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झाबुआ पॉवर प्लांट, आदिवासियों, मानव जीवन, पशुओं, खेती-किसानी, पानी के लिये बनता जा रहा धीमा जहर

झाबुआ पॉवर प्लांट, आदिवासियों, मानव जीवन, पशुओं, खेती-किसानी, पानी के लिये बनता जा रहा धीमा जहर 

आदिवासियों पर सबसे ज्यादा अन्याय, अत्याचार, शोषण कर रहे झाबुआ पॉवर प्लांट प्रबंधन के जिम्मेदार व ठेकेदार 

केंद्र व राज्य सरकार ही नतमस्तक तो जिला व स्थानीय प्रशासन कैसे करेगा कार्यवाही की हिम्मत 

झाबुआ पॉवर प्लांट क्षेत्रिय जनप्रतिनिधियों, राजनैतिक दलों के लिये दुधारू गाय से कम नहीं 


विवेक डेहरिया, संपादक की विशेष रिपोर्ट
सिवनी/घंसौर। गोंडवाना समय। 

पांचवी अनुसूचित क्षेत्र घंसौर ब्लॉक में स्थित झाबुआ पॉवर प्लांट उद्योगपति और सरकार के लिये भले ही फायदेमंद हो लेकिन क्षेत्रिय निवासरत मानव के लिये धीमा जहर से कम नहीं है।
        


मानव जीवन को खतरे में डालकर, प्रकृति व पर्यावरण को नुकसान पहुंचाते हुये झाबुआ पॉवर प्लांट के मालिक और इससे लाभ कमाने वाले सत्ताधारी और क्षेत्रिय राजनैतिक दलों के नेताओं की जेबे व तिजोरी भरने का कार्य प्रगति पर है। झाबुआ पॉवर प्लांट द्वारा सीएसआर को लेकर किये गये वायदे भी झूठे साबित हो रहे है न तो क्षेत्रिय लोगों को रोजगार मिल पा रहा है और जिन्हें रोजगार मिला भी है तो उन्हें मेहतन की मजदूरी वेतन के लिये संघर्ष करना पड़ता है यानि श्रमिकों व कर्मचारियों का शोषण भी यथावत जारी है।
                

वहीं जब सरकार, शासन ही झाबुआ पॉवर प्लांट के आगे नतमस्तक है तो जिला व स्थानीय प्रशासन कैसे झाबुआ पॉवर प्लांट प्रबंधन व वहां लाभ कमाने वाले ठेकेदारों की मनमानी पर रोक लगाने की हिम्मत कर सकते है। कुल मिलाकर पांचवी अनुसूचि क्षेत्र घंसौर ब्लॉक में स्थित झाबुआ पॉवर प्लांट प्रबंधन व ठेकेदारों के शोषण, अन्याय, अत्याचार, मनमानी का सबसे ज्यादा शिकार आदिवासी समुदाय के साथ साथ अन्य वर्गों को भी सहन करते हुये ही अपना जीवन यापन करना पड़ेगा।
            

घंसौर ब्लॉक में स्थित झाबुआ पॉवर प्लांट क्षेत्रीय जल, वायु, खेती के साथ साथ मानव जीवन के लिये धीमा जहर उगलकर खतरनाक बनता जा रहा है। जिसे गोंडवाना समय की विशेष रिपोर्ट में पाठकगण समझ सकते है। 

झाबुआ पॉवर प्लांट की धुआं व राख खेत व पानी में मिल रही 


घंसौर ब्लॉक में स्थित झाबुआ पॉवर प्लांट में विद्युत निर्माण के लिये उपयोग किये जाने वाली सामग्री का चिमनी से निकलने वाला धुआं आसपास के ग्रामीणजनों के लिये वायु के साथ मिलकर मानव के लिये खतरा बनता जा रहा है। प्लांट से निकलने वाली राख भी उड़कर क्षेत्रिय ग्रामीणों के खेतों में फसलों को नुकसान पहुंचा रही है।
                

खेतों में फसलों के ऊपर अलग ही राख बिछी हुई दिखाई देती है जो कि ग्रामीणों व किसानों को दिखाई देती है लेकिन जिम्मेदार प्रशासन के अधिकारियों को भर दिखाई नहीं देती है। फसलों का उत्पादन क्षेत्रिय ग्रामीणों का कम हो गया है।

