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जीवन व प्रकृतिवादी व्यवस्था को बचाये रखने के लिये हमें कोया पुनेम संस्कृति को अपने जीवन में अमल करना पड़ेगा-देवरावेन भलावी

जीवन व प्रकृतिवादी व्यवस्था को बचाये रखने के लिये हमें कोया पुनेम संस्कृति को अपने जीवन में अमल करना पड़ेगा-देवरावेन भलावी 

कोयापुनेम कार्यक्रम में केवलारी-कपरवाड़ी जिला छिंदवाड़ा में पुनेमाचार्य शंकर शाह इरपाची ने प्रकृतिवादी संस्कृति का दिया संदेश 

छिंदवाड़ा। गोंडवाना समय। 

कोयापुनेम केवलारी-कपरवाड़ी जिला छिंदवाड़ा में कोयापुनेम कार्यक्रम पुनेमाचार्य शंकर शाह इरपाची द्वारा दिये गये संदेशों के साथ आयोजित हुआ।


छिंदवाड़ा जिले के केवलारी-कपरवाड़ी कोया पुनेम कार्यक्रम में ग्रामीण अंचलों से दूरदराज से सभी वर्गों के ग्रामवासी बड़ी संख्या में प्रतिदिन इस प्रकृति को संचालित करने वाली कोया पुनेमी शक्ति और विचार को पुनेमाचार्य शंकर शाह इरपाची जी के संदेशों के माध्यम से समझा जाना। 

कोयापुनेम की विशेषता को गीत-संगीत के माध्यम से गाकर समझाया 

पुनेमाचार्य शंकरशाह इरपाची द्वारा विभिन्न प्रकार के प्रमाणित तथ्यों व गीत संगीत के माध्यम से प्रकृति का संतुलन बनाने हेतु इस विज्ञान के मार्ग को सभी मानव जीव जंतुओं को चलाने वाली प्रकृति की संरचना और क्रियाकलाप के संबंध में सविस्तार से सभी को संदेशनात्मक जानकारी देते हुये अगवत कराया। जीव जगत की प्रकृित वादी संस्कृति जिसे कोया सगाजन भूल कर भ्रम और उलझाने वाली संस्कृति में फंस रहे थे, उसे अपने गीत-संगीत के माध्यम से गाकर समझाया।

प्राकृतिक सौंदर्य को बरकरार रखने के लिए हमें कोया पुनेम को अनुसरण करना पड़ेगा 


कोयापुनेम कार्यक्रम को करने वाले सभी युवा शक्ति ग्रामवासी ने बहुत मेहनत करके आर्थिक राशि को जनसहयोग से एकत्रित करते हुये सदुपयोग किया ताकि सही जानकारी प्रकृतिवादी संस्कृति और इतिहास को पूरी दुनिया के सामने रखने के लिये पुनेमाचार्य शंकर शाह इरपाची जी के माध्यम से मिल सके।
            इस कोया पुनेम के माध्यम से आने वाले  400-500 साल बाद के हालात को समझने को मिला कि कैसे आने वाले इन सैकड़ों सालों बाद हमारे आने वाली पीढ़ी को क्या जल, जंगल, जमीन के अंदर का दर्शन हो पाएगा ?
        क्या आने वाले समय में भी यह प्राकृतिक सौंदर्य से ही बरकरार रहेगा ? क्या आने वाले समय में प्रकृति का वातावरण और प्रकृति का यह चक्र का संतुलन बना रहेगा ? क्या आने वाले समय में आज बढ़िया खेती किसानी जो हो रही है ऐसी खेती किसानी होगी ? 
             क्या आने वाले समय में प्रकृति का विकराल रूप देखने को तो नहीं मिलेगा। इन तमाम विषयों को लेकर गोंडवाना स्टूडेंट यूनियन के वक्ताओं ने अपने विचार रखे और बताया कि आने वाले समय में आज जैसे प्राकृतिक चक्र और वातावरण अगर देखना चाहते हो तो अपने जीवन में इस कोया पुनेम के हर एक विचार को अपने जीवन में अमल करना पड़ेगा।
         क्योंकि कई सरकार आती है जाती है लेकिन वह प्रकृति के संतुलन बनाने को लेकर किसी भी प्रकार से कोई भी न कानून बनाती है ना इस हेतु खासा ध्यान देती है आने वाली पीढ़ी तक प्राकृतिक सौंदर्य को बरकरार रखने के लिए हमें कोया पुनेम को अनुसरण करना पड़ेगा। इस बात को सभी ग्राम वासियों को गहराई से गोंडवाना छात्र संगठन के युवा शक्तियों ने समझाया।

पूंजीपति सरकार बनाकर प्रकृति के साथ बेहिसाब कर छेड़छाड़-देवरावेन भलावी 


इस प्रकृति का दोहन करने वाले पूंजीपति चुनावी चंदा देकर अपने विधायक, सांसद और मुख्यमंत्री व प्रधानमंत्री बनाने का मंसूबे को पूरा कर सरकार बनवा लेते है। वहीं सरकार भी पूंजीपति के इशारे पर चलकर पूंजीपतियों के प्राकृतिक विदोहन करने वाली नीतियों को लागू करते है जिससे पूंजीपति अरबपति व खरबपति बन रहे है इसके लिये वे प्रकृति के साथ बेहिसाब छेड़छाड़ करते है।
            अमीर नेता और पूंजीपति मंगल ग्रह में अपने लिए जमीन खरीद रहे हैं वह तो अपने परिवार के साथ वहां जाकर बस जाएंगे लेकिन हम सब ग्रामवासी सामान्य जीवन जीने वाले लोग हमें इसी पृथ्वी में हमारी आने वाली पीढ़ी को सुरक्षित रखना है तो हमें ही प्रकृति का संरक्षण संवर्धन करना ही पड़ेगा। प्रकृति का संतुलन को बरकरार रखने के लिए हमें कोया पुनेम और आदिवासियों की संस्कृति को अपनाना पड़ेगा। इस बात को सभी जन समुदाय के बीच में देवरावेन भलावी ने रखा।

कोयापुनेम के अमूल्य विचारों को अनुसरण करने के विभिन्न पहलुओं को सगाजनों ने समझा 


कोयापुनेम कार्यक्रम में गोंडवाना स्टूडेंट यूनियन के ग्रामीण पदाधिकारी भारी संख्या में उपस्थित हुए और सभी बुद्धिजीवी जनों ने कार्यक्रम के अंत में अपने विचार साझा किए, जिन्हें कोयापुनेम कार्यक्रम में मौजूद सगाजनों ने सविस्तार से सुना। प्रकृति के सम्मत जीवन जीने के तमाम तरीके से रूबरू हुए कोया पुनेम कार्यक्रम के माध्यम से अपने जीवन  में अमूल्य विचार अनुसरण करने के विभिन्न पहलुओं को समझा और अपने अपने परिवार समुदाय को इस कार्यक्रम के महत्वपूर्ण बातें को अमल करने और अमल करवाने हेतु प्रतिज्ञा लेकर अपने घर की ओर पहुंचे। 

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