कमल नाथ के गृह जिला व मुख्यमंत्री शिवराज की सरकार में कन्या शिक्षा परिसर की छात्राएं पढ़ने की बजाय क्यों कर रही आंदोलन ?
मध्यप्रदेश के अधिकांश कन्या शिक्षा परिसर, छात्रावासों, आश्रमों में सरकार की सुविधाओं का नहीं मिल रहा वास्तविक लाभ
जुन्नारदेव/छिंदवाड़ा। गोंडवाना समय।
जनजातिय बाहुल्य मध्यप्रदेश में शिवराज सरकार के राज में जनजाति वर्ग की छात्राओं को मध्यप्रदेश की कुछ कन्या शिक्षा परिसरों में अत्याधिक समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है।
जनजाति वर्ग की कन्या शिक्षा परिसर में सरकार ने व्यापार कर लाभ कमाने के लिये दलालों और विभागीय अधिकारियों कर्मचारियों के हवाले कर दिया है ताकि कन्या शिक्षा परिसर के लिये आने वाले बजट में सेंधमारी करते हुये आिर्थक अनियमितता करके क्षेत्रिय नेताओं व जनप्रतिनिधियों की तिजोरी भरने का जिम्मा दे दिया गया है।
मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान व भारतीय जनता पार्टी के केंद्रीय व राज्य मंत्रीगण हो मध्यप्रदेश में आयोजित कार्यक्रमों में जनजातिय वर्ग की छात्राओं की शैक्षणिक उत्थान करने का बखान जरूर करते है इसके लिये लाखों करोड़ों रूपये का बजट सरकार द्वारा दिये जाने की बात भी करते है लेकिन इस बजट का कितना लाभ वास्तविक रूप में जनजातिय वर्ग की कन्याओं का मिल रहा है इसकी धरातल पर पड़ताल नहीं की जा रही है।
जहां विभागीय अधिकारी कागजी घोड़े दौड़ा रहे है तो वहीं सरकार हवा-हवाई आंकड़ों पर ही खुश हो रही है। जनजातिय बाहुल्य मध्यप्रदेश में अधिकांश जिलों में कन्या शिक्षा परिसर हो या छात्रावास या आश्रम जिन्हें जनजातिय वर्ग के बालक-बालिकाओं के शैक्षणिक उत्थान के लिये संचालित किया जा रहा है उनमें अधिकांश कन्या शिक्षा परिसर, छात्रावास, आश्रम वहां पर तैनात प्राचार्य, अधीक्षकों, मण्डल संयोजकों व विभागीय वरिष्ठ अधिकारियों के लिये दुधारू गाय बने हुये है जितना मनमर्जी चाहो दूध निचोड़ रहे है कुल मिलाकर जनजातिय वर्ग के शैक्षणिक उत्थान के नाम पर भ्रष्टाचार और आर्थिक अनियमितता का खेल खुलेआम खेला जा रहा है। इस मामले में जनजातिय वर्ग के जनप्रितनिधियों की कहीं न कहीं मौन स्वीकृति समाज के बच्चों के अन्याय, अत्याचार, शोषण करने की मिली हुई है।
जनजाति वर्ग की कन्या शिक्षा परिसर में सरकार ने व्यापार कर लाभ कमाने के लिये दलालों और विभागीय अधिकारियों कर्मचारियों के हवाले कर दिया है ताकि कन्या शिक्षा परिसर के लिये आने वाले बजट में सेंधमारी करते हुये आिर्थक अनियमितता करके क्षेत्रिय नेताओं व जनप्रतिनिधियों की तिजोरी भरने का जिम्मा दे दिया गया है।
मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान व भारतीय जनता पार्टी के केंद्रीय व राज्य मंत्रीगण हो मध्यप्रदेश में आयोजित कार्यक्रमों में जनजातिय वर्ग की छात्राओं की शैक्षणिक उत्थान करने का बखान जरूर करते है इसके लिये लाखों करोड़ों रूपये का बजट सरकार द्वारा दिये जाने की बात भी करते है लेकिन इस बजट का कितना लाभ वास्तविक रूप में जनजातिय वर्ग की कन्याओं का मिल रहा है इसकी धरातल पर पड़ताल नहीं की जा रही है।
जहां विभागीय अधिकारी कागजी घोड़े दौड़ा रहे है तो वहीं सरकार हवा-हवाई आंकड़ों पर ही खुश हो रही है। जनजातिय बाहुल्य मध्यप्रदेश में अधिकांश जिलों में कन्या शिक्षा परिसर हो या छात्रावास या आश्रम जिन्हें जनजातिय वर्ग के बालक-बालिकाओं के शैक्षणिक उत्थान के लिये संचालित किया जा रहा है उनमें अधिकांश कन्या शिक्षा परिसर, छात्रावास, आश्रम वहां पर तैनात प्राचार्य, अधीक्षकों, मण्डल संयोजकों व विभागीय वरिष्ठ अधिकारियों के लिये दुधारू गाय बने हुये है जितना मनमर्जी चाहो दूध निचोड़ रहे है कुल मिलाकर जनजातिय वर्ग के शैक्षणिक उत्थान के नाम पर भ्रष्टाचार और आर्थिक अनियमितता का खेल खुलेआम खेला जा रहा है। इस मामले में जनजातिय वर्ग के जनप्रितनिधियों की कहीं न कहीं मौन स्वीकृति समाज के बच्चों के अन्याय, अत्याचार, शोषण करने की मिली हुई है।
