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बेसक शराब, शिवराज सरकार का खजाना भरेगी लेकिन समाजिक व सांस्कृतिक पतन भी बेहिसाब बढ़ेगा

बेसक शराब, शिवराज सरकार का खजाना भरेगी लेकिन समाजिक व सांस्कृतिक पतन भी बेहिसाब बढ़ेगा 

आजादी के बाद कोई भी सरकार और सलाह देने वाले अर्थशास्त्री शराब का विकल्प नहीं तलाश पाये 

विशेष संपादकीय
विवेक डेहरिया, संपादक

आखिर अब तक शराब से किस समाज, किस परिवार का और किस व्यक्ति का विकास हुआ है, या शराब ने अब तक कितने परिवारों को उजाड़ा है, शराब ने कितने व्यक्तियों की जिंदगी छीना है, शराब के कारण अनैतिक कृत्य कितने बढ़े है और कितनी आपराधिक गतिविधियों को बढ़ावा दे रही है। शराब के कारण देश हो या मध्यप्रदेश का सामाजिक व सांस्कृतिक पतन कितना ज्यादा हो रहा है।
        


इस गंभीर विषय पर विचार-मंथन की आवश्यकता शायद मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान और उनके आईएएस अफसरों व मध्यप्रदेश सरकार को आर्थिक विकास की ओर से ले जाने के लिये सलाहकार के रूप में कार्य करने वाले अर्थशास्त्रियों को जरूरत ही महसूस नहीं हो रही है।
        इसलिये मध्यप्रदेश में राजस्व का खजाना भरने के लिये शराब की बिक्री बढ़ाने के लिये व्यक्तियों की जिंदगी से खिलवाड़ करने के साथ-साथ शराब से बर्बाद होने वाले परिवारों को उजाड़ने के लिये मध्यप्रदेश राज्य मंत्रि-परिषद ने समग्र आबकारी नीति 2022-23 और हेरीटेज मदिरा नीति 2022 को अनुमोदन दे दिया है। 

शराब के अलावा आर्थिक विकास का दूसरा विकल्प क्यों नहीं खोज पाई सरकारे व अर्थशास्त्री 


देश हो मध्यप्रदेश की बात करें तो सरकार के लिये शराब ही ऐसा विकल्प है जिससे राजस्व का खजाना भरा जा सकता है या शराब की बिक्री से सरकार चल सकती है। शराब की बिक्री को कोई भी सरकार रही हो उसने इसकी बिक्री को बढ़ावा देने के लिये ही नियमों को बनाती आ रही है। वहीं सरकार को आर्थिक विकास की ओर ले जाने वाले सलाहकार के रूप में अर्थशास्त्री भी शराब से आर्थिक फायदा होने की सलाह ही देते आ रहे है।
            आखिर क्या कारण है कि शराब के अलावा कोई भी सरकार आज तक अन्य कोई दूसरा विकल्प नहीं खोज पाई है वहीं सरकार को सलाह देने वाले अर्थशास्त्री भी शराब के स्थान पर दूसरा विकल्प नहीं दे पाये है। इसका मतलब साफ है कि सरकार और उनके सलाहकार अर्थशास्त्री देश व मध्यप्रदेश में समााजिक व सांस्कृतिक पतन को लेकर चिंतित नहीं है। 

बर्बाद हो गये कई परिवार, उजड़ गई कई जिंदगी, बढ़ रही आपराधिक घटनायें

शराब से भले ही सरकार का राजस्व का खजाना भरता होगा लेकिन शराब के कारण होने वाले दुष्पिरिणामों की लिस्ट बहुत बड़ी है। शराब के कारण पहले भी अनेक परिवार अनावश्यक बिना कारण के ही होने वाले वाद-विवादों के कारण बर्बाद हो गये है, वर्तमान व भविष्य में भी यह स्थिति और भी गंभीर रूप धारण करेगी। वहीं शराब पीने से होने वाली बीमारियों, दुघर्टनायें, वाद-विवाद होने के कारण अनेकों व्यक्तियों की जिंदगी को छीनने का कारण बनी है और आगे भी प्रमुख कारण होगी इसमें कोई संदेह नहीं है।
            इसके साथ ही देश में अनैतिकता, अमानवीयता की हद पार करने वाली आपराधिक घटनायें भी शराब पीने के बाद होती है। जिसके एक नहीं अनेकों प्रमाण मिल सकते है। शराब के कारण देश में सर्वाधिक हिंसा व आपराधिक घटनायें महिलाओं, बेटियों सहित कम उम्र की बालिकाओं के साथ जिम्मेदार होती है इसके अनेकों चिंतनीय मामले प्रमाणित है। शराब के दुष्परिणामों के ऐसे अनेकों कारण है जिससे समाजिक व सांस्कृतिक पतन तेज गति से हो रहा है। 

