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प्राचार्य महेश गौतम की करतूत पर मौन क्यों है महिला संगठन और अनुसूचित जाति समाज ?

प्राचार्य महेश गौतम की करतूत पर मौन क्यों है महिला संगठन और अनुसूचित जाति समाज ?

पीड़िता व घटना के जानकारों को प्रभावित करने के लिये किसी भी हद तक जा सकते है प्राचार्य महेश गौतम 

प्राचार्य महेश गौतम राजनैतिक रसूखदारों के संरक्षण के साथ साथ विभागीय अधिकारियों के है विशेष कृपापात्र




सिवनी। गोंडवाना समय।
 

शैक्षणिक संस्थान वह भी उत्कृष्ट विद्यालय में प्राचार्य महेश गौतम के द्वारा की गई स्कूल की छात्रा के साथ छेड़खानी जैसा कृत्य के खिलाफ में सिवनी जिला मुख्यालय में ही अनेकों महिलाओं के संगठन आिखर मौन क्यों है ? सिवनी शहर मुख्यालय के शैक्षणिक संस्थान में की गई स्कूली छात्रा के साथ शर्मनाक कृत्य के लिये क्या सिवनी जिला मुख्यालय की महिला संगठनों को आवाज उठाने के लिये आगे नहीं आना चाहिये।
            


यह सवाल इसलिये उठ रहे है क्योंकि अक्सर सिवनी जिला मुख्यालय में अधिकांश ऐसे महिला संगठन है जो स्कूलों व कॉलेजों में जाकर एवं कार्यक्रमों के दौरान छात्राओं को गुड टच व बेड टच के साथ उन्हें सुरक्षित रहने के तरीके बताती है।
            


वहीं यदि जब उत्कृष्ट विद्यालय की स्कूली छात्रा ने यदि हिम्मत दिखाकर उत्कृष्ट विद्यालय के प्राचार्य महेश गौतम की अंदर की हकीकत को बाहर लाकर कानून की चौखट तक पहुंचाने के लिये दिखाई है तो उसका हौंसला बढ़ाने एवं साथ देने के लिये क्या सिवनी जिला मुख्यालय की महिला संगठनों को आगे आकर उसका साथ देना चाहिये, यह महिला संगठनों के ऊपर निर्भर करता है।
             

वहीं राजनैतिक दलों में भी महिला संगठन कार्य कर रहे है लेकिन वे सिर्फ राजनीति करने तक ही सीमित है उन्हें प्राचार्य महेश गौतम के द्वारा किये गये कृत्य से कोई सरोकार नहीं है तभी तो आये दिन समाचार पत्रों में एवं मीडिया में सुर्खियां बटोरने वाले राजनैतिक महिला संगठन भी मौन धारण किये हुये है। 

समाजिक शोषण, अन्याय के खिलाफ अनुसूचित जाति के अनेक संगठनों को नींद से कौन उठायेगा 

इसके साथ ही अनुसूचित जाति वर्ग के भी सिवनी जिले में लगभग 13 समाज के भी कई संगठन भिन्न भिन्न नामों से समाज के विकास एवं अनुसूचित जति वर्ग के साथ होने वाले अन्याय, अत्याचार, शोषण के खिलाफ आवाज उठाने की बात हमेशा मंच, मीटिंगों में तेज आवाज में की जाती है लेकिन अनुसूचित जाति वर्ग की एक बेटी ने यदि हिम्मत दिखाकर कानूनी कार्यवाही तक को अंजाम दिया है तो उसके हौंसले का तो सम्मान करना तो दूर की बात है, कुछ ही लोगों को छोड़ दिया जाये तो अधिकांश गहरी नींद में ही सोये हुये है।
             जबकि विशेषकर अनुसूचित जाति वर्ग के सामाजिक संगठनों के पदाधिकारियों व सदस्यों को ऐसी घटना में पीड़िता का साथ अवश्य देना चाहिये क्योंकि उत्कृष्ट विद्यालय के प्राचार्य महेश गौतम राजनैतिक रसूखदारों के संरक्षण के साथ साथ विभाग के मुखिया अधिकारियों के भी मुंह लगे प्राचार्य के रूप में अपनी विशेष पहचान रखते हुये है।
            इसके साथ ही दबंगई दिखाने के लिये प्राचार्य महेश गौतम का नाम हमेशा चर्चा में रहता है। ऐसी स्थिति में प्राचार्य महेश गौतम अपने परिचित राजनैतिक रसूखदारों का साथ लेकर और अपने विभागीय मुखिया अधिकारियों का सहारा लेकर पीड़िता के साथ साथ शर्मनाक घटना के संबंध में जानकारी रखने वालों को भी प्रभावित करने के लिये किसी भी हद तक प्राचार्य महेश गौतम जा सकते है। 

छात्र संगठनों में विद्यार्थी परिषद भर ने उठाई आवाज

उत्कृष्ट विद्यालय में छात्रा के साथ छेड़छाड़ की घटना को अंजाम देने वाले प्राचार्य महेश गौतम पर कार्यवाही करने के लिये आवाज उठाने वाले छात्र संगठन में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद ने जरूर आवाज उठाया है लेकिन वह अन्य छात्र संगठनों के द्वारा इस संबंध में अभी तक किसी भी प्रकार कोई प्रतिक्रियात्मक कार्यवाहीं नहीं की गई है जो ऐसे संगठनों पर प्रश्न चिह्न खड़े कर रहे है। 

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