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छिंदवाड़ा जिले में आदिवासी महिला स्वास्थ्य कर्मचारियों का शोषण कर रहे विभागीय अधिकारी कर्मचारी

छिंदवाड़ा जिले में आदिवासी महिला स्वास्थ्य कर्मचारियों का शोषण कर रहे विभागीय अधिकारी कर्मचारी 

कोयतोड़ गोंडवाना महासभा द्वारा राष्ट्रपति के नाम कलेक्टर को सौंपा ज्ञापन  


छिंदवाड़ा। गोंडवाना समय।

स्वास्थ्य विभाग में कार्यरत आदिवासी महिला कर्मचारियों को मानसिक एवं आर्थिक रूप से प्रताड़ित करने वाले दोषी को अधिकारी/कर्मचारियों के विरोध में आवश्यक कार्यवाही करने के लिए कोयतोड़ गोंडवाना महासभा छिंदवाड़ा ने जिला कार्यालय कलेक्टर कार्यालय छिंदवाड़ा पहुंचकर महामहिम राष्ट्रपति के नाम से ज्ञापन सौंपा। 

11 दिसंबर 1997 के स्थान पर दुर्भावनावश अप्रैल 2001 कर कर दी गई है नियुक्ति दिनांक 

कोयतोड़ गोंडवाना महासभा के जिला अध्यक्ष ठाकुर पहलाद सिंह कुसरे ने बताया कि छिंदवाड़ा जिले के स्वास्थ विभाग में कार्यालय अधिकारी/कर्मचारी द्वारा अनावश्यक ही आदिवासी महिला स्वास्थ्य कर्मचारियों को जानबूझकर मानसिक रूप से परेशान किया जा रहा है एवं की नियुक्ति से छेड़छाड़ करना, वेतन कम देना तथा पूर्वग्रह से ग्रस्त होकर लापरवाही की जा रही। आदिवासी महिला स्वास्थ्य कर्मचारियों के साथ में अधिकारी कर्मचारी के द्वारा छिंदवाड़ा जिले के स्वास्थ्य विभाग में 60 महिला कर्मचारियों की नियुक्ति दिनांक 11 दिसंबर 1997 के स्थान पर दुर्भावनावश अप्रैल 2001 कर कर दी गई है जिससे उनके वेतन में भारी आर्थिक हानि हो रही है। 

अन्य वर्गों को दिया जा रहा शासन के आदेश अनुसार पूरा वेतन 

इसके साथ ही स्वस्थ्य विभाग के अधिकारियों/कर्मचारियों के द्वारा आदिवासी महिला कर्मचारियों का अप्रैल 2001 की नियुक्ति का वेतन भी पुरा न दिया जाकर कम दिया जा रहा है वहीं दूसरी और शासन द्वारा स्वीकृत अभी पूरा वेतन नहीं दिया गया है, वहीं दूसरी ओर अन्य वर्ग के कर्मचारियों को उन्हीं शासनादेशों के तहत पूरा वेतन दिया जा रहा है। इन आदिवासी महिला कर्मचारियों की सेवा 20 वर्ष पूर्ण होने पर बावजूद आज दिनांक तक दूसरे समय मान वेतनमान की पात्रता से वंचित कर दिया गया है। 

शशिकला मसराम को सेवानिवृत्ति के बाद भी नहीं किया जा रहा देयकों का भुगतान 


स्वास्थ्य विभाग में कार्यालय आदिवासी महिला कर्मचारी श्रीमती शशि कला मसराम सेक्टर सुपरवाइजर के पद से 30 अगस्त 2016 को सेवानिवृत्त होने के बाद आज दिनांक तक इन्हे किसी प्रकार के देयको का भुगतान, पेंशन, ग्रेजुएटी की राशि नहीं दी गई है एवं उनका वेतन कनिष्क कर्मचारी ए.एन.एम. का निर्धारण कर दिया गया तथा उसी समय में 4,85.000/- (चार लाख पच्चायासी हजार रुपये) की रिकवरी इन के ऊपर निकाल दी गई जो के नियम के विरुद्ध है जबकि उक्त आदिवासी महिला कर्मचारी सेक्टर सुपरवाइजर के पद एवं वेतनमान से सेवानिवृत्त हुई है न कि ए.एन.एम. के पद से हुई है। 