क्षेत्रिय किसान जब अपने खेत में फसल उत्पादन के कार्य से जाते है तो लौटते समय निशानी के रूप में पैरों में लगी हुई राख को निशानी के तौर पर अपने घरों तक लाते है।
                क्षेत्रिय किसानों को फसल उत्पादन में हो रहे नुकसान को लेकर वे अपनी समस्या को किसी से बताना भी अब उचित नहीं समझते है क्योंकि झाबुआ पॉवर प्लांट के संबंध में कोई भी शिकायत की सुनवाई स्थानीय प्रशासन और न ही जिला प्रशासन के द्वारा की जाती है। 

जलस्तर हो रहा कम, हैंडपंप का निकल रहा दम 


हम आपको बता दे कि जब से झाबुआ पॉवर प्लांट का कार्य प्रारंभ हुआ है, उसके बाद प्लांट निर्माण स्थल क्षेत्र के आसपास के ग्रामीणों को पेयजल की समस्याओं का सामना भी करना पड़ रहा है। प्लांट क्षेत्र में पानी का जलस्तर कम होता जा रहा है एवं हैंडपंप का दम निकलता जा रहा है।
            हैंडपंप सूखते जा रहे है, उनमें पानी निकलना कम हो गया है। झाबुआ पॉवर प्लांट के मालिक व उससे लाभ कमाने वाले धन दौलत कमा रहे है लेकिन प्लांट क्षेत्र के ग्रामीण पेयजल को तरस रहे है। खुले में पानी प्लांट से निकलने वाली राख के कारण प्रदुषित हो गया है जिसे ग्रामीणजन अब पेयजल के लिये उपयोग भी नहीं कर सकते है। 

प्रदुषित तालाब, नाले का पानी मजबूरी में कर रहे उपयोग 


झाबुआ पॉवर प्लांट से निकलने वाला धुआं हो या राख जो मानव जीवन के लिये धीमा जहर के रूप में खतरा साबित हो रही है। वहीं पॉवर प्लांट क्षेत्र के आसपास जल को प्रदुषित करने में भूमिका निभा रहे है।
         

ग्रामीणों के निस्तार के लिये छोटे तालाब-तलैया, कुंआ, नाला हो या पॉवर प्लांट का निकलने वाला अनुपयोगी पानी के रूप में बहने वाला नाला का पानी उपयोग ग्रामीणजन मजबूरी में कर रहे है।
                

वहीं पशुओं के लिये हानिकारक होता जा रहा है। पशुओं को राखयुक्त पानी पीना पड़ रहा है। वहीं क्षेत्रिय ग्रामीणजन निस्तार के लिये राखयुक्त पानी का उपयोग कर रहे है। 

बिनैकी रेलवे स्टेशन में कोयले का डस्ट ही डस्ट दिखाई देता है


झाबुआ पॉवर प्लांट के लिये आने वाला कोयला की डस्ट पूरे स्टेशन क्षेत्र में दिखाई देती है। रेलवे स्टेशन पर मौजूद मानव के लिये कोयले से निकलने वाला डस्ट नुकसानदेह साबित हो रहा है। झाबुआ पॉवर प्लांट मालिक के लिये तो यह फायदेमंद साबित हो रहा है। बिनैकी रेलवे स्टेशन की फोटोग्राफस को देखकर ही अंदाजा लगाया जा सकता है कि वहां पर उड़ने वाला डस्ट मानव जीवन के लिये कितना नुकसानदेह है। 

क्षेत्रिय राजनैतिक दलों, जनप्रतिनिधियों व पर्यावरण प्रदुषण बोर्ड की मौन स्वीकृति 

झाबुआ पॉवर प्लांट प्रबंधन व वहां पर लाभ कमाने वाले ठेकेदारों की मनमानी, मानव जीवन के लिये धीमा जहर की व्यवस्था करने वाली कार्यप्रणाली पर क्षेत्रिय राजनैतिक दलों, क्षेत्रिय जनप्रतिनिधियों के साथ साथ पर्यावरण प्रदुषण बोर्ड की मौन स्वीकृति मिली हुई है।
                नियम विरूद्ध कार्यकलापों, मानव जीवन के लिये खतरा बन रहे झाबुआ पॉवर प्लांट की कार्यप्रणाली पर घंसौर ब्लॉक के वे राजनैतिक दल जो देश के विभिन्न मुद्दों व घंसौर ब्लॉक की छोटी छोटी बातों पर धरना, प्रदर्शन करते हुये ज्ञापन, भूख हड़ताल करने पर उतारू हो जाते है, उनके द्वारा झाबुआ पॉवर प्लांट व लाभ कमाने वाले ठेकेदारों के विरोध में धरना, प्रदर्शन करना तो छोड़ मुंह तक नहीं खोल पाते है आखिर इसके पीछे क्या राज और लाभ है ये तो घंसौर ब्लॉक के सभी राजनैतिक दलों के नेतागण और क्षेत्रिय जनप्रतिनिधि ही जानते है। वहीं पर्यावरण प्रदुषण बोर्ड की मौन स्वीकृति झाबुआ पॉवर प्लांट को प्रदुषण फैलाने के लिये मिली हुई है। 