शिवराज, कमलनाथ व सुनील उईके के राज में कन्या शिक्षा परिसर की छात्रायें सुविधाएं पाने हो रही मोहताज
जनजातिय बाहुल्य मध्यप्रदेश में जनजातिय बाहुल्य जिला छिंदवाड़ा राजनैतिक केंद्र बिंदु हमेशा बना रहता है क्योंकि छिंदवाड़ा जिले में विगत 40 वर्षों से श्री कमल नाथ सुरक्षित रूप में अपना राजनैतिक सियासत का सुख भोगते आ रहे है ओर इसे उन्होंने अब इसे वंशवाद के रूप में भी सुरक्षित कर अपने पुत्र को भी राजपाठ के लिये संरक्षित कर दिया है। मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री व प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष श्री कमल नाथ के गृह जिला छिंदवाड़ा में राजनैतिक सेंधमारी करने के लिये भारतीय जनता पार्टी भी हमेशा भरसक कोशिश करते रहती है लेकिन कमल नाथ के आगे हार मानकर थक चुकी हैञ।
इसके बाद भी श्री कमल नाथ व कांग्रेस को छिंदवाड़ा जिले से हराने के लिये मध्यप्रदेश में राजपाठ चला रहे मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान भी हमेशा सक्रिय रहते है और कमल नाथ व कांग्रेस को घेरने के लिये कोई मौका नहीं छोड़ते है। जनजातिय वर्ग के उत्थान, कल्याण, विकास के लिये मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान व पूर्व मुख्यमंत्री श्री कमल नाथ हमेशा कार्यक्रमों में व समाचार पत्रों के माध्यम से जनजातिय वर्ग का हितेषी बनने की बाते करते रहते है।
जनजातिय बाहुल्य जिला छिंदवाड़ा में जुन्नारदेव में स्थित कन्या शिक्षा परिसर में जनजातिय वर्ग की छात्रायें सरकार की योजनाओं व लाभ पाने के लिये मोहताज तो है ही साथ में सुविधाओं से वंचित हो रही है। इसके साथ ही क्षेत्रीय विधायक श्री सुनील उईके की गैर जिम्मेदारीपूर्वक कार्यप्रणाली के चलते भी छात्राओं का कोई सुविधा नहीं मिल रही है न ही समस्या का समाधान हो पा रहा है। यहां तक की छात्राओं का अपने हक अधिकार के लिये आदंोलन का सहारा लेना पड़ रहा है।
अखिल भारतीय गोंडवाना पार्टी युवा मोर्चा ने कन्या शिक्षा परिसर जुन्नारदेव का किया अवलोकन
अखिल भारतीय गोंडवाना पार्टी युवा प्रकोष्ठ टीम द्वारा 24 सितंबर 2022 दिन शनिवार को कन्या शिक्षा परिसर जुन्नारदेव का अवलोकन करने पहुंची। इस दौरान देखा गया कि जिन मुद्दों को लेकर छात्राओं द्वारा विगत दिनों से जो आंदोलन किया गया था यह साक्ष्य पर आधारित है जब उन्होंने अवलोकन करते हुए देखा तो हॉस्टल परिसर की जो हालत है बहुत खराब है।
इसके साथ ही जब छात्राओं से बातचीत किया गया तो बातचीत के दौरान छात्राओं ने बताया कि उन्हें समय से ना खाना मिलता है ना पानी मिलता है ना ही किसी तरह की सुविधाओं का उन्हें लाभ मिलता है। यहां तक कि उन्हें पानी पीने के लिए भी टैंकर का उपयोग करना पड़ता है। नहाने धोने के लिए भी बाल्टी में पानी लेकर जाना पड़ता है जब इस तरह की समस्याएं हमारे साथ आ रही है।
आदिवासी प्रिंसिपल और आदिवासी अधीक्षक ही चाहिए
इसके साथ ही जब बच्चे प्रिंसिपल और अधिक्षक मैडम को बुक्स के लिए कहा तो उनके अभद्रतापूर्व बात करते हुये उन्हें कहती है कि आपकी औकात क्या है ? आपकी टीसी में एक बार सिग्नेचर कर दंू तो आप कही भी पढ़ाई नही कर सकते, इस प्रकार की धमकी प्रिंसिपल के द्वारा दिया जा रहा है।
कन्या शिक्षा परिसर में छात्राओं को हो रही असुविधाओं के लिये जिम्मेदार कन्या शिक्षा परिसर की प्रिंसिपल और अधीक्षक तो है ही साथ में क्षेत्रीय जनप्रतिनिधि, विभागीय अधिकारी, सरकार, शासन प्रशासन भी है।
कन्या शिक्षा परिसद की छात्राओं ने हुंकार भरते हुए कहा कि हमें ना प्रिंसिपल चाहिए ना अधीक्षक मैडम हमें तो आदिवासी प्रिंसिपल और आदिवासी अधीक्षक ही चाहिए। बच्चों की बात सुनते ही अवलोकन करने पहुंचेअभागों युवा प्रकोष्ठ टीम ने छात्राओं को आश्वासन देते हुए कहा कि हम आपकी हर संभव मदद के लिए तैयार हैं और आप की लड़ाई के लिए हम शासन प्रशासन तक आपकी आवाज बुलन्द करेगे।
इस मौके पर अभागों युवा प्रकोष्ठ ब्लॉक अध्यक्ष जुन्नारदेव मंशाराम परतेती, पवनशाह सरयाम, साहन कुशराम, दिनेश इनवाती, चंद्रमोहन शाह कुमरे आदि अन्य सदस्य मौजूद रहे।