शिवराज सरकार की शराब की बिक्री बढ़ाने के लिये ये है नई योजना

मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान की अध्यक्षता में बीते दिनों राज्य मंत्रि-परिषद ने समग्र आबकारी नीति 2022-23 और हेरीटेज मदिरा नीति 2022 को अनुमोदन दे दिया है। इसमें गैर-कानूनी एवं अमानक शराब निर्माण, परिवहन, भंडारण और विक्रय पर प्रभावी नियंत्रण हो सकेगा। जिसमें नई आबकारी व्यवस्था के तहत मुख्य बिन्दुओं में मदिरा की फुटकर विक्रय दरों में लगभग 20 प्रतिशत की कमी लाकर व्यावहारिक स्तर पर लाया जा सकेगा।
        सभी जिलों की देशी/विदेशी मदिरा दुकानों का निष्पादन छोटे एकल समूहों के अनुरूप किया जा सकेगा। इसके साथ ही समस्त मदिरा दुकानें कम्पोजिट शाप होंगी, जिससे अवैध मदिरा विक्रय की स्थितियां नहीं बनेंगी। वहीं कलेक्टर एवं जिलो के विधायकगण की उच्च स्तरीय जिला समिति को उनके जिले की स्थानीय आवश्यकताओं के अनुरूप मदिरा दुकानों के अनुरूप भौगोलिक दृष्टि से स्थान परिवर्तन कर अधिकार होगा।                 प्रदेश के किसानों द्वारा उत्पादित अंगूर का उपयोग कर प्रदेश में बनी वाइन पर डयूटी नहीं होगी।देशी मदिरा प्रदाय व्यवस्था में प्रदेश के असवकों के मध्य जिलेवार निविदा बुलाई जा सकेगी। इस साल टेट्रा पैकिंग की दर भी बुलाई जा सकेगी। राजस्व की क्षति रोकने के लिये ई-आबकारी व्यवस्था लागू होगी। इसमें मदिरा का ट्रेक एंड ट्रेस, क्यूआर कोड स्कैनिंग, वैधता का परीक्षण आसान होगा।

मध्यप्रदेश सरकार की ये है हेरिटेज मदिरा नीति 

हम आपको बता दे कि मध्यप्रदेश सरकार प्रदेश में शराब की बिक्री बढ़ाने के लिये हैरिटेज मदिरा नीति को अनुमोदन किया है। जिसमें महुआ फूल से बनी मदिरा की पायलट परियोजना की अनुमति दी गई है। इसके बाद इसे मंत्रीमंडल की उप समिति के सामने प्रस्तुत किया जायेगा। वहीं वर्ष 2022-23 में नये बार लाइसेंस की स्वीकृति शासन द्वारा निर्धारित मापदंडों के अनुरूप कलेक्टर स्तर से ही की जायेगी।
         पर्यटन की दृष्टि से महत्वपूर्ण स्थलों पर इको टूरिज्म बोर्ड द्वारा संचालित इकाइयों, पर्यटन विकास निगम की अस्थाई स्वरूप की इकाइयों को रियायती दरों, सरल प्रक्रियाओं/मापदंडों के आधार पर बार लाइसेंस दिये जा सकेंगे। इसके साथ ही सभी एयर पोर्ट पर विदेशी मदिरा विक्रय काउंटर खोला जा सकेगा। वहीं इंदौर, भोपाल, जबलपुर, ग्वालियर  में चयनित सुपर मार्केट में फिक्स लाइसेंस फीस पर वाइन विक्रय के काउंटर संचालित करने के लिये लाइसेंस जारी किये जा सकेंगे।
        इंदौर और भोपाल में माइक्रो बेवरीज खोलने की अनुमति दी जायेगी लेकिन पर्यावरण, विदयुत विभागों और नगर निगम का अनापत्ति प्रमाण पत्र जरूरी होगा। मदिरा आयात की प्रक्रिया को सरल बनाया जा सकेगा। वहीं होम बार लाइसेंस दिया जा सकेगा जिसके लिये 50 हजार रुपए वार्षिक लाइसेंस फीस होगी। इसकी पात्रता उन्ही को होगी जिनकी सकल व्यक्तिगत आय न्यूनतम एक करोड़ हो।


विशेष संपादकीय
विवेक डेहरिया, संपादक

 


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