आदिवासी महिला कर्मचारी ललिता ठाकुर का किया आर्थिक शोषण 


दूसरी आदिवासी महिला कर्मचारी ललिता ठाकुर जो कि खंड विस्तार प्रशिक्षक के पद पर कार्यरत है। इनका वेतन 24 दिसंबर 2019 को मूल वेतन 38,600/-, इसके बाद 1 सितंबर 2020 को 37,500 /- थी। इसमें भी एक इंक्रीमेंट कम कर दिया गया तथा 1 दिसंबर 2020 को दो इंक्रीमेंट और काम करते हुए 35,300 /-रुपए कर दिया गया है। जबकि वर्ष 2019 के हिसाब से इनको वेतन 2020 में 39,800/- तथा 2021 में 41,000 /- होना था। इनको सातवें वेतनमान की किस्तों में से भी एक किस्तो के एरियर्स भुगतान आज दिनांक तक नहीं किया गया है ।

शंकर सिंह ठाकुर का दुर्भावनापूर्वक किया निलंबन 


सौंसर की विकासखंड की पांच महिला कर्मचारियों को माह सितंबर 2020 को 35,000/- के स्थान पर मात्र 3500/- का भुगतान किया गया जो कि आज दिनांक इन कर्मचारियों को अप्राप्त है। इसी तरह स्वास्थ विभाग में कार्यरत श्री शंकर सिंह ठाकुर बहुउद्देशीय स्वास्थ्य कार्यकर्ता को बिना सुने उन्हें तत्काल प्रभाव से दुर्भावनावस निलंबन कर दिया गया है, जो कि उचित नहीं है। श्री शंकर सिंह ने कर्मचारी यूनियन में पदाधिकारी भी हैं। अत: श्री शंकर सिंह को तत्काल बहाल किया जावे। 

कार्यवाही नहीं हुई तो कोयतोड़ गोंडवाना महासभा जिला चिकित्सालय के सामने उग्र आंदोलन करेगी


स्वस्थ विभाग छिंदवाड़ा में कार्यरत आदिवासी महिला कर्मचारियों के साथ भेदभाव पूर्ण व्यवहार किया जा रहा है, इसकी घोर निंदा करते हैं और मांग करते है कि विभाग में कार्यरत इन महिला कर्मचारियों से हुई भारी आर्थिक क्षतिपूर्ति के लिए इसमें दोषी अधिकारी या कर्मचारियों से इसकी भरपाई कराए जावे। ऐसे अधिकारी या कर्मचारी के विरुद्ध कड़ी से कड़ी कार्रवाई की जावे नही तो कोयतोड़ गोंडवाना महासभा जिला चिकित्सालय के सामने उग्र आंदोलन करेगी। इसके साथ ही आदिवासियों के लिए हमेशा तत्पर्य एवं आदिवासी समाज के साथ हर दुख में कंधे से कंधे मिलाकर उनके  हक अधिकार के लड़ाई लड़ने वाले समाज सेवक पी. एस. कुशरे ने बताया कि जिस प्रकार स्वास्थ्य विभाग में भेदभाव पूर्ण होती है वैसे अन्य विभाग में आदिवासियों के साथ भेदभाव होती रहते है। 


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1 Comments
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  1. उपरोक्त स्वास्थ्य कर्मचारियों के साथ जो भी अधिकारी इस तरह की दुरब्यवाहर किया है उन्हें कठोर दण्ड दिया जाय और सभी कर्मचारियों को मानहानि दिलवाया जाय।

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