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देवडुमा चो उठतो-जागतो बेरा चो तिहार-देवउठनी

देवडुमा चो उठतो-जागतो बेरा चो तिहार-देवउठनी


दैनिक गोंडवाना समय अखबार, आपके विचार
लेखक-विचारक
भागेश्वर पात्र,शिक्षक
पता -कुम्हारपारा, वार्ड क्रमांक-14,
कॉलेज के पास, तहसील+जिला नारायणपुर,
छत्तीसगढ़-494661

चमास बेरा बरसा काल ने भूंय माटी चीरो-बोरो होयसे आउर गांव-गंवली ने सपाय बाट वातावरण केचकेचा हउन जायसे। ए चार महेना ने किरसान मन काम-कमई चो बुता में भिड़ून रसोत। तेचोय काजे आपलो देवडुमा चो बरोबर सेवा-जतन करूक निसकोत। असन ने पुरखा ले एक ठन परंपरा उपजली कि देव के चमास बेरा सउक-सुसताउक देउन बेड़ा-खाड़ा चो बुता के जोर करतो मुरियाउं।


सपाय झन जानसोत कि आदिवासी आपलो देवडुमा चो साहा ने रसोत। इथा एक ठन सवाल उपजेसे कि जेबे देवमन सवसत होई तेबे मनुक चो राखा कसन ने होयसे होई? काय काजे कि हमन देव चो भरोस ने आसूं। देवडुमा एक दिन काजे बल सुतलेक मनुकमन हलोबाल होते। असन गोठ मन अचरित करतो आउर भावना बिती गोठमन आय।असन तो बिपत बेरा अरजी-बिनती करलेक देवमन एसोत, गोहार के सुनुन दुखा-पीरा के उजरावसोत।

मेड़ा गनती चो हिसाब ने तिथि निकरावतो


हल्बी चो साहित्यकार आरू संसकिरती चो शोधकर्ता भागेश्वर पात्र सांगसोत कि पुरखती दांय चो हमचो सियानमन पड़ून-लिखुं नी रहोत। हुदलदांय कलिंडर असन चो गनति गनतो कागत-पतर नी रहे मान्तर जोन चो पाख के दखुन सुब दिन चो गनती करूआत। मेड़ा गनती में तिथि निकराउआत।अंधियार जोन आरु उजर जोन के दखुन पुरे चो सियानमन सुब दिन निकराउन तिहार-बहार के मानुआत। अंधियारी हउन अकरा होयसे होनचो पाछे पन्दरा दिन में पूनी भरेसे। पूनी भरुन जोन के घड़ी मारेसे। हुन हिसाब ने एक घड़ी...दूय घड़ी...तीन घड़ी...असने गनती करते-करते दस दिन के दसमी आउर इग्यारा घड़ी मारलेक एकादस तिथि मानूआत। कार्तिक महेना चो इग्यारा दिन में देवउठनी तिहार बनाउआत।

किरसान मन फुरसत ने होसोत     

चमास चो पाछे धान काटतो बेरा होयसे, धान-पान के सकलतो बुता के सारून किरसान मन फुरसत ने होसोत। बेड़ा-खाड़ा चो असल बुता सरू रहेसे। एइ दांय चमास ने उपजलो फूल-पान, पाक-फर बल खातो लाइक होयसे। एइ फूल-पान, फर के आदिवासी समाज जोगायसे। दूसर आदिवासी मन आपलो रीत-रूसुम ने पाक-फर के जोगावसोत मान्तर हल्बा समाज देवउठनी के कई ठन पाक-फर, भाजी-डारा, कांदा के जोगायसे।

जोगावतो तिहार

कार्तिक महेना चो दसमी दिन सांझ बेरा देवकोठार नाहले तुलसी चौरा लग अरेंवा चाउर पिसान चो दिया बनाउन घींव चो दिया बारसोत। सांझ-रात के देवकोठार लग उदबती धराउन,होम गंधाउन, फूल-पान देउन नुआ  चाउर, कोचई, उड़ीद, आंवरा, अमली, हर्रा-बेहड़ा, डांगकांदा, शकरकांदा, पारकांदा, डांडा के देवडुमा ने चेघाउन सेवा-बिनती करसोत।
            देव लग पाक-फर, कांदा, साग-भाजी के चेघावलेक हुन पाक -फर, कांदा, साग-भाजी जोगेसे आउर एई दिन ले उपजलो-उपजालो पाक-फर, साग-भाजी के मनुक मन खावतो चो मुर करसोत। एई दिन ले सिंयाड़ी आउर कुमडा बल जोगेसे। राति पूजा-पस्टा करून बिहान बेरा सपाय चेघावलो पूजा समान के सकलून नंदी में बोहरावसोत आरू बिहाने अरेंवा चाउर के धउन रांधसोत। एई दिन ले नुआ चाउर जोगेसे। ए रूसुम के चाउर धवनी बलसोत।

माहला, मंगनी -बरनी आरू घर बनावतो चो मुर करतो

देवउठनी तिहार हल्बा समाज काजे खूबे सुब आय। ए तिहार के मानून सगा-समाज मेंं माहला-मंगनी, बरनी चो गोठ होयसे। सोर-सुतुर पुरे ले करूरसोत मान्तर बिहा चो असल नेंग-रूसुम चो गोठ के देवउठनी चो पाछे गोठियावसोत। देवउठनी के सुब मानून कई झन घर बनावतो काज मुर करसोत। देवडुमा के सुमरून असने हरिक मन ले हमचो समाज पुरखती दांय ले तिहार - बहार के मानेसे आरू आपलो जिवना के सुफल करेसे।

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