आदिवासियों व ग्रामीणों के जीवन से खिलवाड़ कर डस्ट डंप का करोड़ों का ठेका लेकर कमा रहे लाभ


झाबुआ पॉवर प्लांट से निकलने वाले अनुपयोगी व मानव जीवन के लिये किसी भी तरह से नुकसान पहुंचाने वाले डस्ट व सामग्री को प्लांट से बाहर फैंकने के लिये झाबुआ पॉवर प्लांट प्रबंधन ने ठेका देकर अपनी जिम्मेदारी पूरी कर लिया है।
            वहीं करोड़ों रूपये का ठेका लेकर लाभ कमाने के लिये ठेकेदार ने भी ठेका लेकर झाबुआ पॉवर प्लांट के पास जहां मर्जी हो रही है या सीधे साधे आदिवासियों की जमीनों को छलकपट करके बिना पारिवारिक सहमति के आदिवासियों की जमीनों पर डस्ट फैंकने का काम कर रहे है।
             

जानकार बताते है कि झाबुआ पॉवर प्लांट से निकलने वाले डस्ट व अनुपयोगी सामग्री को डंप करने के लिये रहवासी इलाकों से दूर करना है ताकि मानव जीवन व पशुओं पर इसका दुष्प्रभाव न हो लेकिन डस्ट निकालकर ठेकेदार रहवासी इलाकों में ही डम्प करवा रहा है।
            इस कार्य से रोकने पर ठेकेदार के गुण्डों द्वारा आदिवासी के साथ बीते दिनों बुरी तरह से मारपीट भी की गई थी, जिसके विरोध में ग्रामीणों ने ठेकेदार के डंफर रोककर विरोध प्रदर्शन किया था। 

झाबुआ पॉवर प्लांट प्रबंधन श्रमिकों का नहीं दे पारिश्रमिक. प्रशासन भी नहीं कर रहा सुनवाई 

झाबुआ पवर प्लांट गोरखपुर घंसौर जिला सिवनी में पूर्व में कार्य कर रही महिलाओ का पीएफ की राशि कट रही थी जिनमें से अधिकांश महिलाओं को उन्हें उनकी राशि नहीं दी गई है इस संबंध में जिला प्रशासन को 100 किलोमीटर दूर से पहुंचकर अपर कलेक्टर को 27 फरवरी 2020 को आवेदन भी दिया गया था, जिसमें से कुछ ही महिलाओं को राशि मिल पाई है बाकी की समस्या जस की तस बनी हुई है।
                घंसौर ब्लॉक के ग्राम गोरखपुर ग्राम में निवासरत वे महिलाएं  जिन्होंने झाबुआ पावर प्लांट में काम किया था। जिसमें कुछ महिलाओं से 1 साल तो किसी महिलाओं से 2 साल और कुछ महिलाओं से 3 से 5 साल तक काम कराया गया है। महिलाओं के कार्य के दौरान उनकी पीएफ की राशि भी काटी गई थी जिसे झाबुआ पावर प्लांट द्वारा जिला प्रशासन को शिकायत के बाद ही कुछ महिलाओं को दिया गया है। वहीं महिलाआें को भी झाबुआ पॉवर प्लांट द्वारा निकाल दिया गया है।
                   बीते लगभग 3 साल से महिलाओं को काम नहीं दिया गया है। वहीं जब भी महिलाएं झाबुआ पॉवर प्लांट प्रबंधन से इस समस्या के संबंध में संपर्क करती है तो उन्हें यह जवाब दिया जाता है कि पैसा आपके खाते मे डाल देंगे लेकिन बैंक में पता करने पर खाते में कोई राशि झाबुआ पॉवर प्लांट प्रबंधन द्वारा अभी तक नहीं डाली गई है। जिसके कारण महिलाएं अत्याधिक परेशान है उन्होंने जिला प्रशासन से गुहार लगाई है कि उन्हें पीएफ की राशि के साथ रोजगार भी दिलाया जाये। 


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