्वारा विगत एक सप्ताह से लगातार निगरानी रखी जा रही थी। मृत्यु उपरांत पार्क प्रबंधन के वन्यप्राणी चिकित्सक डॉ. अखिलेश मिश्रा एवं डॉ. अमोल रोकड़े, पशु चिकित्सक एस.डब्ल्यू.एफ.एच. (स्कूल आफ वाईल्ड लाईफ एंड फारेंसिक हेल्थ, जबलपुर) द्वारा 16 जनवरी 2022 को प्रात: एन.टी.सी.ए. के एस.ओ.पी. के अनुसार शव परीक्षण कर, विसरा अंगों का प्रयोगशाला अन्वेषण हेतु संग्रहण किया। 

 कुल आठ बार में 29 शावकों को जन्म दिया 


पेंच टाइगर रिजर्व, सिवनी को सम्पूर्ण विश्व में पहचान देने वाली बाघिन टी 15 का जन्म वर्ष 2005 के सितंबर माह में उस समय की विख्यात बाघिन बड़ी मादा से हुआ था। आगे चलकर बड़ी मादा की मृत्यु के पश्चात कॉलरवाली ने अपनी मां की विरासत को गौरवपूर्ण तरीके से आगे बढ़ाया। कॉलरवाली बाघिन ने मई 2008 से दिसम्बर 2018 के मध्य कुल आठ बार में 29 शावकों को जन्म दिया और पेंच में बाघों का कुनबा बढ़ाने में अपना अविस्मरणीय योगदान दिया।

29 शावको में से 25 शावकों को जीवित रख पाना अभूतपूर्व कीर्तिमान 

एक बाघिन का अपने जीवन काल में 29 शावकों को जन्म देना एक विश्व रिकार्ड है एवं 29 शावको में से 25 शावकों को जन्म पश्चात एक बाघिन द्वारा जीवित रख पाना भी अपने आप में अभूतपूर्व कीर्तिमान है। कॉलरवाली बाघिन ने मई 2008 में प्रथम बार में तीन शावकों को, अक्टूबर 2008 में चार शावकों को, अक्टूबर 2010 में पांच शावकों को, मई 2012 में तीन शावकों को, अक्टूबर 2013 में तीन शावकों को अप्रेल 2015 में चार शावकों को, 2017 में तीन शावकों को एवं दिसम्बर 2018 में चार शावकों को जन्म दिया था। 

संतान के रूप में पाटदेव बाघिन (टी 4) अपने पांच शावकों के साथ पार्क की बढ़ा रही शोभा 

वर्तमान में पाटदेव बाघिन (टी 4) जो कि अपने पांच शावकों के साथ पार्क की शोभा बढ़ा रही है। वह कॉलरवाली बाघिन की ही संतान है पार्क प्रबंधन को पूर्ण विश्वास है कि यह बाघिन शीघ्र ही अपनी मॉ का स्थान लेकर कॉलरवाली की विरासत को आगे बढ़ाऐगी।   

शांताबाई सरयाम ने श्रद्धांजलि देते हुए विश्व प्रसिद्ध बाघिन कॉलरवाली को मुखाग्नि दी

टी 15 कॉलरवाली बाघिन की मृत्यु की सूचना प्राप्त होने पर तत्काल वरिष्ठ अधिकारियों को सूचित किया गया। एन.टी.सी.ए. के द्वारा निर्धारित एस.ओ.पी. के अनुसार सम्पूर्ण कार्यवाही की गई एवं उपरोक्त कार्यवाही में क्षेत्र संचालक श्री अशोक मिश्रा, उप संचालक श्री अधर गुप्ता, सहायक वन संरक्षक श्री बी.पी.पी.तिवारी, परिक्षेत्र अधिकारी श्री आशीष खोब्रागड़े, एन.टी.सी.ए. के प्रतिनिधि श्री विकृांत जठार, श्री राजेश भेण्डारकर, जिला पंचायत सदस्य श्री रामगोपाल जयसवाल,  पार्क प्रबंधन के पंजीकृत गाईड एवं रिसोर्ट प्रतिनिधि उपस्थित रहे। ईको विकास समिति कर्माझिरी की अध्यक्षा श्रीमती शांताबाई सरयाम ने पेंच टाइगर रिजर्व के बफर क्षेत्र में रहने वाले समस्त नागरिकों की ओर से श्रद्धांजलि देते हुए विश्व प्रसिद्ध बाघिन कॉलरवाली को मुखाग्नि दी।


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